INDORE. नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र और पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय बल्ला कांड से बरी हो गए हैं। उनके सहित कुल दस आरोपी थे और सभी को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए आरोपों से मुक्त कर दिया। इस दौरान आकाश विजयवर्गीय कोर्ट में मौजूद थे।
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यह बना बरी होने का आधार...
- विजयवर्गीय और अन्य आरोपियों की ओर से अविनाश सिरपुकर और उदय प्रताप कुशवाहा वकील थे। कुशवाहा ने बताया कि कोर्ट में यह साबित नहीं हुआ कि यह वीडियो किसने और कहां पर कैसे बनाया। इसकी सत्यता फरियादी पक्ष नहीं कर सका। साथ ही सामने नहीं आया कि यह वीडियो की पैनड्राइव किस तरह से आई।
- दूसरा अहम पहूल यह रहा कि जिसे बल्ले से पीटा गया भवन अधिकारी धीरेंद्र बायस खुद ही अपने बयान से पलट गए, उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी को बल्ला मारते हुए नहीं देखा।
- इसके बाद जो घटना में शामिल बल्ला था, उसकी जब्ती पुलिस ने खुले में बताई है, यानी यह कहीं पर पड़ा हुआ था, यह आकाश से जब्त होना नहीं बताया गया था। इसे भी माना गया कि यह तो कोई भी बल्ला हो सकता है।
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यह थे आरोपी और आरोप
घटना 26 जून 2019 को कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के समय की है, जब जर्जर मकान रिमूवल की कार्रवाई पर नाराज होकर तत्कालीन विधायक आकाश विजयवर्गीय अपने समर्थकों की टीम के साथ पहुंचे थे और बल्ला लेकर रिमूवल टीम को मारा था। उन पर इस मामले में धारा 353, 323, 294 और 506 लगी थी। जिसमें विजयवर्गीय के साथ ही जीतू, प्रेम, भल्लू, मुन्ना, बबलू, मोनू कल्याणे सहित कुल 11 आरोपी बने थे। मोनू का निधन हो चुका है। बाकी बचे 10 आरोपियों को बरी कर दिया गया।
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