MP News: पूर्व आईएएस अधिकारी रमेश थेटे को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच से बड़ा झटका लगा है। उन्होंने भ्रष्टाचार के केस में दायर की गई क्रिमिनल रिवीजन याचिका में राहत की उम्मीद जताई थी, लेकिन न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की बेंच ने याचिका खारिज कर दी है।
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
रमेश थेटे, तहसीलदार आदित्य शर्मा, पटवारी मनोज तिवारी व अन्य अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और अधिकारों के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं। पुलिस ने शिकायतों की जांच के बाद मामला दर्ज किया और सभी के खिलाफ चालान कोर्ट में पेश किया।
आरोपों की पुष्टि के बाद कोर्ट ने तय किए चार्ज
जांच के बाद हाई कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे। इसके विरुद्ध संबंधित अधिकारियों ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका लगाई थी, जिसमें कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।
जांच और ट्रायल में कोई खामी नहीं
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ट्रायल कोर्ट की प्रक्रिया में कोई त्रुटि नजर नहीं आती। पुलिस द्वारा की गई जांच विस्तृत और निष्पक्ष रही। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब जिला अदालत में मामले की सुनवाई तेजी से आगे बढ़ सकती है।
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विवादों में रहते थे थेटे
रमेश थेटे एक पूर्व आईएएस अधिकारी हैं जो अपने विवादित बयानों और सामाजिक न्याय के प्रति मुखर रवैये के लिए जाने जाते हैं। महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले थेटे ने प्रशासनिक सेवाओं में जातिगत भेदभाव के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई थी। उन्होंने दलित समुदाय के अधिकारों के पक्ष में कई बार अपनी बात रखी, जिससे वे सुर्खियों में रहे। हालांकि, उन पर भ्रष्टाचार और अधिकारों के दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोप भी लगे हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया, जिससे वे फिर चर्चा में आ गए हैं।
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