रील के बाद कोर्ट में रियल 'टॉयलेट एक प्रेमकथा', घर में शौचालय बना और परिवार टूटने से बच गया

मध्यप्रदेश के मंदसौर के परिवार न्यायालय में चर्चित फिल्म 'टॉयलेट एक प्रेमकथा' की पुनरावृत्ति देखने को मिली। विवाद के बाद जज ने समझौता कराया, घर के अंदर शौचायल बना और एक परिवार टूटने से बच गया...

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Jitendra Shrivastava
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मध्यप्रदेश के मंदसौर में परिवार न्यायालय में शनिवार, 14 सितंबर को चर्चित फिल्म 'टॉयलेट एक प्रेम कथा' की पुनरावृत्ति देखने को मिली। न्यायालय की मध्यस्थता से ससुर, बहू के लिए घर के अंदर शौचालय बनाने को तैयार हुआ और परिवार टूटने से बच गया। प्रधान न्यायाधीश गंगाचरण दुबे ने पक्षकारों के बीच ये समझौता कराया गया।

ऐसा था पूरा मामला...

दरअसल, नसरीन का निकाह जुवेद अहमद के साथ 26 अप्रैल 2019 को दावतखेड़ी में 51हजार 786 रुपए मेहर के साथ तय हुआ था। कुछ समय बाद नसरीन ने पति और उसके परिजनों पर आरोप लगाया कि वे उसके साथ मारपीट करते हैं। एक लाख रुपए दहेज मांगकर प्रताड़ित करते हैं साथ ही ससुराल में उसकी देखभाल भी नहीं होती है। नसरीन ने बताया कि डिलेवरी के बाद पुत्र की सही देखभाल न होने से उसका इंतकाल हो गया। सास-ससुर, पांच नन्द सामूहिक रूप से मारपीट कर प्रताड़ित किया जाता है। इस क्रूरता के कारण उसने 14 मई 2019 को ससुराल छोड़ दिया। वहीं पति और उसके परिजन ने कहा कि एक लाख रुपए लिए बिना वापस मत आना। इसके बाद नसरीन ने अपने ससुराल वालों के विरुद्ध मुकदमें दर्ज कराए और स्वयं के भरण-पोषण दिलाने की मांग की।

न्यायालय में मामला कुछ और ही निकला

परिवार न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश गंगाचरण दुबे के समक्ष प्रकरण पहुंचा तो विवाद कुछ और ही निकला। निकाह के बाद जब नसरीन अपने ससुराल पहुंची तो वहां नजारा देख वह दंग रह गई। ससुराल में जुवैद की पांच बहनें, नसरीन के जेठ और उनकी पत्नी तथा माता-पिता संयुक्त परिवार में रहते हैं। यहां तक कि उनके घर में शौचालय भी नहीं है, जिससे घर की महिलाओं को शौच हेतु लगभग एक किलोमीटर दूर जाना होता है। समस्या पता चलने के बाद न्यायालय की सलाह के बाद जुवैद के पिता शौचालय बनवाने को तैयार हो गए। साथ ही दो महीने के अंदर उन्होंने शौचालय बनवाने का न्यायालय को लिखित आश्वासन दिया। इसके बाद सालों से रूठी नसरीन, जुवैद और उसके संयुक्त परिवार के साथ रहने को तैयार हो गई। 

परिवार न्यायालय में 60 प्रकरणों का हुआ निराकरण 

मामले में नसरीन की ओर से अनवर अहमद और जुवैद की ओर से शेरू मंसूरी अधिवक्ताओं ने न्यायमित्र के रूप में तथा शुभम जैन, अधिवक्ता ने खण्डपीठ के सुलहकर्ता के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की। परिवार न्यायालय मंदसौर में कुल 60 प्रकरणों का निराकरण हुआ।

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