संजय गुप्ता, INDORE. मालवा-निमाड़ की आठ सीटों पर नामांकन फार्म भरने की प्रक्रिया खत्म हो गई है। यहां की तीन आदिवासी सीटों में दो पर भारत आदिवासी पार्टी (बाप) ( Bharat Adivasi Party ) ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। हालांकि आदिवासियों के सामाजिक संगठन जयस ने प्रत्याशी उतरने से दूरी बनाई और आखिर में तय किया कि प्रत्याशी नहीं उतार कर किसी योग्य को समर्थन देगी।
बाप ने यहां उतारे प्रत्याशी
हाल के विधानसभा चुनाव में राजस्थान और मप्र में सीट जीतने वाली बाप ने धार लोकसभा सीट से जगदीश डाबर और जितेंद्र मुनिया दो को उतारा है। हालांकि मुख्य प्रत्याशी जितेंद्र मुनिया है, लेकिन नामांकन रद्द होने की आशंका के चलते जगदीश डाबर ने भी बाप की ओर से फार्म भरा है। वहीं रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट से इंजीनियर बालूसिंह घामड़ ने फार्म भरा है। उन्होंने बाप के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भी नामांकन भरा है। घामड़ विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। बाप के प्रदेशाध्यक्ष ईशवरलाल गरवाल ने द सूत्र को बताया कि हमने मप्र में मंडला, बैतूल, हरदा में भी प्रत्याशी उतारे हैं।
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जयस ने प्रत्याशी नहीं उतारे
उधर जयस में डॉ. हीरालाल अलावा तो पहले से ही कांग्रेस के टिकट पर मनावर से विधायक है। वह कांग्रेस के साथ है। लेकिन जयस के दो अन्य लोकेश मुजाल्दा, अंतिम मुजाल्द गुट अलग है। लेकिन इन्होंने भी इस बार लोकसभा चुनाव के लिए सीधे तौर पर प्रत्याशी नहीं उतारे हैं। हालांकि लोकेश मुजाल्दा ने कहा कि हम सही आदिवासी उम्मीदवार को अपना समर्थन देंगे, चुनाव से इसलिए दूरी है ताकि आदिवासी वोट बंटें नहीं। अंतिम भी यही बात कह रहे हैं कि हम किसी को समर्थन देकर उनके लिए काम करेंगे, हमारा उद्देश्य आदिवासी हित है।
बीजेपी के खिलाफ वोट एकजुट करने में जुटी कांग्रेस के लिए मुश्किल
बीजेपी के खिलाफ गठबंधन बनाकर उतरी कांग्रस के लिए अन्य दलों के प्रत्याशी उतरने से बीजेपी की जगह अधिक समस्या है। खासकर आदिवासी बेल्ट में जहां कांग्रेस की अभी भी मौजूदगी है, वहां कांग्रेस चाहती है उसके वोट बंटें नहीं। ऐसे में बाप के प्रत्याशी उतारने से वोट बंटेंगे।
बाप के कारण रतलाम सीट पर अधिक झटका
रतलाम सीट में शामिल 8 विधानसभा में से एक सीट सैलाना की बाप के कमलेशवर डोडियार विधायक के पास है। उन्हें 71 हजार से ज्यादा वोट मिले थे, वहीं यहां कांग्रेस 66601 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रही, बीजेपी तीसरे पायदान पर थी। कांग्रेस को यदि बाप से समर्थन मिलता तो वहां यहां अधिक मजबूत स्थिति में हो सकती थी। लेकिन अब यहां से वोट निश्चित तौर पर कटेंगे। वहीं संसदीय क्षेत्र की अन्य सीट पर भी प्रभाव हो सकता है। इसके चलते कांग्रेस को रतलाम सिटी और ग्रामीण से बीजेपी को मिलने वाली लीड से नुकसान की भरपाई करने का मौका मिलना मुश्किल हो जाएगा। बीते चुनाव में इन्हीं सीट की लीड ने कांग्रेस को हरवा दिया था। रतलाम लोकसभा की अन्य सीट अलीराजपुर और पेटलावद जो आदिवासी सीट है, यहां बीजेपी विधायक है। वहीं कांग्रेस को उम्मीद जोबट, झाबुआ, थांदला सीट से ज्यादा हैं, जहां उनके विधायक है। ऐसे में सैलाना सीट पर कांग्रेस को बाप प्रत्याशी तकलीफ दे सकता है।
धार सीट पर कटेंगे वोट
धार लोकसभा सीट में शामिल आठ विधानसभा में कांग्रेस का अधिक होल्ड है और उसके पास सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर आदिवासी विधानसभा सीट मौजूद है। हालांकि धरमपुरी सीट बीजेपी के पास चली गई है। महू और धार सीट बीजेपी के पास है जो वहीं कांग्रेस के पास बदनावर भी है। यहां बीजेपी 3 और कांग्रेस 5 सीट की स्थिति में हैं। लेकिन महू और धार से बीजेपी को मिलने वाली लीड कांग्रेस को बाकी पांच सीट से भी भारी पड़ती है। ऐसे में यहां भी आदिवासी वोट कांग्रेस को अपने पक्ष में एकजुट करना चुनौती बनेगा।