चुनाव आयोग का दावा, पर क्या रुकेगा मनी मसल्स और मिस इनफॉर्मेशन का पावर

चुनाव आयोग मध्यप्रदेश के लोकसभा चुनाव को जीरो टॉलरेंस और वायलेंस फ्री इलेक्शन कराने का दावा कर रहा है। चुनावी सीजन शुरू होते ही प्रदेश में बेनामी कैश, सोना-चांदी का फ्लो और शराब की तस्करी आयोग की फेयर इलेक्शन की मंशा पर पानी फेर सकती है। 

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Jitendra Shrivastava
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संजय शर्मा, BHOPAL. लोकसभा चुनाव धीरे-धीरे सरगर्मी की और बढ़ रहा और साथ ही प्रदेश में चुनावी कैंपेन भी जोर पकड़ने जा रहा है। मैदान में उतरे उम्मीदवार भी मतदाताओं को अपने पक्ष में कर जीत हासिल करने ढेरों वादे कर रहे हैं। वहीं प्रदेश में बने चेक पोस्ट और दूसरी कार्रवाइयों में बेहिसाब कैश, सोना-चांदी और भारी मात्रा में शराब की जब्ती शुरू हो गई है। पुलिस और दूसरी एजेंसियों के हाथ लगी इस बेनामी रकम और शराब का उपयोग चुनाव प्रभावित करने में होने का भी अंदेशा है। जबकि चुनाव आयोग मतदान को जीरो टॉलरेंस और वायलेंस फ्री इलेक्शन कराने का दावा कर रहा है। चुनावी सीजन शुरू होते ही प्रदेश में बेनामी कैश, सोना-चांदी का फ्लो और शराब की तस्करी आयोग की फेयर इलेक्शन की मंशा पर पानी फेर सकती है। 

पिछले चुनावों में प्रदेश में 338 करोड़ रुपए जब्त किए थे 

16 मार्च को चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार ने आम चुनाव टॉलरेंस और वायलेंस फ्री कराने का भरोसा दिलाया था। उन्होंने पिछले चुनावों में देश के अन्य राज्यों के साथ ही प्रदेश में 338 करोड़ रुपए बेनामी जब्त किए गए थे। यह वह रकम थी जिसे चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करने यहां से वहां किया जा रहा था। इसके अलावा पुलिस और दूसरी विजलेंस एजेंसियों ने करोड़ों रुपए की शराब का जखीरा भी जब्त किया था। चुनावी कैंपेन के दौरान ऐसी गतिविधियों को लेकर ही चीफ इलेक्शन कमिश्नर साफ-सुथरे चुनाव कराने का भरोसा दिला रहे थे। चुनाम में पॉलिटिकल लीडर लोगों को प्रभावित कर जीत हासिल करने की हर वाजिब और नाजायज कोशिश करने से नहीं चूकते। यही लालसा मनी मसल्स और मिस इन्फोर्मेशन की वजह बनती है। 

चुनाव जीतने हर हथकंडा अपनाते है उम्मीदवार

अब बात करते हैं प्रदेश में पिछले दिनों पकड़ी गई बेनामी रकम की। असल में यह रकम तो केवल बहुत छोटा हिस्सा है जो विजलेंस एजेंसी और पुलिस के हाथ लग गई। इससे कहीं ज्यादा रुपया, करोड़ों की शराब और दूसरी चीजें स्थानीय स्तर पर होने से या तो पकड़ में नहीं आतीं या नेताओं के प्रभाव के चलते अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं। दो दिन पहले ही झाबुआ के पिटोल चेकपोस्ट पर निगरानी एजेंसियों ने एक बस के लगेज कम्पार्टमेंट में रखे बोरे से 1 करोड़ 38 लाख रुपया कैश और 17 लाख रुपए की 22 किलो चांदी पकड़ी थी। इससे कुछ दिन पहले ही नर्मदापुरम और ग्वालियर में फ्लाइंग सर्विलांस टीम ने 29 लाख रुपए जब्त किए थे। वहीं जबलपुर में पुलिस के हाथ 30 लाख रुपए लगे थे। इंदौर में आचार संहिता लगने के बाद एक कार से 56 लाख की नकदी पकड़ी थी।  यानी अचार संहिता लगने के बाद से अब तक प्रदेश में 15 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी पकड़ी जब्त की जा चुकी है। इन करोड़ों रुपए का इस्तेमाल चुनाव को प्रभावित करने के अंदेशे को देखते हुए अब चुनाव आयोग की टीमें डेटा जुटाते हुए सोर्स का पता लगा रही हैं। 

चुनाव से पहले अचानक क्यों बढ़ गया बेनामी कैश फ्लो

टेक्नोलॉजी के दौर में मिस इन्फॉर्मेशन आयोग के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। चुनाव आते ही सोशल मीडिया पर पॉलिटिकल पार्टी और कैंडिडेट के अलावा समर्थकों के बीच छींटाकशी जमकर होती है। गलत आरोप, जानकारियों के सहारे वोटर्स को प्रभावित करने का खेल भी हो रहा है ऐसे में आयोग के एक्सपर्ट्स की टीम इसकी निगरानी कर रही है। प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में अब भी चुनाव में मसल्स पावर से मतदान अपने फेवर में करने की कोशिश के मामले सामने आते हैं। यानी पार्टियों और उम्मीदवार आयोग की सख्ती के बाद भी जीत के लिए हर हथकंडा अपनाने तैयार है। ऐसे में चुनाव आयोग के मनी-मसल्स और मिसइन्फोर्मेशन पावर फ्री इलेक्शन के दावे का क्या होगा ये आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा, लेकिन आचार संहिता लगने के बाद प्रदेश में जिस तरह बेनामी कैश फ्लो पकड़ा जा रहा है, उसका कनेक्शन इलेक्शन कैंपेन से होने से इंकार नहीं किया जा सकता।

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