गर्भकाल : उद्योगों के साथ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 13 सितंबर 2024 को सरकार के कार्यकाल के 9 माह पूरे हो जाएंगे। कैसा रहा सरकार का गर्भकाल, 9 महीने में कितने कदम चली सरकार, 'द सूत्र' लेकर आया है पूरा एनालिसिस, पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह का विशेष आलेख...

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पत्रकार मृगेंद्र सिंह
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मृगेंद्र सिंह @ भोपाल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आठ माह के कार्यकाल को अगर एक पत्रकार की दृष्टि से देखा जाए तो यह कहा जा सकता है कि धार्मिक पर्यटन और उद्योगों को बढ़ावा देने के मामले में उन्होंने ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। 13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही उन्होंने जनता के हितों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा, जिससे पूरे राज्य में एक सकारात्मक संदेश गया है कि यह सरकार जनता की सेवा के लिए है।

  • गर्भकाल …
  • मोहन यादव सरकार के नौ माह और आपका आंकलन…
  • कैसी रही सरकार की दशा और दिशा…
  • आप भी बताएं मोहन कौन सी तान बजाएं…. 
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खास बात यह है कि डॉ. मोहन यादव द्वारा अब तक लिए गए तमाम निर्णयों से प्रदेश की लंबित कई समस्याओं के निदान की चिंता भी दिखाई पड़ती है। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद धार्मिक स्थलों में तेज रफ्तार से बजने वाले लाउड स्पीकर पर रोक लगाई और अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए कि तय ध्वनि सीमा से अधिक लाउडस्पीकर न बजाए जाएं। हालांकि इसे लेकर धार्मिक संगठनों ने कई स्थानों पर विरोध भी किया, लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपना निर्णय नहीं बदला। इससे ध्वनि प्रदूषण तो कम हुआ ही है, आम आदमी विशेषकर छात्रों ने काफी राहत महसूस की है। नहीं तो धार्मिक स्थलों के आसपास रहने वाले नागरिकों का तेज आवाज से बजने वाले लाउड स्पीकर के कारण रहना दूभर हो गया था। 

  • उनका दूसरा फैसला खुले में मांस और अंडे की बिक्री पर सख्ती से रोक का रहा। विपक्षी दलों ने इस आदेश में भाजपा और उसके अनुषांगिक संगठनों का साम्प्रदायिक एजेंडा देखा और इसे मुसलमानों के खिलाफ बताने की भी कोशिश की, लेकिन प्रदेश की आम जनता ने इसका स्वागत ही किया, क्योंकि यह नियम प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों के लिए समान रूप से लागू किया गया था। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस फैसले को देखें, तो खुल में मांस बिक्री सेहत के लिए हानिकारक है। यही वजह रही कि जनता की तरफ से इस फैसले की सराहना हुई।
  • मोहन सरकार का एक अहम फैसला राज्य में विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद भोपाल में एक भाजपा कार्यकर्ता पर हमला कर उसकी कलाई काटने के आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने का था। हाल ही में छतरपुर में पुलिस पर हमला करने वालों के घर बुलडोजर चलाकर यह साफ किया कि गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आरोपी को हर कीमत पर सबक सिखाया जाएगा।
  • मोहन सरकार का एक और बड़ा फैसला प्रदेश की राजधानी भोपाल में हमेशा सुर्खियों में रहने वाले बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रासंपोर्ट सिस्टम) के खात्मे का रहा। भोपाल में निर्मित बीआरटीएस शुरू से विवादों में रहा। 13 वर्ष पहले शिवराज सरकार के कार्यकाल में बना यह बीआरटीएस 360 करोड़ रुपये खर्च के बाद भी सफल नहीं रहा।

मोहन सरकार ने नौकरशाही पर नकेल कसते हुए पारदर्शी प्रशासन और जीरो टॉलरेंस नीति के माध्यम से सुशासन का संदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने इस दौरान सभी को यह संदेश दिया है कि जनता को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए और जनता की समस्याएं अधिकारी तत्परता के साथ सुलझाने की कोशिश करें। मोहन सरकार ने एसीएस, एडीजी स्तर के अधिकारियों को अपने कार्यालयों से बाहर निकलकर जमीन पर जाने के आदेश से प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचाई। पहली बार संभागों का प्रभार एसीएस और एडीजी स्तर के अधिकारियों को दिए, जो रेगुलर जिलों में अधिकारियों की बैठक लेकर विकास कार्यों और जनता की समस्याओं की समीक्षा करते हैं। इसकी रिपोर्ट मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजी जाती है। इसकी नियमित समीक्षा भी होती है। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने  गुना बस हादसे के लिए पूरी नौकरशाही को जिम्मेदार मानते हुए कलेक्टर पर एक्शन लेने के साथ ही अधिकारियों को सस्पेंड कर अपने बुलंद इरादे सभी के सामने जता दिए। पहली बार बस हादसे में कलेक्टर, एसपी के साथ परिवहन आयुक्त को हटाया गया। प्रदेश में जन समस्याओं से जुड़ा एक मुद्दा जिलों, तहसीलों और थानों की सीमा के पुनर्निधारण का है, जिसके लिए एक कमेटी बनाने का फैसला मोहन सरकार ने किया है। इसकी शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इंदौर संभाग से की गई। राज्य में कई तहसीलों और थानों की भौगोलिक सीमाएं ऐसी हैं, जो स्थानीय नागरिकों की पहुंच से सरकार और प्रशासन की खाई को चौड़ा करती हैं। मोहन सरकार ने अपने दूरदर्शी फैसले से इसे पाटने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उच्च शिक्षा में गुणवत्ता के उद्देश्य से हर जिले में प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज भी खोले हैं। जमीनों के फर्जीवाड़े को रोकने की दिशा में रजिस्ट्री के साथ अब नामांतरण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री ने एक और बड़ा निर्णय लिया कि जनता से बदसलूकी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बदसलूकी करने वाले अधिकारियों को तत्काल हटा भी दिया गया। 

  • धार्मिक पर्यटन की बात की जाए तो मोहन कैबिनेट बीती चार मार्च को अयोध्या में राममंदिर में रामलला के दर्शन को गई। इसमें मंत्रियों को परिवार संग ले जाया गया। सीएम भी खुद पत्नी सहित दर्शन को गए। मुख्यमंत्री मोहन के गृह जिले उज्जैन पर सरकार का फोकस है। वहां दुनिया की पहली वैदिक घड़ी की स्थापना की गई। वर्चुअल लोकार्पण पीएम नरेंद्र मोदी ने किया। रीजनल इंवेस्टर समिट की शुरुआत भी उज्जैन से की। प्रशासनिक कसावट के लिए संभागीय स्तर पर बैठकों व समीक्षा की शुरुआत भी सीएम ने उज्जैन से की थी।
  • विक्रमोत्सव को बड़ा स्वरूप दिया गया। उज्जैन को धर्म-धर्मस्व मंत्रालय का संचालनालय बनाया गया, ताकि सभी धार्मिक गतिविधियां सुचारू रूप से हो सकें। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने श्री राम वन पथ गमन और कृष्ण पथ गमन स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस पर काम भी शुरू हो गया है। चित्रकुट और मैहर लोक का निर्माण भी धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में एक सराहनीय पहल है। 2028 में होने वाले सिंहस्थ की भी अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इस बार उज्जैन का सिंहस्थ और भव्य बनाने के प्रयास किए जा रह हैं। इसके अलावा जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए एयर एंबुलेंस की सुविधा भी शुरू कराई गई ताकि विषम हालात में इसका फायदा गंभीर मरीजों को मिल सकेगा।

मोहन सरकार के प्रमुख निर्णय 

  • मध्य प्रदेश में मोहन यादव सरकार ने गौ तस्करी को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया। राज्य सरकार की तरफ से मध्य प्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। नए कानून के तहत सात साल की सजा का प्रावधान है।
  • स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग को एक किया गया।
  • मध्यप्रदेश क्लाउड पॉलिसी 2024 का अनुमोदन हुआ।
  • पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के भत्तों में वृद्धि की स्वीकृति
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की कनेक्शनधारी बहनों को गैस रिफिल 450 रूपये में उपलब्ध कराने का निर्णय
  • श्री रामचन्द्र पथ-गमन न्यास का गठन किया गया।
  • प्रदेश में अनुकंपा नियुक्ति के लिये पुत्रियों को भी समान अधिकार का निर्णय। 
  • हर संभाग स्तर पर रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन, जिसमें छोटे-छोटे संभागों में देश के बड़े -बड़े उद्योगपति पहुंच रहे हैं और उद्योग लगाने में अपनी रूचि दिखा रहे हैं। ग्वालियर की इंडस्ट्रीयल मीट में अडानी का आना इसी बात का संकेत है।
  • डॉ. मोहन यादव संगठन को साथ लेकर चले। वे सरकार के साथ ही संगठन को पूरा महत्व दे रहे हैं। हर प्रमुख निर्णय संगठन से चर्चा करके लेते हैं। मोहन यादव और बीडी शर्मा की जोड़ी ने लोकसभा चुनाव में इतिहास रचा। पहली बार प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की।
  • डॉ. मोहन यादव कार्यकर्ताओं को इतना महत्व देते हैं कि मुख्यमंत्री निवास के पास स्थित बूथ क्रमांक 111 की बूथ समिति और पन्ना पदाधिकारियों को मुख्यमंत्री निवास पर भोजन के लिए आमंत्रित किया और कार्यकर्ताओं के साथ भोजन किया।

लेखक दैनिक पब्लिक वाणी के संपादक हैं। इस लेख में उनके निजी विचार हैं।

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