INDORE. इंदौर लोकसभा चुनाव में रिकार्ड वोट से जीते शंकर लालवानी और धार लोकसभा से जीती और वर्तमान में केंद्र में राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर दोनों के खिलाफ चुनाव याचिका दायर हो गई है। याचिकाएं जबलपुर हाईकोर्ट में दायर हुई है।
केंद्रीय मंत्री के खिलाफ इन्होंने इस आधार पर लगाई याचिका
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका उनके सामने चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस प्रत्याशी राधेश्याम मुवेल ने लगाई है। वकील अभय उपाध्याय ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी प्रत्याशी सावित्री ठाकुर ने नामांकन फार्म के साथ दिए शपथपत्र में कुछ जानकारियां छिपाई थी और कुछ कॉलम रिक्त छोड़ दिए थे।
मुवेल ने याचिका में यह कहा
1.इलेक्शन पीटिशन के माध्यम से कांग्रेस प्रत्याशी ने कोर्ट को बताया है कि बीजेपी प्रत्याशी सावित्री ठाकुर ने एफिडेविट के साथ नामांकन फॉर्म सबमिट किया है। इसमें पेज नंबर 6 पर अपनी आय बताना होती है। मंत्री ठाकुर ने 2018-19 में 38 हजार 671 रुपए सालाना आय बताई है। जबकि सांसद का पेंशन-वेतनमान ही 1 लाख 90 हजार रुपए महीना होता है।
2. फार्म के साथ लोकसभा सचिवालय से नो ड्यूज सर्टिफिकेट लगाना अनिवार्य होता है। सरकारी आवास से संबंधित पानी व अन्य बिल शामिल रहते हैं। ये भी बीजेपी प्रत्याशी की तरफ से नहीं लगाया गया है।
3.फार्म में दिए कॉलम में परिवार की आय का ब्योरा भी देना आवश्यक होता है लेकिन मंत्री सावित्री ठाकुर के द्वारा जानकारी नहीं दी गई। इन ग्राउंड के आधार पर याचिका लगाकर कांग्रेस प्रत्याशी ने उनका निर्वाचन शून्य घोषित करने की मांग कोर्ट से की है।
इधर सांसद शंकर लालवानी के चुनाव को लेकर यह लगी याचिका
वहीं सांसद शंकर लालवानी के चुनाव को लेकर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन जमा करने वाले धर्मेंद्र सिंह झाला ने लगाई है। वह इंडियन एयरफोर्स से रिटायर है। उनका तर्क है कि नाम वापसी के दिन मैंने नाम वापस लिया ही नहीं था लेकिन फर्जी हस्ताक्षर के जरिए किसी ने मेरा नामांकन फार्म वापस ले लिया और इसे चुनाव अधिकारी ने मान्य भी कर लिया। इसके कारण चुनाव प्रक्रिया गलत हुई है। झाला इसके पहले भी चुनाव के दौरान हाईकोर्ट गए थे लेकिन चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के चलते इसे खारिज कर दिया गया था।
झाला का कहना है कि मैंने कई बार चुनाव अधिकारी से सीसीटीवी फुटेज मांगे, लेकिन नहीं दिए गए, आरटीआई में भी जवाब नहीं दिया जा रहा है। नामांकन वापस लेने वाले में पात का नाम भैरोसिंह लिखा गया है जबकि नाम भैरव सिंह झाला है, मैं क्या अपने पिता का नाम गलत लिखूंगा। नामांकन तो वापस लेने का सवाल ही नहीं था। उल्लेखनीय है कि ऐसा ही केस दिलीप ठक्कर का भी रहा, उनका भी आरोप है कि फर्जी हस्ताक्षर से नाम वापस हुआ है। वह चुनाव के पहले तो हाईकोर्ट गए थे लेकिन अभी उन्होंने चुनाव याचिका दायर नहीं की है।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक