जबलपुर के संयुक्त संचालक कार्यालय में पिछले तीस सालों से भृत्य के पद पर नौकरी कर रही अमीषा बेगम के फर्जी मार्कशीट के आधार पर नौकरी प्राप्त करने का मामला सामने आया है। इस मामले में शिक्षा विभाग में ही भारतीयों के दौरान अंकसूचियों के सत्यापन की पोल खोल कर रख दी है।
शिकायत के बाद सामने आई सच्चाई
इस मामले की शिकायत आयुक्त लोक शिक्षण को मिली थी जिसके बाद जबलपुर संयुक्त संचालक लोक शिक्षण को इस मामले में जांच करने के लिए आदेश दिया गया। जांच में यह बात सामने आई कि अमीषा बेगम के द्वारा नियुक्ति लेते समय योग्यता को दिखाने के लिए जो मार्कशीट विभाग में जमा की थी वह फर्जी थी। इसके बाद लोक शिक्षण विभाग के द्वारा बेलबाग थाने में प्रतिवेदन दिया गया है। अब पुलिस के द्वारा अमीषा बेगम के विरुद्ध धोखाधड़ी का मामला कायम किया जा रहा है।
कटनी के जिला शिक्षा अधिकारी से कराई जांच
इस मामले में हैरानी की बात यह है कि जब लोक शिक्षण विभाग जबलपुर को इस मामले में जांच के लिए आदेशित किया गया तो उन्होंने जबलपुर के जिला शिक्षा अधिकारी को जांच के लिए उपयुक्त नहीं माना और कटनी के जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा इस मामले की जांच कराई। इस जांच में अमीषा बेगम के द्वारा 30 सालों से किया जा रहा फर्जीवाड़ा खुलकर सामने आ गया और विभाग के द्वारा अंकसूचियों के सत्यापन की भी पोल इस मामले ने खोल कर रख दी है।
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