गर्भकाल : डॉ.मोहन यादव...न फेल और न पास!

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने 13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 13 सितंबर 2024 को सरकार के कार्यकाल के 9 माह पूरे हो जाएंगे। कैसा रहा सरकार का गर्भकाल नौ महीने में कितने कदम चली सरकार, द सूत्र लेकर आया है पूरा एनालिसिस...पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार महेश दीक्षित का विशेष आलेख...

Advertisment
author-image
The Sootr
एडिट
New Update
महेश दीक्षित
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

महेश दीक्षित@भोपाल.

डॉ. मोहन यादव 13 दिसंबर 2023 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए थे। कहने का अर्थ है कि डॉ.मोहन यादव को मध्यप्रदेश की जनता का सेवक नियुक्त किए हुए उतने (नौ) महीने हो गए हैं, जितने महीने में कोई मां स्वस्थ संतानोत्पत्ति करती है, लेकिन ये महीने मोहन सरकार के प्रसवकाल के ही कहे जाएंगे, क्योंकि नौ महीने तो किसी नवजात के आंख-कान-नाक अर्थात् उसके शारीरिक निर्माण में ही लग जाते हैं। इसलिए डॉ.मोहन यादव बतौर मुख्यमंत्री कितने योग्य साबित हुए, मध्यप्रदेश की जनता के भरोसे पर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कसौटी पर कितने खरे उतरे? यह कहना फिलहाल समीचीन नहीं होगा।

गर्भकाल…
मोहन यादव सरकार के नौ माह और आपका आंकलन…
कैसी रही सरकार की दशा और दिशा…
आप भी बताएं मोहन कौन सी तान बजाएं….
इस लिंक पर क्लिक करके जानें सबकुछ…

https://thesootr.com/state/madhya-pradesh/cm-mohan-yadav-garbhkal-the-sootr-survey-6952867 

फिर इन नौ महीनों में से एक महीना उन्हें अपनी टीम (मंत्रिमंडल चयन) बनाने और दो महीने लोकसभा चुनाव संपन्न कराने में निकल गए। हालांकि मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही डॉ.मोहन यादव ने जो त्वरित अंदाज-ए-बयां (तेवर) दिखाए थे और जो फैसले लिए थे, चाहे वो धार्मिक स्थलों से लाउड स्पीकर बंद कराने का मामला हो या फिर खुले में मांस बिक्री करने वाली दुकानों को बंद कराने और गुना में हुए बस अग्निकांड के बाद प्रदेश की सड़कों पर अवैध रूप से दौड़ रहीं निजी बसों को बंद करने और जिम्मेदारों पर कार्रवाई का फैसला हो, को देखकर तब प्रदेश की जनता ने यह जरूर कहा था कि हमें तो ऐसा ही तत्काल एक्शन लेना वाला मुख्यमंत्री चाहिए था, जो मिल गया है।

एक और जो खास बात है, इन नौ महीनों में मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव का जो चाल, चरित्र और चेहरा सामने आया। उन्होंने इस दौरान तमाम मामलों में प्रदेश की लाल फीताशाही और अफसर शाही पर जो कार्रवाईयां की। राज्य मंत्रालय बैठे ब्यूरोक्रेट्स पर अंकुश लगाया, जिस तरह से आम जनता के प्रति निरकुंशता, वैमनस्यता दिखाने वाले और भ्रष्ट आचरण करने वाले अधिकारियों को निलंबित किया। उसने यह तो सिद्ध किया कि उनके भीतर भी एक ऐसे आम आदमी का हृदय धड़कता है। जिसने आम आदमी की पीड़ा को अपने अंतस में भोगा और देखा है, लेकिन इसके बाद भी डॉ.मोहन यादव को बतौर मुख्यमंत्री न पास किया जा सकता है और न फेल..! क्योंकि काम करने के लिए उनके पास अभी चार साल से ज्यादा का समय है, जिसमें उनकी कार्य शैली-कार्य व्यवहार, राजनीतिक योग्यता-दक्षता, बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता की कठिन परीक्षा होना बाकी है।

उनकी यह परीक्षा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की जननेता की छवि, उनके उन्नीस साल के कार्यकाल और उनकी उपलब्धियों की फेहरिस्त के मुकाबले भी है। इसके अलावा उन्हें अभी यह भी पूर्णत: साबित करके दिखाना है कि वे सिर्फ जनता के सुख-समृद्धि के लिए गतिशील हैं। उनके प्रत्येक राजनीतिक-प्रशासनिक निर्णय के केंद्र में 'सिर्फ' प्रदेश की 'जनता' का सुख है। मध्यप्रदेश की समृद्धि और विकास है। न कि सिर्फ 'अपनी' और 'उज्जैन' की समृद्धि एवं विकास है।

हालांकि, अभी विपक्षियों-विरोधियों और उनके द्वारा पोषित तथाकथित बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और मीडिया घरानों द्वारा प्रदेश की जनता का यह मानस बनाया जा रहा है और यह प्रचारित किया जा रहा है कि डॉ.मोहन यादव ‘मध्यप्रदेश की जनता’ के नहीं, दिल्ली के ‘कठपुतली’ मुख्यमंत्री हैं। उन्हें दिल्ली शीर्ष नेतृत्व ने काम करने के लिए फ्रीहैंड नहीं दिया है। उन्हें सिर्फ इतना कहा गया है कि बतौर मुख्यमंत्री आप केवल उद्घाटन-लोकार्पण कार्यक्रम और मध्यप्रदेश का सैर सपाटा करो, बाकी मध्यप्रदेश को लेकर कब-क्या और कैसे फैसले लेने हैं? क्या काम करना है? यह सब हम दिल्ली से तय करेंगे। खैर, जो भी हो मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव को दिल्ली के 'औरा' से बाहर निकलना है। विपक्षियों-राजनीतिक विरोधियों द्वारा रचित इस कुचक्र और कुप्रचार को सूझबूझ से नेस्तनाबूद करते हुए मध्यप्रदेश को समृद्धि और विकास के पथ पर तेजी आगे बढ़ाना है और अब तक मध्यप्रदेश के जितने भी चाणक्य-बंटाढार मुख्यमंत्री हुए, उनसे स्वयं को श्रेष्ठतर-योग्यतर और ‘कृष्ण कला’ में सिद्ध राजनेता व मुख्यमंत्री साबित करना है। खैर हम मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव से यही कहेंगे कि

काम करो ऐसा कि पहचान बन जाए, हर कदम ऐसा चलो कि निशान बन जाए।
यहां जिंदगी तो सभी काट लेते हैं, जिंदगी जियो ऐसी कि मिसाल बन जाए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनकी निजी विचार हैं।)

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

Garbhkal CM Mohan Yadav Madhya Pradesh government गर्भकाल Journalist Mahesh Dixit पत्रकार महेश दीक्षित मुख्यमंत्री मोहन यादव TheSootr मध्य प्रदेश सरकार