INDORE. इंदौर में पिता को लिवर डोनेट कर बचाने में जुटी नाबालिग बेटी का इंतजार दो दिन और बढ़ गया है। इस मामले में राज्य स्तरीय कमेटी द्वारा इस मामले में अभी तक फैसला नहीं लिए जाने पर हाईकोर्ट इंदौर ने सख्त नाराजगी जताई। इसके साथ ही आदेश दिया कि आदेश तारीख से दो दिन के भीतर राज्य स्तरीय कमेटी इस मामले में फैसला करके हाईकोर्ट को सूचित करे। ऐसा नहीं होने पर 27 जून को सुबह साढ़े दस बजे कमिशनर हेल्थ खुद हाईकोर्ट में पेश होकर जवाब दें। वहीं मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पेश हुई, जिसमें बताया गया कि बेटी लिवर का हिस्सा डोनेट के लिए मेडिकली फिट है। लिवर देने के नाबालिग बेटी केस...
इसके पहले मेडिकल टेस्ट हुआ था
इसके पहले हाईकोर्ट ने 20 जून को आदेश दिए थे कि नाबालिग बेटी का मेडिकल टेस्ट किया जाए और इसके बाद इस पर आगे फैसला होगा। यह मेडिकल टेस्ट 21 जून को हो गया था और इसकी रिपोर्ट भोपाल राज्य स्तरीय कमेटी के पास चली गई थी, लेकिन इस पर कमेटी ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया, इस पर जस्टिस विनय सराफ ने नाराजगी जाहिर की। नाबालिग के केस में राज्य सरकार की ऑथोराइजेशन कमेटी से अनुमति मिलने पर ट्रांसप्लांट हो सकेगा। सुनवाई के दौरान डोनर बेटी भी मौजूद रही। अधिवक्ता नीलेश मानोरे ने पिता की ओर से पक्ष रखा।
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पिता ने लगा रखी है याचिका
पिता शिवनारायण बाथम ने इस मामले में याचिका दायर की हुई है। बेटी प्रीति 17 साल 10 माह की है, लेकिन नियम के मुताबिक 18 साल यानी बालिग ही आर्गन डोनेट कर सकता है, लेकिन मेडिकल इमरजेंसी में इसमें कम उम्र वालों के भी डोनेट की मंजूरी दी जा सकती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ऐसे ही केस में मंजूरी दी हुई है।
यह है मामला
दरअसल, इंदौर के शिवनारायण बाथम (42) का लिवर फेल हो गया है। हालत क्रिटिकल है। डोनर नहीं मिला, ऐसे में नाबालिग बेटी प्रीति ने कहा था कि वह पिता को लिवर देंगी। हालांकि, उनकी उम्र 18 साल से दो महीने कम है। नाबालिग होने से डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट से मना कर दिया था। पिता शिवनारायण ने हाई कोर्ट इंदौर में 13 जून को याचिका दायर की। इसमें लिवर डोनेट करने की अनुमति मांगी।