INDORE. इंदौर गुरुसिंघ सभा के चुनाव टल गए हैं, अब यह 11 फरवरी को नहीं होंगे। हाईकोर्ट इंदौर के आदेश के बाद कम से कम दो सप्ताह यह चुनाव नहीं हो सकते हैं। गुरूसिंघ सभा चुनाव को लेकर हरप्रीत सिंह बख्शी ने सहजदारी की लड़ाई लड़ी और कोर्ट ने उनका तर्क मानकर चुनाव रद्द कर दिए। सहजधारी सिख मामले में हरप्रीत सिंह बख्शी द्वारा लगाई याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट इंदौर ने आदेश दिया है कि असिस्टेंट रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी इंदौर द्वारा इस मामले में लगी अपील का निराकरण दो सप्ताह में किया जाए और वह चुनाव प्रक्रिया को भी देखे।
बायलॉज में भी है कि सहजधारी वोट कर सकता हैः बख्शी
सिंधी समाज के बहुत सारे लोग जो गुरूग्रंथ साहब को मानते हैं। ऐसे लोगों के लिए अपना संघर्ष था कि इन लोगों को तोड़ने का काम कुछ लोग कर रहे हैं ऐसा नहीं करना चाहिए, समाज से जो लोग जुड़े हैं उनको जुड़े रहना चाहिए। इसी को लेकर हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार को आदेश दिया है कि वे संज्ञान लें और पूरी सूची व्यवस्थित बनाकर चुनाव कार्यक्रम घोषित करें। सहजधारी के मतदाता सूची में नाम को लेकर हरप्रीत सिंह ने बताया कि गुरूसिंघ सभा के बायलॉज में भी है कि सहजधारी वोट कर सकता है। गुरूसिंघ सभा चुनाव को लेकर हरप्रीत सिंह बख्शी ने सहजदारी की लड़ाई लड़ी और कोर्ट ने उनका तर्क मानकर चुनाव रद्द कर दिए हैं। इसका पूरा श्रेय हरप्रीत सिंह बख्शी को जाता है। मोनू भाटिया और उनके लोगों ने चुनाव प्रक्रिया से सहजदारी सिखों के बाहर करवाया था।
असिस्टेंट रजिस्ट्रार पहले ही इस मामले में दे चुका है नोटिस
असिस्टेंट रजिस्ट्रार इस मामले में गुरूसिंघ सभा समिति और मुख्य चुनाव अधिकारी को पहले ही नोटिस जारी कर पूछ चुका है कि सहजधारी सिख को सदस्य क्यों नहीं बनाया गया है, मतदाता सूची किस तरह बनाई गई है और किस बैठक में और किस नियम से चुनाव अधिकारी नियुक्त हुए हैं? इन सभी मुद्दों पर जवाब पर सुनवाई करने के बाद और अब हाईकोर्ट के आदेश पर असिस्टेंट रजिस्ट्रार ही पुरी चुनाव प्रक्रिया को देखेंगे और इस संबंध में निर्देश जारी करेंगे।
सहजधारी सिख अभी तो मतदाता सूची में है ही नहीं
सहजधारी सिख तो अभी मतदाता सूची में है ही नहीं, इन्हें शामिल करने के लिए सभी की एजीएम बुलाकर प्रस्ताव पास करना होगा। यानि यदि असिस्टें रजिस्ट्रार इन्हें सदस्य बनाने का फैसला सुनाता है तो समिति को पहले एजीएम में प्रस्ताव पास कर इन्हें सदस्य बनाने का नियम पास करना होगा। इसमें लंबा समय लगेगा। मतदाता सूची में यह आते हैं तो फिर यह नामांकन भरने के लिए भी पात्र होकर चुनाव लड़ने योग्य हो जाते हैं। ऐसे में फिर क्या नामांकन प्रक्रिया नए सिरे से होगी? यह भी असिस्टेंट रजिस्ट्रार को साफ करना होगा। यानि चुनाव मुश्किल में हैं।
इससे पहले फर्म्स एंड सोसायटी ने थमाया था नोटिस
सोसायटी को 31 जनवरी को मिली शिकायत पर असिस्टेंट रजिस्ट्रार बीडी कुबेर ने यह नोटिस जारी किया है। इसमें है कि संस्था के निर्वाचन को लेकर शिकायत मिली है कि संस्था के चुनाव में सहजधारी सिख को सदस्य नहीं बनाया गया है, जबकि संस्था के विधान के तहत सहजधारी सिख भी मेंबर हो सकता है। साथ ही यह सदस्य कार्यकारिणी का भी मेंबर हो सकता है। जिसका प्रावधान नियम 20 में किया है। संस्था के निर्वाचन के संबंध में निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति किस प्रकास व किस बैठक में की गई है व चुनाव कार्यक्रम क्या निर्धारित किया गया है, यह भी जानकारी तत्काल इस कार्यालय को भेजना सुनिश्चित करें। निर्वाचन संबंधी सभी कार्रवाई संस्था के पंजीकृत विधान के अनुसार कराई जाए।