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इंदौर से निकलने वाले ग्लोबल हेराल्ड अखबार के मालिक विष्णु गोयल और उनके बेटे रवि गोयल की गई 16.77 करोड़ की जीएसटी चोरी केस में गिरफ्तार रवि गोयल की जमानत याचिका खारिज हो गई है। इंदौर हाईकोर्ट में डीजीजीआई ने रवि गोयल को मुख्य आरोपी मानते हुए बाकी आरोपियों (इसमें विष्णु गोयल, सीए सत्यनारायण गोयल और सीए अंकुश गुप्ता) को सह आरोपी बताया है। हाईकोर्ट में डीजीजीआई ने कहा कि सभी ने मिलकर इस टैक्स चोरी को अंजाम दिया है।
हाईकोर्ट ने आदेश में यह कहा
हाईकोर्ट ने रवि गोयल की लगी जमानत याचिका को इस आदेश के साथ खारिज कर दिया। इसमें कहा गया कि तर्क सुनने और केस डायरी के अवलोकन के बाद, यह स्पष्ट है कि मामले के अन्य सह-आरोपी व्यक्ति नोटिस से बच रहे हैं, और ऐसी परिस्थितियों में, वर्तमान आवेदन को अनुमति देना जल्दबाजी होगी, क्योंकि आवेदक द्वारा साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। याचिका को खारिज किया जाता है। हालांकि, आवेदक को आरोप पत्र दाखिल होने के बाद या अन्य आरोपी व्यक्तियों की गिरफ्तारी के बाद अपनी प्रार्थना को नवीनीकृत करने की स्वतंत्रता है।
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डीजीजीआई ने यह दिया तर्क, चोरी 60 करोड़ की बताई
डीजीजीआई ने इस मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा किया और इस जीएसटी चोरी को 60 करोड़ रुपए बताया गया है। यह हाईकोर्ट के जारी आदेश में ही मेंशन है। वहीं डीजीजीआई ने कहा कि जमानत का मामला नहीं बनता है क्योंकि सह आरोपी नोटिस नहीं ले रहे हैं और यह बाहर आए तो दस्तावेज और सबूतों को मिटा सकते हैं। आवेदक रवि गोयल और अन्य सह आरोपियों ने बिना किसी वास्तविक माल की आपूर्ति के जाली जीएसटी चालान तैयार किए और करोड़ों का लाभ उठाया।
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रवि गोयल की ओर से यह रखी गई बात
आवेदक रवि गोयल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक सिंह ने कहा कि आवेदक ने जांच में सहयोग किया है और अपना बयान पहले ही दे चुका है। आवेदक की गिरफ्तारी इसलिए हुई क्योंकि उसने अधिकारियों द्वारा मारपीट की शिकायत मानवाधिकार आयोग, भोपाल में की थी। जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132 के तहत अपराध समझौता योग्य है और ऐसी परिस्थितियों में आवेदक की आगे की हिरासत, जो 09/05/2025 से जेल में बंद है, आवश्यक नहीं है। जमानत दी जाना चाहिए।
मामला छोटा-मोटा नहीं 335 करोड़ के फर्जी बिल बने
डीजीजीआई ने इसमें बताया कि बिना किसी वास्तविक माल खरीदी-बिक्री के इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने का मामला है, जिसमें 16.77 करोड़ का लाभ लिया गया और इसमें टैक्स योग्य वस्तु का कुल मूल्य 335.50 करोड़ रुपए था। यानी कुल 335.50 करोड़ के 1200 से ज्यादा फर्जी इनवॉइस बनाए गए और 16.77 करोड़ रुपए की आईटीसी क्लेम की गई।
पांच कंपनियों का पूरा नेटवर्क
यह भी बताया कि यह पूरा नेटवर्क पांच कंपनियां श्रीनाथ एग्रो इंटरप्राइजेस, मेसर्स कृष्णा फाइबर, अंबर इंटरप्राइजेस, अल्फाविजन फाइबर्स प्रालि, अल्फाविजन ओवरसीज (इंडिया) लिमिटेड का है और इसमें अल्टीमेट लाभ अल्फाविजन ओवरसीज (इंडिया) को मिला। जो रवि गोयल की कंपनी है।
ग्लोबल हेराल्ड के चीफ एडिटर, पावरफुल लोग
डीजीजीआई ने हाईकोर्ट से यह भी कहा कि रवि गोयल के पिता विष्णु गोयल प्रभावशाली व्यक्ति, व्यवसायी होकर ग्लोबल हेराल्ड अखबार के चीफ एडिटर हैं। राज्य जीएसटी अदाकारी पहले ही उनकी कंपनियों की धोखाधड़ी के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है। रवि गोयल खुद समन का पालन नहीं कर रहा और संदेह है कि वह सीए एसएन गोयल और अंकुश गुप्ता को भी पालन नहीं करने दे रहा है।
अपनी इन कंपनियों से ली 16.77 करोड़ की टैक्स छूट
विभाग द्वारा आगे की गई जांच में सामने आया कि श्रीनाथ एग्रो के फर्जी इनवॉइस के जरिए आगे एमएस अल्फाविजन ओवरसीज, एमएस अल्फाविजन फाइबर्स कंपनियों ने फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट ली जो 16 करोड़ रुपए की थी। इस तरह सरकार से फर्जी दस्तावेजों से 16 करोड़ की टैक्स चोरी हुई। दिया गया है। यह दोनों कंपनियों में रवि गोयल और उनके पिता विष्णु गोयल की कर्ताधर्ता हैं। वहीं यह कंपनियां आपस में जुड़ी हैं इससे साबित होता है कि यह एक ही आईपी एड्रेस से इनके जीएसटी रिटर्न भरे गए। इसमें रवि गोयल मुख्य आदतन अपराधी हैं।
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