chhattisgarh christian cemetery case supreme court : सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार से कहा है कि वह राज्य में ईसाइयों के कब्रिस्तान के लिए चिन्हित करे। कोर्ट का यह आदेश छत्तीसगढ़ के एक गांव में ईसाई रीति-रिवाज से अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए दायर याचिका पर आया है।
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दो सदस्यीय पीठ ने दी विभाजित राय
दरअसल, रमेश बघेल ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने ईसाई रीति-रिवाज के तहत शव दफनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इस पर रमेश ने शीर्ष अदालत का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा के बीच विभाजित राय दी।
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जस्टिस नागरत्ना ने अपीलकर्ता रमेश बघेल को अपने पिता को अपनी निजी कृषि भूमि में दफनाने की अनुमति दी। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के फैसले से समाज में भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि शव को केवल ईसाइयों के लिए निर्धारित स्थान, जो कि करकापाल गांव में स्थित है, पर ही दफनाया जा सकता है।
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सात जनवरी से शवगृह में पड़ा शव
सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को सुलझाने की कोशिश करते हुए निर्णय दिया कि शव को करकापाल गांव में ईसाइयों के लिए तय किए गए स्थान पर ही दफनाया जाए। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य सरकार ईसाइयों के लिए पूरे राज्य में कब्रिस्तान चिन्हित करेगी और यह कार्य दो महीने के भीतर पूरा किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि रमेश बघेल ने शिकायत की थी कि अधिकारियों ने उनेके पिता का शव दफनाने के लिए उचित स्थान की व्यवस्था नहीं की थी। शव 7 जनवरी से शवगृह में पड़ा हुआ था, जिससे समस्या और बढ़ गई थी।
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