संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर नगर निगम ( Indore Municipal Corporation ) बिल के 150 करोड़ के घोटाले में 'द सूत्र' ने ही सबसे पहले खुलासा किया था कि इसका मास्टर माइंड एक पूर्व निगमायुक्त का चहेता इंजीनियर है। आखिर वहीं चहेता इंजीनियर अभय राठौर ही जांच में आरोपी आया और पुलिस ने आरोपी बनाया है। राठौर फरार है। लेकिन इस मामले में अब पहली बड़ी कार्रवाई हुए है और चहेता इंजीनियर सस्पेंड कर दिया गया है।
महापौर ने सीएम को पत्र लिखकर की थी जांच की मांग
इंदौर नगर निगम के ड्रेनेज लाईन घोटाले की जाँच में प्रथम दृष्ट्या जो भी अधिकारी दोषी पाये गये हैं, उन्हें निलंबित कर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। साथ ही उच्चस्तरीय समिति का गठन कर जाँच होगी।
— Pushyamitra Bhargav (मोदी का परिवार) (@advpushyamitra) April 30, 2024
इस त्वरित कार्यवाही हेतु माननीय मुख्यमंत्री @DrMohanYadav51 जी एवं नगरीय प्रशासन मंत्री श्री…
मंगलवार को नगर निगम बिल घोटाले को अंजाम देने वाले निगम के इंजीनियर अभय राठौर के साथ ही उसके रिश्तेदार और निगम में सब इंजीनियर उदय भदौरिया और एंट्री ऑपरेटर चेतन भदौरिया को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। इसमें राठौर अभी फरार है और वहीं उदय और चेतन भदौरिया को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। इस कार्रवाई पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव एवं नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को धन्यवाद दिया है। महापौर ने कुछ दिन पहले ही सीएम डॉ. मोहन यादव और नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से उच्च स्तरीय जांच के लिए पत्र लिखा था। सोमवार को सीएम इंदौर आए थे, तब भी महापौर ने यह मुद्दा उठाया था। इसके बाद मंगलवार को एक्शन हो गया।
राठौर का हिस्सा 50 फीसदी तक था
पुलिस की जांच में आया है कि इस पूरे गैंग का मास्टमाइंड राठौर था। फर्जी फाइल बनवाने का काम राठौर का था वहीं इंट्री कराने व अन्य काम के लिए निगम से उदय और चेतन भदौरिया मदद करते थे। फर्जी बिल बनाने का काम इन पांचों फार्म और उनके संचालक ग्रीन कंस्ट्रक्शन के मोहम्मद सिद्दकी, नींव कंस्ट्रक्शन के मोहम्मद साजिद, किंग कंस्ट्रक्शन के मोहम्मद जाकिर (जाकिर और साजिद सिद्दकी के बेटे हैं), क्षितिज इंटरप्राइजेस की रेणु वढेरा और जान्हवी इंटरप्राइजेस की रेणु वढेरा करते थे। खासकर इसमें भी जाकिर और राहुल वढेरा की सबसे ज्यादा भूमिका थी। यह भी सामने आ चुका है कि फर्जी फाइल से मिलने वाले बिल भुगतान में से 40 से 50 फीसदी हिस्सा राठौर रखता था, बाकी हिस्सा में निगम के अन्य लोग और फर्जी कंपनी संचालक रखते थे।
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा होगी उच्च स्तरीय जांच
इंदौर नगर निगम के बहुचर्चित ड्रेनेज घोटाले की प्राथमिक जांच के तहत जो तथ्य सामने आए है, उसके अनुसार इस घोटाले में सम्मिलित अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दे रहा हूं।
— Kailash Vijayvargiya (Modi Ka Parivar) (@KailashOnline) April 30, 2024
इस पर एक उच्च स्तरीय समिति जांच करेंगी।
वहीं नगरीय प्रशासन मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि निगम के बहुचर्चित ड्रेनेज घोटाले की प्राथमिक जांच के तहत जो भी तथ्य सामने आए हैं, उनके अनुसार इस घोटाले में सम्मिलित अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दे रहा हूं। इस पर एक उच्च स्तरीय समिति जांच करेगी। विजयवर्गीय ने पहले भी कहा था कि इस मामले में सीएम से चर्चा हुई है कार्रवाई होगी।
नेता प्रतिपक्ष सिंघार लगातार हो रहे थे हमलावर
इस मामले में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार लगातार निगम और बीजेपी पर हमलावर हो रहे थे। सिंघार ने कहा था कि स्वच्छता में नंबर वन इंदौर में यह घोटाला हुआ है। उन्होंने यहां तक श्रेय लिया था कि यह 28 करोड़ का बिल घोटाला उन्होंने उजागर किया है।
ऑडिट शाखा के तीन कर्मचारी पर भी होगी कार्रवाई
नगर निगम की प्रारंभिक जांच में आडिट शाखा के डिप्टी डायरेक्टर समरसिहं परमार, सीनियर ऑडीटर जगदीश अहरोलिया और असिस्टेंड ऑडिटर रामेश्वर परमार भी दोषी पाए गए हैं। इन पर कार्रवाई के लिए निगमायुक्त शिवम वर्मा पहले ही शासन को पत्र भेज चुके हैं। वहीं इसके पहले विनियमितकर्मी सुनील भंवर और भूपेंद्र पुरोहित को निगमायुक्त पहले ही लेखा शाखा से ट्रेचिंग ग्राउंड ट्रांसफर कर दिया था, ताकि जांच प्रभावित नहीं हो।
इंदौर नगर निगम घोटाले में पुलिस ने की एक और गिरफ्तारी
नगर निगम के क्लर्क राजकुमार साल्वे फर्जीवाड़ा करते हुए फार्मों के नाम पर चेक जारी करने का काम कर रहा था। राजकुमार 30 साल से निगम में क्लर्क है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए राजकुमार साल्वे को गिरफ्तार कर लिया है।