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MPPSC both government Photograph: (MPPSC both government )
मप्र लोक सेवा आयोग से विविध मांगों को लेकर बुधवार सुबह 11 बजे से शुरू हुआ महाआंदोलन शनिवार शाम तक भी जारी है। दिन और घंटे निकलते जा रहे हैं। गुरुवार शाम से अरविंद भदौरिया और एनईवाययू के राधे जाट आमरण अनशन पर है। इसमें भदौरिया शनिवार को बेहोश हो गए, एक बच्ची पहले बेहोश चुकी है। लेकिन आयोग इस मामले में सरकार की ओर देख रही है और सरकार ने चुप्पी साधी हुई है। ऐसे में इस महा आंदोलन में सुलह का रास्ता कैसे और कौन निकालेगा यह बड़ा सवाल है।
अब तो दूसरे शहरों से आने वाले युवक
पहले एकर-दो दिन में यह आंदोलन सामान्य रूप दिख रहा था, लेकिन बार-बार आयोग से पत्र, ज्ञापन देकर मिन्नत कर थाके युवाओं ने इस बार अलग ठाना हुआ था। एक रात बीती, दो फिर तीन और युवा डटे रहे। कड़ाके की ठंड में भी यह हिलने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब हालत यह है कि अलग-अलग शहरों से भी युवा इस आंदोलन के लिए आने लगे हैं और शनिवार को दिन में भी काफी भीड़ है।
मांगों पर रास्ता निकालना कोई बड़ी बात नहीं
युवाओं की मांग को किसी भी तरह से गलत नहीं बोला जा सकता है। इनके हल भी है। यह सही है कि आयोग के हाथ अधिकांश मांगों पर बंधे हुए हैं लेकिन कुछ मांगे मानना उनके क्षेत्र में है, वहीं सरकार भी इसमें रास्ता साफ कर सकती है, लेकिन वह सुनने को तैयार नहीं है।
मांगे और उनके निकलने वाले रास्ते
मेंस 2019 और बाकी परीक्षा की कॉपियां दिखाई जाए और मार्कशीट दें
हल- भले ही 87-13 फीसदी का फार्मूला है और 13 फीसदी का रिजल्ट होल्ड है। लेकिन आयोग को कम से कम 87 फीसदी कैटेगरी के उम्मीदवारों की कॉपियां और मार्कशीट देने में कोई कानूनी रोक नहीं है। 87 फीसदी कैटेगरी के मेरिट में आए उम्मीदवारों के नाम और अंक तो पहले ही सामने हैं, यह भी सत्य है कि इससे कम अंक वाले ही नीचे हैं, तो फिर उनकी कॉपियां दिखाने से कोई लिटिगेशन नहीं आएगा। ना ही कोई कोर्ट से रोक लगी है। यह मांग पूरी जायज है और इसमें आयोग को सरकार की ओर भी नहीं देखना है। यह आयोग तत्काल मान सकता है।
87-13 फीसदी का फार्मूला खत्म हो
हल- इसका कोई हल आयोग के पास नहीं है. यह जीएडी द्वारा सितंबर 2022 में दिया गया फार्मूला था और इसका हल मप्र शासन ही निकाल सकता है। वह भी मात्र एक सर्कुलर से उन्हें सितंबर 2022 का आदेश रद्द करना है और पुरानी स्थिति बहाल करते हुए 100 फीसदी रिजल्ट देना है माननीय हाईकोर्ट के आदेश से 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ। लेकिन सरकार भी यह नहीं करेगी कारण साफ है कि 27 फीसदी ओबीसी राजनीतिक मुद्दा है और सरकार हाईकोर्ट में बोल चुकी है कि हम 27 फीसदी देना चाहते हैं। ऐसे में यह फार्मूला सरकार की इच्छाशक्ति पर निर्भर है, जैसे कि छत्तीसगढ़ में सौ फीसदी पर रिजल्ट आ रहा है जो सरकार करना नहीं चाहती है। इसलिए यह फार्मूला तो नासूर बना ही रहेगा।
राज्य सेवा 2025 में 700 पद और वन सेवा में 100 पद दो
हल- राज्य सेवा 2025 में अधिक पद देना कोई बड़ी बात नहीं है, मप्र शासन के विभागों में हजारों पद रिक्त है। खुद सीएम एक लाख सरकारी पदों की भर्ती की बात कर रहे हैं। साल 2019 में मप्र शासन 571 पद दे चुकी है, इसके पहले 2014 में 591 पद आ चुके हैं और 2022 में भी 457 पद है। ऐसे में अधिक पद देना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसे ही राज्य वन सेवा में भी पद देना बड़ी बात नहीं है लेकिन वन विभाग ने तो साल 2025 में कोई डिमांड ही नहीं दी है यानी यह परीक्षा होना ही मुश्किल है। शासन इन रिक्त पदों की जानकारी आयोग को भिजवा कर अधिक पद दे सकता है।
असिस्टेंट प्रोफेसर और अन्य परीक्षाओं का कैलेंडर जारी हो
हल- पीएससी पहले ही महाआंदोलन से दो दिन पूर्व कैलेंडर जारी कर चुकी हैं। हालांकि इसमें माह बताए हैं और तारीख नहीं है। वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती पुरानी ही लंबी चल रही है और अभी भी कई विषयों के इंटरव्यू क्लियर नहीं है। हालांकि इस पर आयोग ने द सूत्र को बताया कि प्राथमिकता से असिस्टेंट प्रोफेसर के इंटरव्यू भले ही वह कैलेंडर में नहीं है लेकिन स्क्रूटनी कर बीच में ही एडजस्ट कराएं जाएंगे और इसी साल पुरानी विज्ञप्ति की भर्ती पूरी होगी। वहीं एडीपीओ, सिविल इंजीनियरिंग के रिक्त पदों की जानकारी विभागों ने नहीं दी है।
परीक्षाओं में सुधार कम हो, इंटरव्यू अंक कम हो
हल- पीएससी के हाथ में यह मांग पूरी करना। इंटरव्यू के अंक अभी पीएससी मप्र में ही सबसे ज्यादा 185 रखे गए हैं, भले ही यह सुप्रीम कोर्ट के तय अधिकतम मानक से कम है लेकिन बिहार पीएससी हो, यूपीपीएससी हो हरियाणा या अन्य सभी जगह इंटरव्यू के कम अंक है। यह बात भी सही है कि लिखित में अधिक अंक लाने वाले के कई बार इंटरव्यू में कम अंक होते हैं और वह डिप्टी कलेक्टर बनते-बनते नायब तहसीलदार पर आ जाता है। हालांकि इस पर पीएससी का कहना है कि यह प्रस्ताव हम सलाहकार समिति में रखने को तैयार है लेकिन इसमें समय लगेगा। लेकिन आयोग लिखकर देने को तैयार नहीं है, जो वह दे सकता है। इसी तरह प्री के सवालों को लेकर है कि अच्छे विशेषज्ञ हो और गलतियां नहीं हो। यह भी सही बात है लेकिन आयोग का यह पक्ष भी है कि वह विशेषज्ञों मे बदलाव लगातार करते हैं और सबसे बडी बात प्रोवीजनल आंसर की आती है और फिर आपत्तियों के बाद सुधार होता है और फाइनल आंसर की भी आती है। लेकिन यह सही है कि सुधार की जरूरत है, जिस पर आय़ोग काम कर रहा है। लेकिन आयोग इसे भी लिखकर देने के लिए तैयार नहीं है। जबकि यह भी दिया जा सकता है, इसमें कोई गलत मांग नहीं है।
मेन्स 2023 का रिजल्ट जल्द दिया जाए
हल- बिल्कुल यह पीएससी के हाथ में हैं, क्योंकि इस पर कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है और खुद एजी एक नहीं दो-दो बार कोर्ट में कह चुके हैं कि हम प्रक्रिया में हैं और रिजल्ट दे रहे हैं। यह रिजल्ट नौ माह से रुका हुआ है। आयोग को चाहिए कि वह एजी से बात करें और रिजल्ट जारी करें या फिर एजी बार-बार हाईकोर्ट में गैर हाजिर होना बंद करें और अगली सुनवाई 7 जनवरी को उपस्थित होकर साफ निर्देश प्राप्त कर आयोग को बताएं कि रिजल्ट जार किया जाना है।
लिखित में देने को तैयार नहीं आयोग
दो बार आयोग के साथ युवाओं की बात हो चुकी है। कुछ मांग पर आयोग तैयार है जैसे इंटरव्यू के अंक, प्री में सुधार लेकिन यह सभी मुद्दे वह सलाहकार समिति में रखने की बात कह रहा है। लेकिन लिखित में देने को तैयार नहीं है। वहीं मेंस की कॉपियां दिखाने को तैयार नहीं है जो उनके हाथ में है। बाकी मांग सरकार और कोर्ट के पेंच में हैं, जिसमें आयोग के हाथ बंधे है। लेकिन आय़ोग जो मान सकता है वह भी लिखित में देने के लिए तैयार नहीं है। द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार आयोग के सदस्य और अधिकारी इस पर अभी तक बिल्कुल राजी नहीं है। वह नहीं चाहते हैं कि लिखित में मांग मानने का देकर अपने हाथ आगे फंसाएं। वहीं सरकार और आयोग के बीच में अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है।
कांग्रेस साथ, बीजेपी नेताओं की चुप्पी
उधर आयोग के बाहर युवाओं के आंदोलन से अब पुलिस चिंतित होने लगी है। इसलिए दबाव प्रभाव के हथकंडे भी अपनाए जा रहे हैं। मौके पर पानी का टैंकर आने से रोका जा रहा है, तो वहीं शुक्रवार रात को पुलिस बल पहुंच गया और माना जा रहा है कि यह युवाओं को उठाने की तैयारी थी लेकिन वहां आंदोलनकारियों की अधिक संख्या देख मामला रोक दिया गया। उधर युवा अब हाथों में संविधान की तख्तियां लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। मामला विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने विधानसभा में भी उठा दिया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी आंदोनल स्थल पर जा चुके हैं और युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मितेंद्र यादव भी पहुंच चुके हैं। लेकिन प्रदेश में बीजेपी को 29 की 29 लोकसभा सीट देने के बाद भी इस आंदोलन पर बीजेपी से फिलहाल चुप्पी है और कोई सरकार के खिलाफ चल रहे इस आंदोलन में युवाओं से बात नहीं कर रहा है।
झुग्गी वाले विधायक डोडियार भी पहुंचे
वहीं युवाओं को समर्थन देने के लिए सैलाना के बाप विधायक कमलेशवर डोडियार भी शनिवार को धरना स्थल पर पहुंचे और युवाओं को समर्थन दिया। वहीं कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने भी समर्थन दिया।
डोडियार बोले- विधानसभा में भी उठाएंगे मुद्दा
यह नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के बैनर तले हो रहा प्रदर्शन शांतिपूर्वक चौथे दिन चल रहा है। सरकार के पास काफी रिक्त पद है। जबकि हर साल 700 से ज्यादा पद दिए जा सकते हैं। मेंस की कॉपियां दिखाई जाएं इसकी भी मांग सही है। इसे विधानसभा में भी उठाएंगे, युवाओं की मांग बिल्कुल सही है। यहां वह छोटे कमरे में रहकर पढ़ाई करते हैं, गरीबी में रहते हैं लेकिन रिजल्ट जारी नहीं हो रहे, कॉपियां नहीं दिखाई जा रही है यह गलत है।
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