मध्यप्रदेश के ग्वालियर पुलिस में एक बार फिर दागदार पुलिसकर्मियों की सूची सामने आई है। सूची में 88 पुलिसकर्मी ऐसे हैं जिन पर विभागीय जांच चल रही है या आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 22 पर हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप हैं। इसके बावजूद ये पुलिसकर्मी कई थानों में तैनात हैं।
दागी पुलिसकर्मियों की तैनाती
सूची में 88 पुलिसकर्मियों में से 80 प्रतिशत पुलिसकर्मी थानों और महत्वपूर्ण इकाइयों में तैनात हैं। इनमें तीन निरीक्षक हैं जो थानों की कमान संभाल रहे हैं। एक दरोगा पर सोना-खुर्द-बुर्द करने का आरोप है, फिर भी वह थाना प्रभारी हैं। इस स्थिति को देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने इन दागदार पुलिसकर्मियों को हटाने की तैयारी शुरू की है।
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डीजीपी की सख्त कार्रवाई
डीजीपी कैलाश मकवाना ने पुलिस की छवि सुधारने के लिए पिछले महीने विशेष प्रयास किए। इसके तहत पुलिसकर्मियों को विभागीय जांच और आपराधिक मामलों के आधार पर थानों से हटाया जा रहा है। 17 जून को डीजीपी के आदेश पर स्पेशल डीजी प्रशासन आदर्श कटियार ने पुलिस अधीक्षकों और पुलिस आयुक्तों को निर्देश दिए। जिन पुलिसकर्मियों पर विभागीय जांच और आपराधिक मामले चल रहे हैं, उन्हें तत्काल थानों से हटा दिया जाए।
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एसआई की तैनाती पर सवाल
एसआई महेंद्र प्रजापति पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। अक्टूबर 2022 में टेकनपुर चौकी प्रभारी रहते हुए, उन पर बिना बिल का सोना खुर्द-बुर्द करने का आरोप था। इसके बाद उन्हें लाइन हाजिर किया गया था। अब, डीजीपी के आदेश पर, उन्हें बेहट थाने का प्रभार सौंपा गया है। इस तैनाती को लेकर पुलिस महकमे में चर्चाएं हो रही हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें जल्द हटाया जा सकता है।
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विभागीय जांच
ग्वालियर पुलिस महकमे के 88 दागी पुलिसकर्मियों में से 66 पर विभागीय जांच चल रही है और 22 पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इन पुलिसकर्मियों की तैनाती थानों और महत्वपूर्ण पदों पर है, जिससे प्रदेशभर में घमासान मच गया है। हालांकि, राजनीतिक रसूख और सिफारिशों के चलते कार्रवाई धीमी पड़ रही है। पुलिस मुख्यालय के निर्देशों के बाद, इन दागदार पुलिसकर्मियों को जल्द थानों से हटाने के आदेश जारी हो सकते हैं।
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