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मध्य प्रदेश में लाड़ली बहनों के नाम पर छपवाए गए कैलेंडर में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। लगभग डेढ़ करोड़ कैलेंडर शिवराज सरकार के समय विधानसभा चुनाव से पहले छपवाए गए थे। इन कैलेंडरों का उद्देश्य राज्य के विभिन्न जिलों में लाड़ली बहनों को वितरण करना था, लेकिन इन कैलेंडरों का बड़ा हिस्सा जिलों में बंटा ही नहीं किया गया। बावजूद इसके, इन कैलेंडरों के बिलों का भुगतान किया गया। यह मामला विधानसभा में उठने के बाद चर्चाओं में आया है और प्रदेश सरकार पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
विधानसभा में उठा घोटाले पर सवाल
इस घोटाले की जानकारी तब सामने आई जब बालाघाट की विधायक अनुभा मुंजारे ने एमपी विधानसभा में इस मामले को उठाया। उन्होंने सवाल किया कि बालाघाट जिले में जो कैलेंडर छपकर आए थे, उनका वितरण क्यों नहीं हुआ, जबकि उनके लिए भुगतान किया जा चुका था।
विधायक अनुभा मुंजारे के सवाल पर विभागीय मंत्री निर्मला भूरिया ने स्वीकार किया कि बालाघाट में 3 लाख 61 हजार 832 कैलेंडरों में से 1.64 लाख कैलेंडर का वितरण नहीं हो पाया और इसकी जांच की जा रही है।
लाड़ली बहनों के नाम पर छपे कैलेंडर घोटाले पर एक नजर...यहां कुछ जरूरी जानकारी दी जा रही है जो इस घोटाले से जुड़ी है-
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नहीं बंटे कैलेंडर फिर भुगतान क्यों
विधायक अनुभा मुंजारे ने यह भी सवाल उठता है कि जब इन कैलेंडरों का वितरण ही नहीं हुआ तो फिर भुगतान कैसे किया गया? यह सीधा आरोप प्रशासनिक अधिकारियों पर लगता है कि उन्होंने पूरी प्रक्रिया में लापरवाही बरती और आम जनता के पैसे का दुरुपयोग किया।
जानें कैलेंडर छपवाने का उद्देश्य क्या था?
लाड़ली बहन योजना मध्य प्रदेश सरकार के जरिए एक प्रमुख पहल के रूप में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य राज्य में लड़कियों को प्रोत्साहित करना और उनके लिए आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना था। इस योजना के तहत, राज्य सरकार ने लाड़ली बहनों के नाम पर विभिन्न प्रचार कार्यकर्मों के जरिए जागरूकता फैलाने के प्रयास किए थे। इनमें से एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम कैलेंडर वितरण था, जिसे राज्य के हर जिले में लाड़ली बहनों के बीच वितरित किया जाना था।
इस योजना के तहत 52 जिलों में 1.5 करोड़ कैलेंडर छपवाए गए थे। इनकी कीमत प्रति कैलेंडर 6.27 रुपए थी। हालांकि, एक बड़ी संख्या में कैलेंडरों का वितरण नहीं हुआ, लेकिन इसका भुगतान पहले ही कर दिया गया था।
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दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई- मंत्री भूरिया
मामला विधानसभा में उठाए जाने के बाद, इसकी गहन जांच की जाने की बात की गई है। हालांकि, यह केवल बालाघाट जिले तक सीमित नहीं था, बल्कि अन्य जिलों में भी यही स्थिति थी। सरकारी विभागों के जरिए कैलेंडरों के वितरण में इस तरह की लापरवाही और अनियमितताओं का होना, यह दर्शाता है कि इस मामले में बड़ा घोटाला हुआ है।
विभागीय मंत्री निर्मला भूरिया ने इस घोटाले की जांच की बात की, और यह वादा किया कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस मामले के सामने आने के बाद, यह सवाल खड़ा होता है कि इस तरह की अनियमितताएं और घोटाले राज्य सरकार के अन्य कार्यक्रमों में भी हो सकते हैं, जिन्हें ठीक से जांचा नहीं जा रहा है।
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