यहां के जज हैं हनुमान जी...जिला अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लगती हैं अर्जियां

रीवा के चिरहुला मंदिर में सबसे ज्यादा श्रद्धालु उमड़ते हैं। इसे जिला अदालत कहा जाता है। मान्यता है कि यहीं सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, इसलिए कम ही लोगों को मन्नत लेकर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट दरबार में जाना पड़ता है।

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Sandeep Kumar
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रविकांत दीक्षित @ BHOPAL. कहते हैं कलयुग के राजा और जज की भूमिका हनुमान जी ( Hanuman ji ) के पास है। रीवा में यह मान्यता चरितार्थ भी होती है। यहां हनुमान जी के तीन मंदिरों की पहचान अदालती दरबार के रूप में है। जिला अदालत ( District Court ), हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दरबार में भक्त मन्नतें लेकर पहुंचते हैं। विश्वास है कि उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।

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महावीर की अपील भी उन्हीं के दरबार में 

रीवा के चिरहुला मंदिर में सबसे ज्यादा श्रद्धालु उमड़ते हैं। इसे जिला अदालत कहा जाता है। मान्यता है कि यहीं सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, इसलिए कम ही लोगों को मन्नत लेकर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट दरबार में जाना पड़ता है। भक्तों की मान्यता का दिलचस्प पहलू यह भी है कि वीर हनुमान के खिलाफ अपील भी उन्हीं के दरबार में लगती है। चिरहुलानाथ स्वामी ( जिला अदालत ) का फैसला नहीं आया तो लोग रामसागर मंदिर ‘हाई कोर्ट दरबार’ में अर्जी दाखिल करते हैं। इसके बाद नंबर आता है सुप्रीम कोर्ट दरबार यानी खेमसागर मंदिर का। भक्त एक के बाद अपनी अपील दाखिल करते हैं। 

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500 वर्ष से ज्यादा पुराने मंदिर 

छह पीढ़ी से चिरहुला मंदिर में पूजा करने वाले परिवार के सदस्य पंडित मनोज तिवारी बताते हैं, जब रीवा राज्य की राजधानी यहां बसाई जा रही थी, तब यहां चिरहुलदास महाराज ने मंदिर बनवाकर प्राण-प्रतिष्ठा कराई थी। उनके नाम से ही यह 500 वर्ष से अधिक पुराना मंदिर है।

खास यह भी...तीनों मंदिर निश्चित दूरी और एक सीध में बने

1. चिरहुलानाथ मंदिर जिला अदालत दरबार, रामसागर मंदिर हाई कोर्ट दरबार और खेमसागर मंदिर सुप्रीम कोर्ट दरबार एक ही सीध में हैं। एक मंदिर से दूसरे मंदिर की दूरी भी निश्चित पैमाने पर है। 

2. चिरहुलानाथ मंदिर के मुख्य पुजारी कहते हैं कि कलयुग में हनुमान जी को राजा और जज माना गया है। भक्तों की आस्था बताती है कि आज भी हनुमान स्वामी की कृपा लोगों पर बरसती है। 

3. चिरहुलानाथ मंदिर में 24 घंटे श्रीरामचरित मानस पाठ चलता है। हर दिन भंडारे होते हैं। विशेष अवसरों पर लाखों लोग मत्था टेकने पहुंचते हैं। तीनों मंदिरों के किनारे तालाब भी स्थापित हैं।

 

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