संजय शर्मा, BHOPAL. प्रदेश के मंत्रियों ( ministers ) और अधिकारियों को नीति की शिक्षा देने वाले सुशासन संस्थान(AiGGPA) का झूठ सामने आया है। यह झूठ उस वर्कशॉप से जुड़ा है जो अटल बिहारी बाजपेई सुशासन ( good governance ) एवं नीति विश्लेषण संस्थान में 3 और 4 फरवरी को हुआ था। वर्कशॉप में मंत्रियों को राजकाज के गुर सिखाने सरकार ने बेहिसाब खर्च भी किया था। इस प्रशिक्षण और सामग्री के अलावा EQ ( इमोशनल क्वोशन्ट) रिपोर्ट कार्ड की स्थिति बताने से अब AiGGPA बच रहा है। सूचना का अधिकार के आवेदन पर भी गलत जवाब दिया गया है। लेकिन GAD ने सुशासन संस्थान के झूठ से पर्दा उठा दिया है। अब न केवल संस्थान बल्कि उस प्रशिक्षण भी कटघरे में है जिसमें मंत्री शामिल हुए थे।
आखिर क्या है पूरा मामला
AiGGPA में 3-4 फरवरी को मंत्रियों को जो प्रशिक्षण दिया गया उसे 'मोदी का गुड गवर्नेंस' थीम पर रखा गया था। इसमें शासन चलाने के तौर- तरीकों के साथ ही नीति, कैपेसिटी बिल्डिंग, स्ट्रैस मैनेजमेंट के गुर भी सिखाये गए। जिसके लिए विशेषज्ञ भी बुलाए गए थे। प्रशिक्षण को मुंबई स्थित रामभाऊ म्हाल्गी प्रबोधिनी संस्थान के विशेषज्ञों ने सुशासन, बजट, मंत्रालय के बिजनेस रूल्स, पर तो सम्बोधित किया था। GAD ने इस प्रशिक्षण के लिए 30 जनवरी को AiGGPA को पत्र भेजा था। इसमें आमंत्रित विशेषज्ञों के नाम और जैम प्रक्रिया के सम्बन्ध में भी निर्देशित किया गया था। प्रशिक्षण राजकाज चलाने से सम्बन्धित था। यानी इसमें मंत्रियों को विभागों की कार्यप्रणाली और नियमों की जानकारी दी जानी थी। लेकिन कार्यसूची से हटकर मुंबई के रामभाऊ म्हाल्गी प्रबोधिनी संस्थान से बीजेपी के दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बनने पर प्रबोधन कराया गया। जबकि प्रशासनिक संस्थान में सरकारी खर्च पर राजनीतिक विषय पर प्रशिक्षण नहीं दिलाया जा सकता। बस मामला यहीं उलझ गया है। इसीलिए अधिकारी जानकारी सार्वजनिक करने से बच रहे हैं।
प्रशिक्षण पर खर्च भी बेहिसाब
मंत्रियों के लिए रखी गई workshop में प्रशासनिक नियमों के साथ सरकार के बजट में भी पलीता लगाया गया है। इसे विस्तार से समझने की जरूरत है। प्रशिक्षण के लिए AiGGPA ने चार विशिष्ट अतिथियों को बुलाया था। जिन्हें भदभदा चौराहे के पास होटल ताज में ठहराया गया। इसके लिए होटल को 1 लाख 7 हजार रुपए का बिल चुकाया गया। वहीं अन्य सदस्यों के accommodation पर अलग से 78 हजार रुपया खर्च किया गया। बुफे, लंच और चायपान का बिल 7 लाख 50 हजार रुपए चुकाया। यानी मंत्रियों सहित 50-60 लोगों के खान-पान दो दिन में इतनी भारी-भरकम राशि उड़ा दी गई। यही नहीं होटल से AiGGPA आने-जाने में लगे वाहनों पर 56 हजार खर्च किए गए। जबकि होटल ताज और AiGGPA के बीच केवल 2 मिनट या कहें केवल साढ़े 3 सौ मीटर की ही दूरी है। AiGGPA ने जो खर्च किया है उसके भारी बिल देखकर लोगों की मेहनत की कमाई की बर्बादी का अनुमान लगा सकते हैं।
कहीं मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड छिपाने की कोशिश तो नहीं
RTI के जरिए activist अजय दुबे ने AiGGPA से 9 फरवरी 2024 को जानकारी मांगी। संस्थान ने खर्च का ब्यौरा तो दिया पर बाकी जानकारी छिपाकर। CEO लोकेश शर्मा ने वर्कशॉप की सामग्री, प्रश्नावली और EQ रिपोर्ट कार्ड GAD के पास होने का जवाब दिया। 14 फरवरी को आवेदन पहुंचने पर GAD ने पत्र से साफ कर दिया कि वर्कशॉप की जानकारी और सामग्री AiGGPA के पास ही है। एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है संस्थान एक तो राजनीतिक दल से संबंधित उद्बोधन को छिपा रहा है। दूसरी ओर अहम वजह मंत्रियों के EQ यानी भावनात्मक बुद्धिमत्ता परीक्षण की रिपोर्ट है। इसमें मंत्रियों का फीड बैक है जिसे उजागर नहीं किया गया। कहीं रिपोर्ट कार्ड में हमारे माननीय फेल तो नहीं है। क्योंकि 2009 में पचमढ़ी में हुई ऐसी ही वर्कशॉप के EQ रिपोर्ट कार्ड में ज्यादातर मंत्रीगण फेल थे। तब इस जानकारी से सरकार को किरकिरी का सामना करना पड़ा था। हाल ही में पीएम मोदी ने कच्छादीप को पड़ोसी को सौंपने का जिक्र किया था। पीएम ने इस जानकारी को RTI एक्ट से मिलने का हवाला भी दिया था। RTI एक्ट का सम्मान पीएम तो कर रहे हैं। वहीं MP में सुशासन और नीति समझाने वाले AiGGPA को परवाह तो है ही नहीं वह झूठ का भी रोड़ा अटका रहा है।