MP News: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर खंडपीठ ने गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल में वर्ष 2021 में लैब असिस्टेंट और तकनीशियन पदों पर हुई कथित अवैध नियुक्तियों के मामले में कड़ा निर्देश जारी किया है। अदालत ने राज्य सरकार को यह आदेश दिया कि छह सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए और आवश्यक कार्रवाई की जाए। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश माननीय श्री सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति श्री विवेक जैन की युगल पीठ द्वारा जारी किया गया।
क्या है पूरा मामला, ऐसे समझिए
याचिका क्रमांक 10725/2025 में याचिकाकर्ता वीर सिंह लोधी द्वारा दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह मामला सामने आया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि वर्ष 2021 में गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल में लैब असिस्टेंट और तकनीशियन पदों पर नियमों के विपरीत नियुक्तियां की गईं थीं। इसके बावजूद, शिकायतों और पूर्व आदेशों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
कोर्ट ने क्या आदेश दिया
याचिका में पक्ष रखते हुए अधिवक्ता अक्षांश श्रीवास्तव ने अदालत के समक्ष यह दलील दी कि राज्य सरकार द्वारा दिनांक 1 मई 2024 और 19 सितंबर 2024 को दिए गए आदेशों के अनुसार जांच समिति गठित की गई थी, लेकिन आज तक समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। इस पर अदालत ने राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए कि वह छह सप्ताह के भीतर जांच समिति की रिपोर्ट पेश करे और निर्णय की प्रति याचिकाकर्ता को तीन दिनों के भीतर उपलब्ध कराए।
यह मामला मध्यप्रदेश में सार्वजनिक भर्तियों की पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। विशेष रूप से चिकित्सा महाविद्यालय जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में हुई अवैध नियुक्तियों ने सवाल उठाए हैं कि क्या राज्य सरकार और संबंधित विभाग इन नियुक्तियों को सही तरीके से अंजाम दे रहे हैं या इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी हो रही है।
F&Q (Frequently Asked Questions)
FAQ
1. गांधी मेडिकल कॉलेज में अवैध नियुक्तियों के बारे में कोर्ट ने क्या आदेश दिया?
कोर्ट ने राज्य सरकार को छह सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगर याचिकाकर्ता को निर्णय से असंतोष होता है, तो वह विधि अनुसार आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।
2. इस मामले में याचिकाकर्ता ने क्या आरोप लगाए थे?
याचिकाकर्ता श्री वीर सिंह लोधी ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2021 में गांधी मेडिकल कॉलेज में लैब असिस्टेंट और तकनीशियन पदों पर अवैध नियुक्तियां की गईं, जो नियमों के विपरीत थीं।
3. इस मामले ने मध्यप्रदेश में क्या मुद्दे उठाए हैं?
इस मामले ने मध्यप्रदेश में सार्वजनिक भर्तियों की पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दे को एक बार फिर से उठाया है, खासकर जब मामला एक महत्वपूर्ण चिकित्सा महाविद्यालय से जुड़ा हो।