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EOW case against 20 including Jiwaji University Photograph: (thesootr)
ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलगुरु अविनाश तिवारी और शिवशक्ति महाविद्यालय, झुण्डपुरा, मुरैना के संचालक रघुराज सिंह जादौन पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने फर्जी दस्तावेजों और धोखाधड़ी के आरोप में अपराध पंजीबद्ध किया है। इस मामले में कुल 20 से अधिक शिक्षाविदों पर गंभीर आरोप हैं, जिनमें भ्रष्टाचार, कूट रचना, और आर्थिक क्षति पहुंचाने के आरोप शामिल हैं। इन्हीं में से एक डॉ केएस ठाकुर राजस्थान के बांसवाड़ा में गोविंद गुरु जनजातीय विश्व विद्यालय के कुलपति हैं।
जांच में यह पाया गया कि फर्जी प्रवेश दिखाकर और कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति एवं अन्य सरकारी लाभ लेकर शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया गया। जांच समिति में शामिल कई शिक्षाविदों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की, जिसके आधार पर कॉलेज को मान्यता और संबद्धता मिली। इस प्रक्रिया में प्रतिवर्ष गठित निरीक्षण समिति के सदस्यों की मिलीभगत सामने आई।
पूरा खेल शिक्षाविदों की मिलीभगत से हुआ
ग्वालियर के रहने वाले शिकायतकर्ता अरुण कुमार शर्मा ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें बताया गया कि शिवशक्ति महाविद्यालय, झुण्डपुरा, मुरैना के संचालक रघुराज सिंह जादौन ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर कॉलेज की मान्यता और संबद्धता प्राप्त की। उन्होंने फर्जी प्रवेश दिखाकर छात्रवृत्ति और अन्य सरकारी लाभ उठाए। जांच के दौरान पाया गया कि यह पूरा खेल अकेले नहीं, बल्कि कई शिक्षाविदों की मिलीभगत से हुआ। जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा गठित निरीक्षण समिति के सदस्यों ने फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की और कॉलेज को अवैध रूप से मान्यता दिलाने में सहयोग किया।
आरोपियों में अविनाश तिवारी सहित 20 अन्य शामिल
जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 409, 467, 468,120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। आरोपियों की सूची में कुलगुरु अविनाश तिवारी, रघुराज सिंह जादौन और 20 अन्य शिक्षाविद कमेटी के सदस्य डॉ एपीएस चौहान, डॉ एके हल्वे, डॉ एसके गुप्ता, डॉ एसके सिंह, डॉ सीपी शिन्दे, डॉ आरए शर्मा प्रोफेसर अविनाश तिवारी (वर्तमान कुलगुरू) डॉ केएस ठाकुर, ज्योति प्रसाद, डॉ नवनीत गरूड, डॉ सपन पटेल, डॉ एसके द्विवेदी, डॉ हेमन्त शर्मा, डॉ राधा तोमर, डॉ आरपी पाण्डेय, डॉ एमके गुप्ता, डॉ निमिषा जादौन, डॉ सुरेश सचदेवा, डॉ मीना श्रीवास्तव शामिल हैं, इनमें कई वरिष्ठ प्रोफेसर और विश्वविद्यालय के अधिकारी हैं। इस प्रकरण में एक जांच समिति के सदस्य, डॉ. एपीएस चौहान की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई संभव नहीं है। EOW ने कहा है कि मामले की जांच जारी है और जल्द ही आरोपियों के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई की जाएगी।
ये है झुंडपुरा के 'भूतिया कॉलेज' की सच्चाई
जेयू ने हाल ही में शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल पर एआईएसएचई डेटा अपलोड न करने वाले कॉलेजों की सूची जारी की। इस सूची में 158 कॉलेजों का नाम था, जिसमें 143वें स्थान पर शिवशक्ति कॉलेज, झुंडपुरा का नाम दर्ज था। हालांकि कॉलेज संचालक पहले ही लिखित में दे चुका है कि यह कॉलेज झुंडपुरा से सबलगढ़ स्थानांतरित हो गया है। बावजूद इसके, जेयू के रिकॉर्ड में इसे झुंडपुरा में ही दर्शाया गया है।
प्राचार्य की फर्जी नियुक्ति से खुला था मामला
शिवशक्ति कॉलेज का नाम पहली बार 2011-12 में तब सुर्खियों में आया जब यह पता चला कि कॉलेज के संचालक रघुराज जादौन ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर डॉ. अरुण शर्मा को प्राचार्य नियुक्त करवा दिया। डॉ. शर्मा ने कभी आवेदन नहीं किया था और वे ग्वालियर के आयांश कॉलेज में प्राचार्य के पद पर कार्यरत थे। जब डॉ. शर्मा ने जेयू द्वारा जारी सूची में अपना नाम शिवशक्ति कॉलेज के प्राचार्य के रूप में देखा तो उन्होंने इस फर्जीवाड़े के खिलाफ शिकायत की।
गांव में कॉलेज का अस्तित्व नहीं
डॉ. शर्मा जब झुंडपुरा गांव पहुंचे, तो पाया कि वहां शिवशक्ति नाम का कोई कॉलेज था ही नहीं। इसके बावजूद, जेयू की निरीक्षण टीमें हर साल वहां 'निरीक्षण' करती रहीं और कॉलेज को संबद्धता देने की अनुशंसा करती रहीं।
कागजी कॉलेज के लिए निरीक्षण टीमों पर सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब कॉलेज का अस्तित्व ही नहीं था, तो निरीक्षण टीमें किस भवन का निरीक्षण करती थीं? यह मामला भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, जहां बिना निरीक्षण के ही मोटी रकम के बदले संबद्धता दी जाती रही।
संबद्धता खत्म करने से बच रहे अधिकारी
शिवशक्ति कॉलेज को लेकर बार-बार शिकायतें आने के बावजूद, जेयू के अधिकारी इसकी संबद्धता खत्म नहीं कर रहे हैं। शिकायतकर्ता डॉ. अरुण शर्मा ने कहा, “फर्जी तरीके से मेरी नियुक्ति करवाई गई थी। मैंने जेयू को कई बार लिखा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। झुंडपुरा में कॉलेज का नामो-निशान तक नहीं है, फिर भी इसे बचाया जा रहा है।” EOW की कार्रवाई पर शर्मा ने कहा की जेयू ग्वालियर के महाघोटाले को उजागर करने में कुलगुरू और उनकी मंडली ने मुझे बेरोजगार कर दिया। अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध अंतिम सांस तक संघर्ष करूंगा। यह व्यापम पार्ट-2 है। EOW से प्रार्थना है इनको तत्काल गिरफ्तार कर इनकी आय से अधिक अर्जित संपत्ति को राजसात किया जाए।
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