ग्लोबल फैटी लिवर डे: समय पर जांच और सही लाइफस्टाइल है जरूरी

बदलती जीवनशैली और अस्वस्थ खानपान के कारण बड़ी संख्या में लोग फैटी लिवर जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए 12 जून को ग्लोबल फैटी लिवर डे के मौके पर मध्यप्रदेश में एक राज्यव्यापी स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाया गया।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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Global Fatty Liver Day
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MP News: खराब खानपान और बदलती लाइफस्टाइल के चलते एक बड़ी आबादी फैटी लिवर जैसी बीमारी के चपेट में आ रही है। ग्लोबल फैटी लिवर डे के अवसर पर 12 जून को मध्यप्रदेश में एक विशेष स्वास्थ्य अभियान चलाया गया। इस पहल के अंतर्गत प्रदेश के 12,264 स्वास्थ्य केंद्रों पर लोगों की कमर का माप और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) की जांच की गई। इसका मुख्य उद्देश्य था - नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के जोखिम को लेकर आमजन को समय रहते सतर्क करना और जागरूकता फैलाना।

वेबिनार में दी गई जानकारी

इस मौके पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें पद्म भूषण डॉ. शिव कुमार सरीन भी शामिल हुए। कार्यक्रम का आयोजन स्वस्थ यकृत मिशन (Healthy Liver Mission) के तहत संचालित किया गया।

स्क्रीनिंग से चौंकाने वाले आंकड़े

अब तक हुई 8.5 लाख लोगों की जांच में यह सामने आया कि 19% पुरुष और 24% महिलाएं फैटी लिवर के रेड जोन में हैं।

मुख्य कारक:

कमर माप: पुरुष > 90 से.मी., महिलाएं > 84 से.मी.
आलसी दिनचर्या, जिसमें लोग ज्यादा समय बैठे रहते हैं।
असंतुलित खानपान जैसे फ़ास्ट फ़ूड और ज्यादा चीनी वाले आइटम

क्या है फैटी लिवर

फैटी लिवर एक चिंताजनक स्थिति है, जिसमें लिवर की कोशिकाओं में वसा की मात्रा असामान्य रूप से बढ़ने लगती है। यदि समय पर इसका इलाज या नियंत्रण न किया जाए, तो यह स्थिति आगे चलकर लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकती है। इसके अलावा, इससे मधुमेह (डायबिटीज़) और हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है।

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बीमारी के 3 ग्रेड

ग्रेड 1
5-20% चर्बी होती है। इसके लक्षण नहीं दिखायी देते हैं और इसको रिवर्स किया जा सकता है।  
ग्रेड 2
इसमें 20-55% चर्बी होती है। इसके प्रमुख लक्षण थकान, पेट भारीपन हैं। इसका भी रिवर्स संभव है। 
ग्रेड 3
इसमें कार्बी 55% से अधिक होती है। पेट दर्द, लिवर सूजन इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसका उपचार कठिन है।

युवाओं में खतरा बढ़ा

एम्स के विशेषज्ञों के अनुसार लंबे समय तक बैठकर काम करने वाले युवाओं में यह रोग तेजी से बढ़ा है। एम्स में फाइब्रोस्कैन तकनीक के जरिए इसकी शुरुआती पहचान अब संभव है।

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30 वर्ष से अधिक आयु वालों पर फोकस

इस अभियान का फोकस 30 साल से ऊपर के नागरिकों पर रहा। हर व्यक्ति की ऊंचाई, वजन और कमर नापी गई ताकि फैटी लिवर के संभावित मामलों की पहचान कर समय पर सलाह दी जा सके।

घर पर भी जांच संभव

विशेषज्ञों का कहना है कि मोटापा, डायबिटीज और हाई बीपी जैसी स्थितियों में इसका जोखिम अधिक है। लोग चाहें तो बीपी और शुगर की मशीनें घर में रख सकते हैं या फिर ये सेवाएं नजदीकी अस्पताल में मुफ्त उपलब्ध हैं।

यह एक साइलेंट किलर के रूप में उभर रही बीमारी है, लेकिन समय पर जांच और जीवनशैली में बदलाव से इसे रोका जा सकता है। जागरूक रहकर हम खुद को और अपनों को इस खतरे से बचा सकते हैं।

लिवर को हेल्थी कैसे रखें 

पोषणयुक्त आहार लें
फैटी लिवर से बचने के लिए संतुलित और ताजा भोजन सबसे जरूरी है। अपने आहार में ताजे फल, हरी सब्जियां और साबुत अनाज को प्राथमिकता दें। अधिक कैलोरी वाले भोजन की जगह उच्च प्रोटीन और फाइबर युक्त भोजन अपनाएं। मीठी चीजों और चीनी की मात्रा सीमित करें।

नियमित शारीरिक गतिविधि
स्वस्थ लिवर के लिए हर दिन कम से कम 30 मिनट का व्यायाम या योग जरूरी है। लंबे समय तक बैठने से बचें और हर घंटे थोड़ा टहलें या शरीर को स्ट्रेच करें। इससे शरीर की चयापचय क्रिया बेहतर होती है।

वजन को रखें नियंत्रित 
शरीर का वजन संतुलन में रहना बेहद जरूरी है, खासतौर पर पेट और कमर के आसपास चर्बी का जमाव लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है। वजन घटाने की दिशा में छोटे-छोटे कदम भी प्रभावशाली हो सकते हैं।

समय-समय पर ब्रेक लेना न भूलें

एक ही जगह लंबे समय तक बैठे रहना फैटी लिवर की एक बड़ी वजह बन सकता है। हर घंटे कुछ मिनट खड़े होकर चलना या हल्की एक्सरसाइज करना लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। इसके लिए मोबाइल में अलार्म या रिमाइंडर का उपयोग करें।

तनाव मुक्त रहना है जरूरी 
लंबे समय तक तनाव में रहने से शरीर में फैट बढ़ने लगता है, जो फैटी लिवर की वजह बन सकता है। तनाव से निपटने के लिए मेडिटेशन, गहरी सांस लेना और समय पर नींद लेना जरूरी है। हर रात कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लें और सोने से पहले स्क्रीन टाइम सीमित रखें।

धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं

शराब और तंबाकू का सेवन लिवर पर सीधा असर डालता है। यदि पूरी तरह छोड़ना संभव नहीं हो तो इनका सेवन अत्यधिक सीमित करें। यह लिवर को दीर्घकालिक नुकसान से बचा सकता है।

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