छत्तीसगढ़ के समग्र शिक्षा कार्यालय में टेंडर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितता के मामले फिर सामने आए हैं। 31 जनवरी 2025 को GeM पोर्टल के माध्यम से सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन और इंसिनरेटर मशीन के लिए जारी टेंडर पर सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि इस टेंडर में नियमों की अनदेखी की गई और बड़े कारोबारियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई।
क्या है विवाद
इस बार छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग में समग्र शिक्षा कार्यालय ने सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन और इंसिनरेटर मशीन के लिए टेंडर जारी किया है। इस टेंडर में कई खामियां और विवादास्पद शर्तें सामने आई हैं। व्यापारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े व्यापारियों को फायदा पहुंचाने की साजिश के तहत यह टेंडर तैयार किया गया है।
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टेंडर में गलत विभाग का नाम
टेंडर में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि विभाग का नाम गलत लिखा गया है। टेंडर में छत्तीसगढ़ सरकार की जगह केंद्रीय शिक्षा विभाग लिखा गया है। यह गलती या तो लापरवाही का नतीजा है या फिर गुमराह करने की सोची-समझी रणनीति। सवाल उठता है कि क्या टेंडर प्रक्रिया में बाहरी दबाव में आकर बनाई गई है।
छोटे व्यापारियों को बाहर करने की रणनीति
इस टेंडर में 2403 यूनिट्स की खरीदारी प्रस्तावित की गई है। ठेकेदार से 1.5 करोड़ रुपए का औसत टर्नओवर और OEM (original equipment manufacturer) से 9 करोड़ रुपए का टर्नओवर मांगा गया है। ऐसी कड़ी शर्तें छोटे व्यापारियों के लिए असंभव हैं। यह स्पष्ट बताता है कि बड़े व्यापारियों को ही इस टेंडर में मौका मिलेगा।
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इंस्पेक्शन का प्रावधान नहीं
टेंडर में मशीनों की गुणवत्ता की जांच का प्रावधान नहीं है। जानकारों के अनुसार बिना निरीक्षण के मशीनों की गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं है। महिला एवं बाल विकास विभाग के टेंडर में निरीक्षण प्रक्रिया का पालन किया गया, लेकिन समग्र शिक्षा कार्यालय ने इसकी अनदेखी की गई है।
कस्टम बिड: नियमों के खिलाफ कदम
टेंडर को कस्टम बिड के तहत जारी किया गया है, जो राज्य सरकार के नियमों का उल्लंघन है। आमतौर पर ऐसे टेंडर कैटेगरी या बंच बिड के तहत जारी किए जाते हैं ताकि कॉम्पीटिशन बनी रहे। कस्टम बिड के कारण कई स्थानीय मैन्युफैक्चरर्स और रिसेलर्स को प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है, जिससे असंतुलन पैदा हो रहा है।
राज्य सरकार की चुप्पी पर सवाल
इन गंभीर आरोपों और अनियमितताओं के बावजूद राज्य सरकार के अधिकारी अभी तक चुप हैं। मुख्यमंत्री और संबंधित विभाग के सचिव पर इस मुद्दे पर कार्रवाई करने का दबाव बढ़ रहा है। राज्य के व्यापारियों और स्थानीय उद्यमियों को पारदर्शिता और समान अवसरों की मांग है। बता दें कि स्कूल शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के ही पास है।
व्यापारियों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
राज्य के व्यापारियों का कहना है कि यदि टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं लाई गई तो वे कानूनी कदम उठाएंगे। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को अपने नियमों की समीक्षा करनी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की धांधली न हो सके।