हौसलों के आगे झुका सूरज और मप्र की बिटिया बन गईं आईएएस रुचिका चौहान

देश के दिल में बसने वालीं रुचिका चौहान मूलत: मध्यप्रदेश की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी और मालवा की मिट्टी इंदौर में की।

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IAS Ruchika Chauhan
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रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
कांटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के
सूरज देख रुक गया है, तेरे आगे झुक गया है

मजरूह सुल्तानपुरी की यह रचना, महज कविता नहीं है। इसे आत्मसात किया है मप्र की आईएएस अफसर रुचिका चौहान ने। 20 दिसंबर 1984 को जन्मीं रुचिका ने इंजीनियरिंग की। फिर 2010 में आईपीएस के लिए चुनी गईं। लेकिन रुकना उनकी फितरत नहीं थी। वे यूपीएससी के कांटेभरे रास्ते पर दौड़तीं रहीं। कलेक्टर बनने का सपना था और यह सपना अगले ही साल आईपीएस की हैदराबाद में ट्रेनिंग करते हुए आल इंडिया रैंक 50 प्राप्त कर पूरा कर लिया। वे 11 मार्च 2024 से ग्वालियर कलेक्टर हैं। 

देश के दिल में बसने वालीं रुचिका चौहान मूलत: मध्यप्रदेश की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी और मालवा की मिट्टी इंदौर में की। 12वीं तक गणित स्ट्रीम में पढ़ाई के दौरान उन्होंने इंजीनियर बनने का सपना देखा और इसे पूरा करने में खुद को पूरी तरह झोंक दिया। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और वे श्रीगोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (एसजीएसआईटीएस) इंदौर में दाखिला मिल गया। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकॉम इंजीनियरिंग में बीई किया। विज्ञान के प्रति उनकी ललक का ही परिणाम था कि वे बीई में फर्स्ट डिवीजन से पास हुईं, लेकिन यह उनकी मंजिल नहीं थी, महज एक पड़ाव था। 

...और पाई पहली मंजिल

IAS Ruchika Chauhan.

आईएएस रुचिका चौहान का सपना सिविल सर्विस में जाने का था। बीई करने के बाद उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तैयारी शुरू की। कांटों भरे सफर पर चलते हुए उन्होंने 2010 में यूपीएससी की परीक्षा दी और आईपीएस के लिए चुनी गईं। उन्हें अपनी पहली मंजिल मिल चुकी थी, लेकिन उनके सपनों का सूरज यहां थमने वाला नहीं था। वे आईएएस बनना चाहती थीं। ऐसे में भला वे कैसे रुकतीं।

आईपीएस बनने के बाद भी रुचिका ने पढ़ाई जारी रखी। वे आईएएस बनने तक रुकना नहीं चाहती थीं। साल था 2011 और मध्यप्रदेश से यूपीएससी में शामिल होने वालों की संख्या कम न थी। रुचिका भी परीक्षा में शामिल हुईं और उनके सपनों को मानो पंख लग गए। इस बार परीक्षा में उन्हें 50वीं रैंक मिली। इसी के साथ वे मध्यप्रदेश कैडर में 2011 बैच की आईएएस बन गईं। खास यह रहा कि रुचिका इस साल मध्यप्रदेश से आईएएस बनीं इकलौती प्रतिभागी भी बनीं।

करियर

आईएएस बनने के बाद 29 अगस्त 2011 से मैसूर में उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई। 10 मई 2012 तक उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी की। इसके बाद सीहोर में पहली पोस्टिंग बतौर असिस्टेंट कलेक्टर (जूनियर स्कैल) में हुई। 10 मई 2012 से 13 अगस्त 2013 तक उन्होंने राजधानी भोपाल से लगे सीहोर जिले को समझा। इसके बाद वे महाकौशल की माटी की ओर चल पड़ीं। सरकार ने उन्हें छिंदवाड़ा में एसडीओ (जूनियर स्कैल) की जिम्मेदारी देकर 13 अगस्त 2013 से उन्हें तैनात कर दिया। कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ के गढ़ में उन्होंने विकास के नए रास्ते ढूंढ़े, किसानों के लिए खासा काम किया। 25 सितंबर 2014 तक उन्होंने कई योजनाओं का सफलतापूर्वक संचालन किया।  

छह माह और फिर बाबा महाकाल की नगरी

जिला पंचायत सीईओ के तौर पर उन्होंने यहां फरवरी 2015 को कामकाज संभाला। करीब 6 माह पश्चात  फरवरी 2015 में उन्हें बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन ने बुलाया। राजा विक्रमादित्य के नगर में वे जिला पंचायत सीईओ के तौर पर 9 फरवरी 2015 को तैनात हुईं तो फरवरी 2017 तक कामकाम करती रहीं। मालवा के ग्रामीण अंचलों की जरूरतों को समझकर ग्रामीणों की झोली में खुशियां डालने का प्रयास करती रहीं। सिंहस्थ महाकुंभ में पंचकोशी यात्रा जिसमें लाखों दर्शनार्थी 4-5 दिवस में 147 किमी की पद यात्रा पूर्ण करते हैं का सकुशल प्रभारी रहते हुए संचालन किया किया । 

अब बारी थी चंबल और फिर रतलाम की...

16 जनवरी 2017… यह वह दौर था, जब आईएएस रुचिका चौहान को ग्वालियर-चंबल की माटी ने बुलाया। 25 अगस्त 2017 तक वे ग्वालियर में एडिशनल कलेक्टर रहीं। महज 8 माह की तैनाती के बाद वे 26 अगस्त 2017 को इंदौर अपर कलेक्टर बनीं और महज 6 माह बाद 2 अप्रैल 2018 को इंदौर में उनका कामकाज खत्म हो गया। लेकिन मालवा की मिट्टी उन्हें कहां छोड़ने वाली थी। 3 अप्रैल 2018 को वे इंदौर से महज 125 किलोमीटर दूर रतलाम जिले की कलेक्टर बना दी गईं। यहां वे 1 सितंबर 2020 तक तैनात रहीं। बतौर महिला कलेक्टर उनके काम का अंदाज निराला रहा। उन्होंने रतलाम के बेतरतीब ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त कराया। सिटी बस और चौक-चौराहों पर रात में रोशन करने की पहल की। नगर के साथ गांवों को भी संवारने में खासा योगदान दिया। 

भोपाल मुख्यालय से ग्वालियर की पहली महिला कलेक्टर बनने तक का सफर

रतलाम कलेक्टर रहने के बाद 2 सितंबर 2020 में सरकार ने उन्हें अर्बन एडमिन एंड डेवलपमेंट का एडिशनल कमिश्नर बना दिया। वे करीब चार साल तक इस पद पर तैनात रहीं। लेकिन दिसंबर 2023 में प्रदेश की शिवराज सरकार का स्थान मोहन सरकार ने लिया तो आईएएस रुचिका चौहान का सफर एक बार फिर परवान चढ़ा। 11 मार्च 2024 को मोहन सरकार ने उन्हें ग्वालियर कलेक्टर बनाया। इसी के साथ ग्वालियर को पहली बार महिला कलेक्टर मिला। 

कुछ निजी, कुछ सार्वजनिक भी

आईएएस रुचिका चौहान की शादी आईपीएस शैलेंद्र सिंह चौहान के साथ हुई है। आईपीएस शैलेंद्र को यूपीएससी में 227वीं रैंक मिली थी, जबकि आईपीएस में देश में वे 17वीं रैंक पर थे। शैलेंद्र और रुचिका दोनों ने 2006 में एसजीएसआईटीएस से साथ में बीई की पढ़ाई की। दोनों का प्रेम यहीं परवान भी चढ़ा। 2011 में दोनों ने शादी कर ली। बाद में शैलेंद्र ने सीएससी नोएडा में तीन साल तक बतौर सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल काम भी किया। इसके बाद सिविल सर्विसेस में जाने की ललक पैदा हुई और दूसरे ही प्रयास में 2011 में आईआरएस चुन लिए गए। लेकिन उन्होंने आईपीएस बनने का सपना नहीं छोड़ा. जबकि उनसे एक साल पहले 2010 में ही उनकी पत्नी रुचिका चौहान आईपीएस बन चुकी थीं।  

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