मंत्रालय के दो सीनियर IAS officers के बीच जमकर हुई तू-तू , मैं-मैं, आई हाथापाई की नौबत

एमपी में दो सीनियर आईएएस अफसरों के बीच मंत्रालय में जमकर तू-तू, मैं-मैं किस बात पर हुई, क्यों दोनों के बीच हाथापाई तक की नौबत आ गई, आइए आपको बताते हैं विस्तार से....

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Marut raj
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Fight between two IAS officers Manish Rastogi and Lalit Dahima in MP.

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प्रमुख सचिव ने आंखें दिखाई तो सचिव ने पलटकर दिया करारा जवाब

उप सचिव ने किया बीच बचाव

भोपाल. मंत्रालय के सबसे अहम विभाग सामान्य प्रशासन एवं जेल विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी और जेल विभाग के सचिव ललित दाहिमा में जमकर विवाद हो गया। बहस तू—तू मैं—मैं से शुरू होकर हाथापाई की नौबत तक पहुंच गई। मामला आगे बढ़ता, उससे पहले जेल विभाग के उप सचिव कमल नागर ने बीच बचाव किया। इसके बाद दाहिमा ने मुख्य सचिव वीरा राणा से मुलाकात कर उन्हें पूरा घटनाक्रम बताया। उन्होंने लिखित में शिकायत करते हुए कहा कि वे प्रमुख सचिव रस्तोगी के साथ काम नहीं कर सकते। ऐसे में उनका तबादला अन्य किसी स्थान पर कर दिया जाए। इसके बाद दाहिमा ने मुख्यमंत्री कार्यालय में भी शिकायत की है।

यह मामला बुधवार का है। प्रमुख सचिव रस्तोगी ने विभागीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में सचिव ल​लित दाहिमा और उप सचिव नागर पहुंचे। प्रमुख सचिव दाहिमा को देखकर रस्तोगी भड़क गए और बोले कि तुम्हें बैठक में किसने बुलाया। इस पर दाहिमा ने कहा कि विभाग की बैठक है, इसलिए सचिव होने के नाते आया हूं। इसके बाद उन्होंने कमल नागर से कहा कि तुम दाहिमा को फाइल क्यों भेजते हो। इस पर नागर ने कहा कि सर, सरकार ने इन्हें विभाग में सचिव के पद पर पदस्थ किया है। ऐसे में उप सचिव होने के नाते मैं अपनी फाइल सचिव को भेज रहा हूूं। वे अपनी टीप के साथ आपको भेज रहे हैं। इस पर प्रमुख सचिव भड़क गए बोले कि आप सीधे फाइल मुझे भेजिए। सचिव को फाइल भेजने की कोई जरुरत नहीं है। यहां तक कि सचिव दाहिमा चुपचाप खड़े होकर सुन रहे थे। प्रमुख सचिव ने कहा कि इन्हें ( दाहिमा ) फाइलें करना नहीं आतीं। उल्टी सीधी टीप लिखते हैं। इसके साथ ही उन्होंने दाहिमा से कहा चलिए जाइए मेरे कैबिन से बाहर। यहां आने की जरुरत नहीं है। इस बात पर दाहिमा भड़क गए उन्होंने कहा कि मैं भी सचिव हूं। आप इस तरह से मुझे अपमानित नहीं कर सकते। इस पर प्रमुख सचिव बोले तुम मुझे समझाओगे किस तरह से बात करनी है। गेट आउट....। दाहिमा ने कहा मैं ऐसे तो नहीं जाउंगा। बात-बात मैं दोनों के तेवर तल्ख हो गए आस्तीनें भी चढ गईं। मामला बढ़ता देख उप​ सचिव कमल नागर ने मामले को ठंडा करने का प्रयास भी किया। प्रमुख सचिव नहीं माने चिल्लाते रहे, बोले कि तुम मेरे कैबिन से बाहर नहीं जाओगे तो मैं चला जाउंगा। इसके बाद वे उठकर बाहर निकले। इसके बाद सचिव और उप सचिव उनके पीछे गए और बोले कि सर आपका कैबिन है, आप बैठिए, हम चले जाते हैं। इस पर सचिव ने कहा कि आपका ये तरीका बिल्कुल ठीक नहीं है। आप इतने सिनियर हैं। अपने अधिनस्थों से इस तरह से अपमानित करना कहां तक सही है। इधर प्रमुख सचिव, सचिव और उप सचिव के बीच चल रही तनातनी के बीच मंत्रालय के चौथी मंजिल पर मौजूद पीयून और कर्मचारी इकटठा हो गए। मामले को बढ़ता देख प्रमुख सचिव अपने कैबिन में वापस चले गए। इस विवाद के बाद सचिव दाहिमा से बात की तो उन्होंने कहा कि जो मुझे कहना सुनना था, मुख्य सचिव को कह आया हूं। विभाग का मामला है मीडिया से इस संबंध में कोई बात नहीं कर सकता। 

ये दो केस हैं विवाद की जड़

पहला केस — सेंट्रल जेल से बंदी भागने के मामले में तत्कालीन जेल अधीक्षक जीपी ताम्रकार और सहायक जेल अधीक्षक मनोज तिवारी पर एफआईआर ना कराने के मामले में विभागीय जांच की फाईल आई थी, जिस पर जेल सचिव ललित दाहिमा ने टीप लगाई कि एक ही केस में दो अधिकारी आरोपी हैं, ऐसे में जेल अधीक्षक को दोष मुक्त करना और सहायक जेल अधीक्षक पर विभागीय एक्शन लेकर जांच करना उचित नहीं है। दोनों ही अधिकारियों का समान अपराध है तो दोनों पर एक्शन होना चाहिए।
 
दूसरा केस — जेल के फार्मासिस्ट को स्वास्थ्य विभाग के फार्मासिस्ट के समान स्केल ग्रेड पे न देने के मामले में हाईकोर्ट ने कंटेम्पट केस फाईल किया था। इस पर प्रमुख सचिव रस्तोगी का कहना था कि इसके तत्काल आदेश जारी किए जाएं। इस फाईल पर सचिव दाहिमा ने टीप लगाई कि ये मामला कर्मचारी आयोग और वित्त विभाग को भेजा जा चुका है। कर्मचारी आयोग ने भी वित्त विभाग को अपनी रिपोर्ट भेजकर कहा है​ कि जेल विभाग के फार्मासिस्ट को स्वास्थ्य विभाग के समान स्केल ग्रेड पे दिया जाए, लेकिन वित्त विभाग ने अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया। ऐसे में विभाग अपनी कार्रवाई पूरी कर चुका है वित्त विभाग के निर्णय के बाद ही आदेश जारी किए जा सकेंगे। दाहिमा ने ये भी लिखा कि एडवोकेट जनरल और प्रकरण देखने वाले अधिकारी को ये जानकारी दी जाए, जिससे हाईकोर्ट के सामने ये तथ्य आ सके। 

दोनों केसों में सचिव के फाइल पर टीप लगाने के बाद प्रमुख सचिव भड़क गए बोले कि तुम्हें आता जाता कुछ नहीं है। बेवजह का अपना ज्ञान पेलते रहते हो, आज के बाद तुम फाईल पर कुछ नहीं लिखोगे, इस पर सचिव दाहिमा ने कहा कि सरकार ने ​मुझे विभाग का सचिव बनाया है मैं अपना काम करूंगा। विवाद के बाद प्रमुख सचिव ने उप सचिव जेल नागर को​ निर्देश दिए हैं कि अब एक भी फाईल सचिव को न भेंजे। कल से दाहिमा के पास विभाग की एक फाईल नहीं गई। 


विवादों से पुराना नाता है मनीष रस्तोगी का 
पहला मामला नहीं है जब प्रमुख सचिव रस्तोगी अपने अधीनस्थ आईएएस अफसर से सीधे उलझे हों, इसके पहले भी उनकी कई आईएएस अफसरों से विवाद हुए हैं, लेकिन पहली बार उनके खिलाफ किसी अधिनस्थ आईएएस ने आवाज उठाई है।

पहला विवाद आईएएस नेहा मारव्या के साथ हुआ, जब रस्तोगी शिवराज सरकार में सीएम के प्रमुख सचिव होते थे। आईएएस नेहा मारव्या ने अपनी व्हाट्सएप पोस्ट में मनीष रस्तोगी को लेकर कई बातों का जिक्र करते हुए यहां तक लिखा था कि अब चुप रही तो एक महिला, आईएएस और इंसान होने के नाते शर्म आएगी।
आईएएस नेहा मारव्या की व्हाट्सएप पोस्ट आईएएस नेहा मारव्या ने अफसरों के व्हाट्सएप ग्रुप में लिखा कि 'यह पहला मौका है जब यह ग्रुप में मैं अपनी बात शेयर कर रही हूं। यदि मैंने अब भी शेयर नहीं किया और चुप रही तो महिला, आईएएस और मानव होने के नाते शर्म आएगी। यह ग्रुप महिला आईएएस अधिकारियों का है इस वजह से वे मुझे अच्छे से गाइड कर सकेंगी और मेरी मदद भी कर सकेंगी। मैं मनरेगा में एडिशनल सीईओ के तौर पर पदस्थ थी। 4 जुलाई से 7 जुलाई तक अवकाश पर थी। 7 जुलाई की शाम को मुझे सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव की ओर से कॉल आया कि मेरा तबादला राजस्व विभाग में उप सचिव के तौर पर कर दिया है। मनरेगा से रिलीव होने पहुंची तो... 8 जुलाई को मैं मनरेगा से रिलीव होने पहुंच गई। वहां से प्रक्रिया पूरी कर वल्लभ भवन पहुंच गई। जब मैं मुख्यमंत्री और राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी के चैंबर में गई तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उनके चैंबर में नहीं आ सकती हूं। उनके पास मुझे देने के लिए कोई काम भी नहीं है। मैंने तुम्हें सुधारने के लिए अंडर में रखा है। अब मैं तुम्हें देखता हूं। मैंने जब उनसे अपनी गलती पूछी तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। फिर मुझसे कहा कि मुझे बोलने का कोई हक नहीं है। फिर मैंने उनसे निवेदन किया कि मनरेगा के वाहन से मैं आई थी वो मैंने वापस कर दिया है। लिहाजा, मुझे किसी वाहन से घर भिजवा दें तो उन्होंने वाहन देने से इनकार कर दिया। जब मैंने उनसे पूछा कि मैं घर कैसे जाउंगी तो उन्होंने बोला कि स्टाफ से पूछ लो कि वो लोग वल्लभ भवन से घर कैसे जाते हैं? पीए के सामने बोले गेटआउट... इसके बाद उन्होंने अपने पीए को बुलाकर मुझे उसके सामने जलील करते हुए मुझे गेटआउट कहा। इसके बाद उप सचिव ने मेरे लिए वाहन उपलब्ध कराने की कोशिश तो प्रमुख सचिव ने उसे भी फटकार लगाकर ऐसा करने से रोक दिया। अब मुझे क्या इस मामले में चुप रहना चाहिए। जब पीएस के पास मेरे लिए कोई काम नहीं था तो उन्होंने मुझे अपने अंडर में क्यों बुलवाया? क्या उन्होंने मुझे प्रताड़ित करने के लिए रखा है? राजस्व विभाग में मेरे कोई कॉल रिसीव नहीं कर रहा है? न कोई मैसेज के जवाब दे रहा है और न कोई वाहन दिया गया है? वल्लभ भवन के सुरक्षा गार्ड मुझे घर छोड़ने जा रहे हैं? मेरे पास अब कहने के लिए कुछ नहीं बचा है. बहुत दुखद है?'

दूसरा विवाद  शिवराज सरकार में सचिव रहे ओपी श्रीवास्तव के साथ हुआ था। रस्तोगी ने अपने कैबिन में ओपी श्रीवास्तव से जमकर अभद्रता की, पहले तो ओपी सुनते रहे बाद में जब उनका सब्र जवाब दे गया तो वे बोले आपको जो करना है कर लिजिए, लेकिन तमीज से बात किजिए। इसके बाद ओपी उनके चैंबर से निकलकर बाहर आ गए, और उन्होंने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से शिकायत भी की। 

तीसरा विवाद  राजस्व विभाग के राजेश ओगरे के साथ प्रमुख सचिव रस्तोगी ने अभद्रता की, वे उससे क्षुब्ध होकर बिना बताए एक माह के अवकाश पर चले गए। बताते हैं कि रस्तोगी ने इसे अपने शान के खिलाफ माना जिसके चलते आज तक ओगरे को उस माह का वेतन नहीं मिला। 

चौथा मामला एक माह पहले जेल विभाग के उप सचिव कमल नागर से भी रस्तोगी ने जमकर अभद्रता की, हालांकि कमल नागर ने उनका प्रतिवाद नहीं किया। सूत्र ​बताते हैं कि कमल नागर के आईएएस बनने में भी रस्तोगी ने ही अड़गां लगाया था। जिसके चलते वे अब तक आईएएस नहीं बन पाए, उनका मामला आज भी जीएडी कार्मिक में चल रहा है।

 

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