सरकारी स्कूलों में ड्रॉपआउट रोकने इसी सत्र से लागू होगी नई पॉलिसी

मध्यप्रदेश में हजारों बच्चे हर साल स्कूल छोड़ रहे हैं। बच्चों का मोहभंग रोकने के लिए अब लोक शिक्षण संचालनालय ने नई रणनीति तैयार की है। अब ड्रॉपआउट के हालात न बनें इसके लिए शिक्षकों को ही पाबंद किया गया है...

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. शिक्षकों की कमी की वजह से इस बार 5 हजार से ज्यादा स्कूल जीरो ईयर की हालत में रहे हैं। कक्षा 10 और 12 का परिणाम भी शिक्षण सत्र 2023-24 में बीते सालों के मुकाबले खराब रहा है। सरकारी स्कूलों के ये हालात बच्चों को मुंह फेरने मजबूर कर रहे हैं। हजारों बच्चे हर साल स्कूल छोड़ रहे हैं। बच्चों का मोहभंग रोकने के लिए अब लोक शिक्षण संचालनालय ने नई रणनीति तैयार की है। अब ड्रॉपआउट के हालात न बनें इसके लिए शिक्षकों को ही पाबंद किया गया है। प्राथमिक, माध्यमिक या हाईस्कूल स्तर पर किसी भी कक्षा में स्कूल बदलने पर छात्र को एडमिशन दिलाने से पहले अनदेखा नहीं किया जाएगा। 

दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग बीते कुछ वर्षों से सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों में ड्रॉप आउट की स्थिति से चिंतित है। हर साल ड्रॉप आउट (अप्रवेशी) की संख्या बढ़ रही है। इसको देखते हुए अब लोक शिक्षण संचालनालय ने नई प्रवेश नीति तैयार की है। आने वाले शैक्षणिक सत्र यानी 2024-25 में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में इसी नीति के तहत एडमिशन प्रक्रिया पूरी होगी। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि नई नीति से ड्रॉप आउट के हालात पर काबू पा लिया जाएगा।  

अब एडमिशन शिक्षकों की जिम्मेदारी

सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या देखते हुए डीपीआई ने पॉलिसी में बदलाव किया है। अब प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल कक्षा में पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र स्कूल ऐसे ही छोड़कर नहीं जा पाएंगे। यदि छात्र प्राथमिक शाला में है और 5वी कक्षा पास कर लेता है तो माध्यमिक शाला में एडमिशन का जिम्मा प्राथमिक शिक्षक का होगा। इसी तरह माध्यमिक शिक्षक 9वी कक्षा और हाईस्कूल शिक्षक छात्र का 11वी कक्षा में प्रवेश सुनिश्चित करेंगे। यानी कक्षा पास करने या फेल होने के बाद छात्र टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) लेकर नहीं जाऐंगे। हालांकि नजदीकी या पसंद के अनुरूप स्कूल में एडमिशन हो इसके लिए छात्र और उसके परिजन अपनी प्राथमिकता रख पाएंगे। 

बढ़ रहा ड्रॉपआउट का आंकड़ा

अव्यवस्था, शिक्षकों की कमी और पढ़ाई के गिरते स्तर के कारण छात्र लगाता स्कूल छोड़ रहे हैं। पिछले कुछ सालों में स्कूल छोड़ने के  बाद किसी भी कक्षा में प्रवेश नहीं लेने वाले छात्रों का ग्राफ तेजी से उछला है। यानी हर साल यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। स्कूल छोड़ने की वजह से इन छात्रों की पढ़ाई अधूरी ही छूट रही है। सरकार की चिंता के चलते डीपीआई ने पुख्ता तैयारी की है। इस शैक्षणिक सत्र तक हजारों की संख्या में ड्रॉप आउट यानी किसी भी कक्षा में प्रवेश न लेने वाले छात्र अप्रवेशी छात्र किसी भी स्तर पर स्कूल नहीं छोड़ पाएंगे। प्रधानाध्यापक और प्राचार्यों के जिम्मे इसकी निगरानी होगी। पढ़ाई के बाद छात्रों के दूसरे शहर या निजी स्कूलों में एडमिशन लेने की स्थिति को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। हालांकि, हर पास आउट बच्चे का अगली कक्षा में एडमिशन हो और वे पढ़ाई ने छोड़ें इस पर संस्था प्रमुख नजर रखेंगे।

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