ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान पर हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी- खुद को राजा मान रहे

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान को लोक निर्माण विभाग (PWD) के एक कर्मचारी के लंबित वेतन भुगतान में लापरवाही बरतने के लिए कड़ी चेतावनी दी।

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Raj Singh
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मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान (Gwalior Collector Ruchika Chauhan) को लोक निर्माण विभाग (PWD) के एक कर्मचारी के लंबित वेतन भुगतान पर लापरवाही बरतने के लिए फटकार लगाई। कोर्ट ने कलेक्टर से जवाब मांगा, लेकिन वे संतोषजनक उत्तर नहीं दे सकीं। जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, "आप पब्लिक सर्वेंट होकर पब्लिक का काम नहीं कर रहे, बल्कि खुद को राजा मान रहे हैं।" हाई कोर्ट ने कलेक्टर को अवमानना का दोषी ठहराया और उन्हें 11 मार्च को फिर से कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया।

क्या है पूरा मामला?

ग्वालियर के लोक निर्माण विभाग (PWD) के कर्मचारी को 2018 से लंबित ₹17.61 लाख का वेतन भुगतान नहीं मिल पाया है। कर्मचारी ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी।

कोर्ट में क्या हुआ?

  • ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान शुक्रवार को हाई कोर्ट में पेश हुईं।
  • जस्टिस जीएस अहलूवालिया (Justice GS Ahluwalia) ने कलेक्टर से पूछा कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद उन्होंने क्या कार्रवाई की?
  • कलेक्टर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सकीं।उन्होंने बताया कि 16 जनवरी को एक पत्र जारी किया था, लेकिन उसकी कॉपी साथ नहीं लाई थीं।

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हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

  • "आप पब्लिक सर्वेंट हैं, लेकिन जनता का काम नहीं कर रहे। खुद को राजा समझ रहे हैं!"
  • "अगर कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर सकते, तो प्रशासन में रहने का कोई अधिकार नहीं।"
  • कोर्ट ने कलेक्टर को अवमानना का दोषी ठहराते हुए 11 मार्च को फिर से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।

क्यों हो रही है कलेक्टर पर सख्ती?

  • 2018 से लंबित वेतन भुगतान का मामला: हाई कोर्ट ने पहले भी आदेश दिया था, लेकिन अब तक भुगतान नहीं किया गया।
  • कोर्ट के आदेश की अवहेलना: कलेक्टर को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे, लेकिन उन्होंने उचित कार्रवाई नहीं की।
  • अदालत में जवाब न दे पाना: 16 जनवरी को जारी किए गए पत्र की कॉपी तक पेश नहीं कर सकीं।

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हाई कोर्ट के आदेश के संभावित प्रभाव

कलेक्टर के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई हो सकती है।
PWD कर्मचारियों का वेतन जल्द जारी किया जा सकता है।
अन्य अधिकारियों को भी कोर्ट के आदेशों को गंभीरता से लेने का संकेत मिलेगा।

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