जबलपुर हाईकोर्ट ने NGT के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें राजेश अग्रवाल के साथ ही प्रदीप गोयल की फैक्ट्री को भी पीड़ितों को अंतरिम मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। हालांकि, अब प्रदीप गोयल की इस हादसे में जिम्मेदारी दोबारा NGT ही तय करेगी।
6 फरवरी 2024 को हरदा जिले में पटाखा फैक्ट्री विस्फोट हुआ। इस हादसे में 13 लोग मारे गए और कई गंभीर रूप से घायल हुए। फैक्ट्री में काम कर रहे मजदूरों के मुताबिक, विस्फोट उस समय हुआ जब बारूद को बारीक किया जा रहा था। इस दौरान एक चिंगारी निकली, जिससे विस्फोट हुआ। चिंगारी ने वहां रखे विस्फोटक पदार्थों को आग में बदल दिया।
NGT ने लिया था मामले में स्वतः संज्ञान
इस मामले में NGT की भोपाल पीठ ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया और राजेश फायरवर्क्स समेत अन्य पक्षों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की। इसी प्रक्रिया में प्रदीप गोयल की फर्म प्रदीप फायरवर्क्स को भी पीड़ितों को अंतरिम मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी ठहराया गया, जबकि उनका कहना था कि उनका राजेश फायरवर्क्स से कोई संबंध नहीं है।
हाईकोर्ट ने NGT के आदेश को ठहराया अनुचित
प्रदीप गोयल ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि उन्हें बिना कोई सुनवाई का मौका दिए मुआवजा देने की जिम्मेदारी में शामिल कर दिया गया है, जबकि उनकी फर्म का न तो घटनास्थल से कोई लेना-देना है और न ही राजेश अग्रवाल की फर्म से कोई व्यावसायिक संबंध। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत सिंह रूपराह और अधिवक्ता आकाश मालपानी ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता की ओर से जो मांग की गई है उस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल ने साफ किया कि यदि कोई व्यक्ति दोषी है, तो उसे यह जानने का पूरा अधिकार है कि किस आधार पर उसके खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं। और यदि वह निर्दोष है, तो उसे मुकदमेबाजी में घसीटना न्याय की मूल भावना के विरुद्ध है।
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30 दिन में NGT करे सुनवाई : HC
हाईकोर्ट ने 29.05.2025 को पारित NGT के आदेश को रद्द करते हुए निर्देश दिया कि प्रदीप फायरवर्क्स के नाम को प्रतिवादियों की सूची से हटाने की मांग को NGT अंतिम सुनवाई में गंभीरता से सुने और प्रमाणों के आधार पर ही निर्णय ले। साथ ही कहा कि यह कार्यवाही आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर पूरी की जाए।
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राज्य की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में एक
हरदा में हुए इस हादसे को प्रदेश की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जा रहा है। विस्फोट के समय फैक्ट्री में बड़ी संख्या में मजदूर मौजूद थे। चश्मदीदों के अनुसार, चिंगारी से शुरू हुआ यह विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि आसपास की इमारतें भी हिल गईं और शवों की पहचान तक मुश्किल हो गई। हादसे के बाद शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल उठे थे।
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