प्रदेश में बीएससी एग्रीकल्चर कोर्स सरकारी कॉलेज और गैर कृषि यूनिवर्सिटी में लाने का सरकारी फैसला कठघरे में, हाईकोर्ट से नोटिस

यह मामला शनिवार को उच्च न्यायालय के इंदौर खंडपीठ में आया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अभिनव पी. धनोडकर ने तर्क दिया कि वर्तमान प्रवेश प्रक्रिया कृषि शिक्षा की गुणवत्ता को कमजोर करती है...

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Sanjay gupta
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INDORE. मध्य प्रदेश में बीएससी एग्रीकल्चर (B.Sc Agriculture ) का कोर्स सरकारी कॉलेज और गैर कृषि यूनिवर्सिटी में शुरू करने का सरकारी फैसला विवादों में आ गया है। कृषि यूनवर्सिटी से जुड़े छात्र और पूर्व छात्र इस फैसले के विरोध में हैं और अब सरकार द्वारा फैसला नहीं बदलने पर दो पूर्व छात्रों ने हाईकोर्ट इंदौर में जनहित याचिका दायर कर दी, जिसमें शनिवार को नोटिस हो गए। 

इन्होंने लगाई याचिका

याचिकाकर्ता, नीरज कुमार राठौर और रंजीत किसानवंशी , जो इंदौर के कृषि महाविद्यालय के पूर्व छात्र हैं, ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) से मान्यता की कमी और प्रवेश प्रक्रिया में प्री-एग्रीकल्चर टेस्ट (PAT) को शामिल न करने को लेकर गंभीर चिंताए याचिका में उठाई है। उनके अनुसार सरकार के नियमों के विरुद्ध इस आदेश से कृषि अनुसंधान और कृषि शिक्षा को नुकसान होगा ।

डबल बैंच में हुई सुनवाई

यह मामला शनिवार उच्च न्यायालय के इंदौर खंडपीठ के न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति डुप्पाला वेंकट रमन की डबल बैंच में आया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अभिनव पी. धनोडकर ने तर्क दिया कि वर्तमान प्रवेश प्रक्रिया कृषि शिक्षा की गुणवत्ता को कमजोर करती है और इससे छात्रों के भविष्य में रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। याचिकाकर्ता 20 जून 2024 को मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जो कि आवश्यक मान्यता के अभाव में, 2024-2025 शैक्षणिक सत्र से स्वायत्त सरकारी कॉलेजों में बी. एससी. (कृषि) पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्देश देती है।

इन्हें बनाया गया पक्षकार

इस मामले में प्रतिवादी पक्षों में मध्य प्रदेश राज्य, उच्च शिक्षा विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( ICAR ) शामिल हैं। सुनवाई के बाद, खंडपीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। 

यह है सरकारी आदेश

मध्य प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग में 20 जून को आदेश जारी करके मध्य प्रदेश के तमाम परंपरागत विश्वविद्यालय व स्वशासकीय विश्वविद्यालय को इसी शैक्षणिक सत्र से अपने यहां कृषि स्नातक पाठ्यक्रम चालू करने के लिखा है । याचिकाकर्ताओं का कहना है कृषि शिक्षा एक तकनीकी शिक्षाएं जिसके लिए अनुसंधान की आवश्यकता होती है अनुसंधान के लिए जमीन की आवश्यकता होती है कृषि शिक्षा चार दीवारी के अंदर ली जाने वाली शिक्षा नहीं है ऐसे में बिना जमीन के बिना कृषि अनुसंधान के केवल योग्यता विहीन कृषि स्नातक की तैयार होंगे इससे कृषि अनुसंधान प्रभावित होगा साथ ही योग्यता विहीन कृषि स्नातक किसानों का भी किसी तरह सहयोग नहीं कर सकते ।

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