ठेकेदार को फायदा पहुंचाने निगम अधिकारियों की हेराफेरी, 15 करोड़ के टेंडर को सवा करोड़ किया

ग्वालियर नगर निगम के अधिकारियों ने गेंट्री के टेंडर में गड़बड़ी करते हुए 15 करोड़ के टेंडर को सवा करोड़ में कम कर दिया, जिससे निगम को भारी राजस्व नुकसान हुआ।

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Rohit Sahu
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ग्वालियर नगर निगम के अधिकारियों पर एक गंभीर आरोप लग रहा है, जिसमें उन्होंने गेंट्री के टेंडर की माप और राशि में खेल कर 15 करोड़ रुपए के टेंडर को मात्र सवा करोड़ में बदल दिया। इस टेंडर में गड़बड़ी और आंकड़ों की बाजीगरी का आरोप है, जो किसी एक व्यक्ति को फायदा पहुंचाने के लिए की गई है। डीबी स्टार रिपोर्टर ने इस मामले की पड़ताल की, और पता चला कि टेंडर को गलत तरीके से तैयार किया गया, जिससे निगम को भारी राजस्व नुकसान हुआ है।

टेंडर में कैसे हुई गड़बड़ी

गेंट्री के लिए जारी टेंडर में कई ऐसी गड़बड़ियां की गईं, जिनसे निगम को नुकसान हुआ। पांच मई को जारी किए गए इस टेंडर में एक स्थान की गेंट्री की चौड़ाई 90 फीट और लंबाई 10 फीट बताई गई थी, लेकिन इसे 180 फीट के रूप में दर्शाया गया। इसका सीधा मतलब है कि टेंडर में 90 प्रतिशत जगह कम दिखाई गई, जिससे कुल 6592 फीट विज्ञापन क्षेत्र में कमी की गई।

कलेक्टर गाइडलाइन की उड़ाई धज्जियां

निगम ने इस टेंडर में कलेक्टर गाइडलाइन के नियमों का पालन नहीं किया। 2022 में यूनिपोल के टेंडर में हर स्थान के लिए अलग-अलग रेट निर्धारित किए गए थे, लेकिन इस टेंडर में निगम ने एक समान दर यानी 184 रुपए प्रति वर्ग फीट तय की। कलेक्टर गाइडलाइन का सही से पालन न करके निगम ने नियमों की धज्जियां उड़ाईं।

स्पेलिंग में गड़बड़ी कर किया भ्रमित

निगम द्वारा जारी किए गए टेंडर की स्पेलिंग में भी गड़बड़ी की गई। गेंट्री (Gantry) की सही स्पेलिंग को Gaintree लिख कर अपलोड किया गया, ताकि कोई भी व्यक्ति सही जानकारी नहीं पा सके और टेंडर में भाग लेने से वंचित रह जाए। यह एक चाल थी, ताकि अधिकारियों की करतूतों को छुपाया जा सके।

एमआईसी की स्वीकृति की अनदेखी

पांच करोड़ से अधिक के टेंडर को एमआईसी (Mayor-In-Council) की स्वीकृति के बिना जारी करना नियमों का उल्लंघन है। अधिकारियों ने इस प्रक्रिया को दरकिनार किया और एमआईसी की स्वीकृति के बिना टेंडर जारी किया। इससे साफ पता चलता है कि अधिकारियों ने पूरी प्रक्रिया को अपने फायदे के लिए मोड़ा है।

बकाया 3.5 करोड़ की वसूली

इसके अलावा, निगम के पिछले निविदाकार से अभी 3.5 करोड़ रुपए की वसूली बाकी है, लेकिन अफसर इस मामले में केवल कागजी खानापूर्ति कर रहे हैं। इससे साफ है कि निगम अधिकारियों ने इस राशि को वसूलने में भी लापरवाही बरती है।

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आयोग का ये बयान

निगम आयुक्त ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वह अधिकारियों से इस टेंडर के बारे में चर्चा करेंगे और जहां भी गड़बड़ी होगी, उसे सही कराया जाएगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि कोई भी दोषी नहीं बचेगा।

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