अवैध फीस वसूली : जबलपुर में अवैध फीस वसूली और फर्जी पुस्तक विक्रेताओं के ऊपर की गई कार्रवाई के मामले में आरोपियों ने हाईकोर्ट में जमानत आवेदन दिया था। एक साथ हुई लगभग 27 आवेदनों की सुनवाई के बाद जस्टिस मनिंदर एस भट्टी ने फैसला सुरक्षित रखा था। अब कोर्ट के जारी आदेश के अनुसार सिर्फ उन लोगों को जमानत का लाभ दिया गया है जो केवल प्रिंसिपल थे और उनका मैनेजमेंट से कोई लेना देना नहीं था। कोर्ट के अनुसार पुलिस कार्यवाही में फर्जी किताबें और अवैध फीस वसूली से स्कूल के प्राचार्य का कोई भी सीधा संबंध साबित नहीं हो रहा है और यह भी साबित नहीं हो रहा है कि इसका लाभ उन्हें मिलता था। इसके साथ ही स्कूलों के मैनेजमेंट के मेंबर, ऑफिस बियरर, सोसाइटी या कमेटी के सदस्यों सहित किताब विक्रेता और पब्लिशर्स की जमानत खारिज कर दी गई है।
जमानत के बाद भी नहीं रिहा होंगे यह प्राचार्य
अदालत में जमानत की अपील लगाने के दौरान कुछ आरोपियों ने एक से अधिक अपील की थी। जिसके अनुसार वह प्रिंसिपल होने के साथ-साथ स्कूल मैनेजमेंट कमिटी के सदस्य भी थे। इस तरह सामने आए फैसले में क्राइस्ट चर्च बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल की एकता पीटर और क्राइस्ट चर्च बॉयज एंड गर्ल्स स्कूल की एल एम साठे इन दोनों आरोपियों को उन आवेदनों में जमानत मिल गई है जिसमें इन्हें सिर्फ प्रिंसिपल बताया गया था, लेकिन अन्य आवेदन में इनके कमेटी मेंबर होने के कारण जमानत खारिज हुई है। तो इन दो आरोपियों को अदालत से जमानत मिलने के बाद भी उनकी रिहाई अभी मुमकिन नहीं होगी।
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नहीं चल सका इस्तीफा देने का बहाना
जमानत आवेदन में एक आवेदन चंद्रशेखर विश्वकर्मा की ओर से भी लगाया गया था चंद्रशेखर विश्वकर्मा पर चैतन्य स्कूल के प्रिंसिपल एडवाइजर रहते हुए अवैध फीस वसूली और फर्जीवाड़े आरोपी बनाया गया है। आरोपी चंद्रशेखर का यह दावा था कि वह नालंदा स्कूल का कर्मचारी था और उसने फरवरी 2023 में ही इस्तीफा दे दिया था और उसका चैतन्य स्कूल में कभी काम नहीं किया। सरकारी वकील की ओर से यह पक्ष रखा गया कि नालंदा स्कूल ने चैतन्य स्कूल को लीज देते हुए अपने स्कूल का नाम बदला है। शासन की ओर से स्कूल में हुई एक बैठक का दस्तावेज पेश किया गया। जिसमें साल 2024 में चंद्रशेखर के हस्ताक्षर बतौर प्रिंसिपल एडवाइजर थे। इस सबूत के आधार पर चंद्रशेखर के जमानत आवेदन को कोर्ट ने खारिज कर दिया।