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नीमच के 16 साल पुराने फर्जी बंशी गुर्जर एनकाउंटर मामले में फरार चल रहे पुलिस अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सीबीआई उनके पीछे है और वे जमानत के लिए प्रयास कर रहे हैं। इस मामले में दो महीने पहले ही डीएसपी ग्लेडविन कर की गिरफ्तारी हो चुकी है और वहीं एएसआई दुर्गाशंकर तिवारी ने 22 अप्रैल को सरेंडर कर दिया था। लेकिन अभी भी कई बड़े पुलिस अधिकारी गायब हैं। इसमें अब पीथमपुर सीएसपी विवेक गुप्ता की अग्रिम जमानत और एएसआई दुर्गाशंकर तिवारी तथा प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान की जमानत याचिका खारिज हो गई है।
पीथमपुर सीएसपी गुप्ता ने लगाया था आवेदन
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घटना के बाद से ही करीब 50 दिन से गायब चल रहे पीथमपुर सीएसपी विवेक गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका जिला कोर्ट से खारिज हो गई है। गुप्ता ने इस मामले में आवेदन देकर कहा था कि उनका इस मामले से लेना-देना नहीं है, जब घटना हुई तब वह नए टीआई बने थे और वह बंशी को जानते भी नहीं थे। पूरी लिखापढ़ी इस केस में टीआई ग्लेडविन कर द्वारा उनके थाने में की गई। साथ ही गुप्ता ने कहा कि सीबीआई 10 साल में भी मृतक की पहचान नहीं कर सकी है, वह केस धारा 307 (हत्या के प्रयास) में चला रही है, जबकि मामला हत्या का 302 का बताया जा रहा है। पूरे केस में कोई फरियादी ही नहीं है। इसी तरह के तर्क प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान ने दिए थे। साथ ही एएसआई दुर्गाशंकर तिवारी के जमानत आवेदन में यही लगे, तिवारी 22 अप्रैल को सरेंडर कर चुके हैं और जेल में हैं। प्रधान की भी गिरफ्तारी ग्लेडविन के साथ हुई थी। इस मामले में बंशी गुर्जर से भी 2018 में 14 दिन रिमांड में लेकर पूछताछ हो चुकी है।
सीबीआई ने दिए ये तर्क
इस मामले में सीबीआई ने बताया कि मनासा एसडीओपी अनिल पाटीदार ने इस मामले में दो टीम गठित की थीं। पहली टीम में निरीक्षक परमार, एसआई मुख्तार कुरैशी, प्रधान आरक्षक श्यामलाल बेणीराम, आरक्षक अनोखीलाल, अनवर, मंगलसिंह थे। वहीं दूसरी टीम में टीआई ग्लेडविन कर, एसआई विवेक गुप्ता, एसडीओपी अनिल पाटीदार, प्रधान आरक्षक भगवान सिंह, आरक्षक नीरज प्रधान, फतेहसिंह, दुर्गाशंकर, मुनव्वर उद्दीन और चालक कमलेंद्र थे। ग्लेडविन, गुप्ता और पाटीदार ने गोली मारी थी। बाद में मृतक की पहचान बंशी गुर्जर के रूप में की गई, जो बाद में पुलिस द्वारा जीवित पकड़ा गया और इसमें जांच के लिए सीबीआई के पास आया। समन के बाद भी यह उपस्थित नहीं हो रहे हैं। सभी तर्कों को सुनने के बाद गुप्ता, तिवारी और प्रधान सभी की याचिकाएं खारिज हो गईं।
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यह है पूरा फर्जी एनकाउंटर कांड
नीमच के 16 साल पुराने फर्जी एनकाउंटर मामले में दिल्ली सीबीआई ने एक अप्रैल को इंदौर से दो अहम गिरफ्तारी की थीं। इसमें पन्ना में पदस्थ डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कर और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान हैं। इस 7 फरवरी 2009 के चर्चित कांड को लेकर यह सीबीआई जांच उज्जैन के गोवर्धन पंड्या और नीमच के मूलचंद खींची द्वारा हाईकोर्ट इंदौर में लगाई गई याचिका पर साल 2013-14 में हुए आदेश से शुरू हुई।
इस कांड में यह हुआ था, पुलिस के मुताबिक
इस एनकाउंटर मामले में पुलिस ने रामपुरा थाने नीमच में एफआईआर लिखवाई, जो थाना प्रभारी ग्लेडविन ने ही लिखवाई थी। इसके अनुसार बात करें तो- ग्लेडविन रामपुरा टीआई थे, मनासा एसडीओपी अनिल पाटीदार थे। सात फरवरी 2009 को एसपी वेदप्रकाश शर्मा ने जानकारी दी कि बंशी गुर्जर गांधीसागर की ओर से छिपा हुआ है और रात को अपने घर पर पेशन मोटरबाइक से नलवा जा रहा है। उसके पास हथियार रहते हैं। थाना प्रभारी कुकडेश्वर पीएस परमार और टीआई बघाना मुख्त्यार कुरैशी व मनासा टीआई विवेक गुप्ता को खबर दी गई।
गुर्जर की गिरफ्तारी के लिए दो दल बने
गुर्जर को पकड़ने के लिए दो दल बने, एक में टीआई परमार, कुरैशी के साथ प्रधान आरक्षक श्याम पाल सिंह, वेणीराम, आर अनोखी लाल, आर अनवर, मंगल सिंह थे। दूसरे दल में ग्लेडविन, विवेक गुप्ता, अनिल पाटीदार, भगवान सिंह, नीरज प्रधान, फतेह सिंह, दुर्गाशंकर तिवारी, मुनव्वरुद्दीन, कमलेंद्र थे।
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इस तरह हुआ एनकाउंटर, हमने जान पर खेला
दोनों दलों ने जगह तय कर प्लानिंग बनाकर तैयारी कर ली। ग्लेडविन द्वारा लिखवाई एफआईआर में है कि हमारा दल एक बाइक की जांच कर रहा था तभी पहले दल के लोगों की आवाज आई कि गुर्जर सरेंडर कर दो, उनकी बात सुनकर हमने बाइक वाले को देखा और आवाज लगाई सरेंडर कर दो, तभी उसने दो फायर किए, एक मेरी बाजू पर और गुप्ता के रगड़ करते हुए लगी। आगे लिखा है कि मैंने और गुप्ता ने जान की परवाह नहीं करते हुए गोली चलाई, वहीं मनासा एसडीओ पाटीदार ने भी गोली चलाई, वह गिर गया। उसके पास डायरी व अन्य कागज थे, जिसमें बंशी गुर्जर नाम लिखा था। वह घायल था, उसे रामपुरा अस्पताल ले गए।
अब कैसे पता चला गुर्जर जिंदा
गुर्जर का एक साथी घनश्याम कुछ दिन बाद सड़क एक्सीडेंट में मारा गया। इसका भी केस हुआ। लेकिन एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस को पता चला कि घनश्याम तो जिंदा है और उज्जैन जेल में है। इस पर उससे पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि यह गुर्जर ने ही उसे बताया था कि मरने की नौटंकी करो, सारे केस खत्म हो जाएंगे।
वीडियो में नाचते मिला बंशी
घनश्याम के पास मोबाइल में एक वीडियो मिला जिसमें एक कार्यक्रम में बंशी नाचते हुए दिखा। इस पर पुलिस चौंक गई। उसका पता निकाला और आईजी उज्जैन उपेंद्र जैन ने टीम बनाकर बंशी गुर्जर को जिंदा पकड़ लिया।
आज तक यह तीन सवालों के जवाब पुलिस और सीबीआई को नहीं
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एसपी वेदप्रकाश शर्मा आज तक यह नहीं बता सके कि उन्हें किसने गुर्जर की जानकारी दी थी और कैसे वह कंफर्म थे कि वह गुर्जर ही था।
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गुर्जर जिंदा तो वह जो पुलिस की गोली से मरा वह कौन था, आज तक इसका खुलासा नहीं हुआ।
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फिर एक और मौत हुई थी, घनश्याम जिंदा था तो फिर सड़क एक्सीडेंट में कौन मरा था, यह भी आज तक सामने नहीं आया। इनके सवाल सीबीआई तलाश रही है।
बंशी गुर्जर ने की थी द सूत्र से सीधी बात
बंशी गुर्जर एक समय का बड़ा अपराधी जो एनडीपीएस, हथियार मामले के कई आरोप में घिरा है, वह राजस्थान पुलिस पर हमला कर साथी छुड़ाने से फरवरी 2009 में चर्चा में आया था। फिर एनकाउंटर केस से चर्चा में आया। अभी नलवा में ही रहता है और सोशल मीडिया पर एक्टिव होने के साथ आज भी बाहुबली की तरह ही व्यवहार करता है। समय-समय पर नई गाड़ियां खरीदता है और इसकी रील बनाकर भी डालता है। उसके साथ हमेशा कई लोग साथ में रहते हैं। द सूत्र ने उससे सीधी बात की तो उसने कहा कि इस एनकाउंटर के बारे में मुझे कुछ नहीं पता क्योंकि मैं तो फरार था, बाद में पकड़ा गया और अभी दो साल पहले ही जमानत पर जेल से छूटा हूं। पुलिस ने मेरी जगह किसे गोली मारी और क्या किया मैं इस बारे में कुछ भी नहीं जानता हूं। अब अपराध की दुनिया छोड़ चुका हूं और शांति से जीवन बिता रहा हूं।
इन अधिकारियों पर लटक रही गाज
इस मामले में कई अधिकारी जांच के राडार में हैं। इसमें तत्कालीन एसपी वेदप्रकाश शर्मा जो रिटायर हो गए हैं और अभी बाबा रामदेव की कंपनी का काम देखते हैं। उनके साथ ही अनिल पाटीदार जो अभी बड़वानी एडिशनल एसपी हैं और उस समय मनासा एसडीओ थे, वह मोबाइल बंद कर गायब हैं। विवेक गुप्ता जो पीथमपुर सीएसपी हैं और उस समय मनासा टीआई थे, मुख्त्यार कुरैशी एसीपी भोपाल जो उस समय टीआई बघाना थे, सभी भी जांच के घेरे में हैं।
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