मध्यप्रदेश के उज्जैन में सावन की चौथी सवारी में उमा महेश स्वरूप में नजर आएंगे बाबा महाकाल। इस सवारी में भोलेनाथ नंदी रथ पर सवार होकर उमा महेश स्वरूप में प्रजा का हाल जानेंगे और भक्तों को दर्शन देंगे। सवारी के बढ़ते हुए क्रम के साथ भगवान का नया मुखौटा इसमें शामिल होता है। तीसरे सोमवार को भगवान महाकाल श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी में, हाथी पर श्री मनमहेश के रूप में और गरूड़ रथ पर शिव-तांडव रूप में विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले थे।
4 बजे सभा मंडपम में पूजन के बाद सवारी
12 अगस्त को शाम 4 बजे सभा मंडपम में पूजन के बाद सवारी निकलने का क्रम शुरू होगा। महाकाल मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बलों की टुकड़ी बाबा महाकाल को सलामी देगी। इसके बाद इस सवारी में भोलेनाथ चांदी की पालकी में नंदी रथ पर सवार होकर उमा-महेश स्वरूप में प्रजा का हाल जानेंगे और भक्तों को दर्शन देंगे।
परंपरागत मार्ग से ही निकलेगी सवारी
बाबा महाकाल की उमा-महेश के स्वरूप में सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी। जहां शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई दौबारा श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी।
पिछले सोमवार को ये था स्वरूप
सावन के पहले सोमवार पर बाबा महाकाल का मनमहेश स्वरूप में श्रृंगार के बाद बाबा को पगड़ी पहनाई जाती है। इस स्वरूप में बाबा को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है। बाबा महाकाल अपने इस स्वरूप में भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। दूसरे सोमवार को चंद्रमौलीश्वर स्वरूप में प्रजा का हाल जानने निकले थे। चंद्रमौलीश्वर का अर्थ होता है कि चंद्रमा की निष्कलंक दूज की कला जिनके मस्तक में शोभित हो रही है। इसके बाद तीसरी सवारी में महाकाल ने मनमहेश के स्वरूप के साथ गरूड़ रथ पर शिव-तांडव रूप में भ्रमण किया था।