पूर्व IAS सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया की ग्वालियर प्रॉपर्टी होगी जब्त

पूर्व आईएएस सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया की ग्वालियर में महारानी लक्ष्मीबाई रोड स्थित संपत्ति अब भारत सरकार के नाम की जाएगी। सीबीआई (CBI) ने मध्यप्रदेश के ग्वालियर कलेक्टर को पत्र लिखकर इस संपत्ति को जब्त करने का निर्देश दिया है...

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Jitendra Shrivastava
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पूर्व IAS अधिकारी सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया की ग्वालियर स्थित बेनामी संपत्ति अब भारत सरकार के नाम होगी। CBI द्वारा बेनामी संपत्तियों के मामले में 33 साल तक चली कानूनी प्रक्रिया के बाद यह फैसला लिया गया है। ग्वालियर के महारानी रोड पर स्थित इस संपत्ति को लेकर विशेष अदालत ने आदेश दिया है कि इसे भारत सरकार के नाम पर स्थानांतरित किया जाए। मामले में सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और पद का दुरुपयोग करने का आरोप था।

ग्वालियर की प्रॉपर्टी जब्त करने 33 साल बाद आया फैसला

पूर्व आईएएस सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया की ग्वालियर में महारानी लक्ष्मीबाई रोड स्थित संपत्ति अब भारत सरकार के नाम की जाएगी। सीबीआई (CBI) ने ग्वालियर कलेक्टर को पत्र लिखकर इस संपत्ति को जब्त करने का निर्देश दिया है। संपत्ति को बेनामी घोषित करने के बाद विशेष अदालत ने आदेश दिया था कि इसे भारत सरकार के नाम पर हस्तांतरित किया जाए। अहलूवालिया की संपत्ति जब्त करने का ये फैसला 33 साल बाद आया है। तलाशी के दौरान अवैध शस्त्र, गोला-बारूद बरामद होने पर वर्ष 2019 में अहलूवालिया को पांच साल की सजा सुनाई गई थी। बता दें बेनामी संपत्तियों के मामले में दिल्ली स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में 33 साल चली सुनवाई में इसी साल जुलाई में विशेष न्यायालय ने पंजाब के फिरोजपुर निवासी 90 वर्षीय अहलूवालिया को उनकी अधिक उम्र, मानसिक और शारीरिक बीमारी को देखते हुए मुकदमे के लिए अयोग्य करार देते हुए मामला बंद करने के निर्देश दिए थे।

बेनामी संपत्ति, पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के आरोप

सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया पर आरोप था कि उन्होंने नगालैंड और दिल्ली में मुख्य सचिव के पद पर रहते हुए पद का दुरुपयोग कर कई बेनामी संपत्तियां अर्जित कीं। सीबीआई ने उनके खिलाफ 1987 में आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश में उनकी कई बेनामी संपत्तियां थीं। इन संपत्तियों को उनके परिजनों और करीबी सहयोगियों के नाम से दर्ज किया गया था। ग्वालियर की संपत्ति उनके भाई इंद्रजीत सिंह के नाम पर थी, जिन्होंने अदालत में बयान दिया था कि उनका भाई से कोई लेना-देना नहीं है।

कोर्ट ने कहा, लंबी सुनवाई और खराब जांच से न्याय प्रभावित 

विशेष अदालत ने 33 साल की लंबी सुनवाई के बाद कहा कि जब व्यवस्था असफल हो जाती है, तो सच्चाई अन्याय की छाया में छिप जाती है। अदालत ने सीबीआई की कार्यवाही पर टिप्पणी की कि जांच एजेंसी का मकसद इस केस को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाना नहीं था। इसके साथ ही, विशेष अदालत ने सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया को स्वास्थ्य और उम्र का हवाला देते हुए मुकदमे के लिए अयोग्य घोषित कर दिया।

भाई के खिलाफ भी कार्रवाई, कुछ आरोपियों की मौत

अहलूवालिया के साथ उनके छोटे भाई इंद्रजीत सिंह, बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंधक वी भास्करन और दीमापुर निवासी न्यामो लोधा पर भी आरोप लगे थे। मामले की सुनवाई के दौरान भास्करन और न्यामो लोधा की मृत्यु हो चुकी है। ग्वालियर की संपत्ति को इंद्रजीत सिंह के नाम पर रखा गया था, लेकिन अदालत ने इसे बेनामी संपत्ति करार दिया और इसे भारत सरकार के नाम स्थानांतरित करने का आदेश दिया।

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