प्राइवेट कॉलेज के फ्रेंचाइजी मॉडल के सर्टिफिकेट अमान्य : हाईकोर्ट

कोर्ट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के 27 जून 2013 के परिपत्र का हवाला देते हुए दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से निजी विश्वविद्यालयों को अपने मुख्य परिसर के बाहर स्टडी सेंटर या फ्रेंचाइज़ी चलाने पर रोक लगाई गई थी।

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में निजी विश्वविद्यालयों द्वारा फ्रेंचाइज़ी मॉडल के तहत जारी किए गए। डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट को अवैध और अमान्य घोषित किया है। यह निर्णय कोर्ट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के 27 जून 2013 के परिपत्र का हवाला देते हुए दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से निजी विश्वविद्यालयों को अपने मुख्य परिसर के बाहर स्टडी सेंटर या फ्रेंचाइज़ी चलाने पर रोक लगाई गई थी।

 स्टडी सेंटर से डिग्री पाने का मामला

यह मामला उन छात्रों से संबंधित है, जिन्होंने निजी विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित फ्रेंचाइज़ी या स्टडी सेंटर से अपनी डिग्रियां प्राप्त की थीं। छात्रों ने कोर्ट में याचिका दायर कर यह सवाल उठाया था कि क्या उनकी डिग्रियां वैध हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि वे इन डिग्रियों के आधार पर नौकरियों के लिए अयोग्य घोषित हो रहे हैं। मामले की सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट ने यह पाया कि UGC के नियमों का उल्लंघन कर फ्रेंचाइज़ी मॉडल के तहत डिग्रियां जारी करना अवैध है। कोर्ट ने यह भी कहा कि छात्रों को इन डिग्रियों के कारण हुए नुकसान के लिए विश्वविद्यालयों पर कानूनी कार्रवाई का अधिकार है।

यह है फैसले का मुख्य आधार

हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों का हवाला देते हुए यह निर्णय दिया। UGC के परिपत्र के अनुसार...

1. फ्रेंचाइज़ी मॉडल पर पूर्ण प्रतिबंध: निजी विश्वविद्यालय केवल अपने मुख्य परिसर में ही शैक्षणिक गतिविधियाँ संचालित कर सकते हैं।
2. ऑफ-कैंपस सेंटर्स की मनाही: किसी भी निजी विश्वविद्यालय को अपने मुख्य परिसर के बाहर स्टडी सेंटर, ऑफ-कैंपस सेंटर, या फ्रेंचाइज़ी खोलने की अनुमति नहीं है।
3. UGC की पूर्व स्वीकृति आवश्यक: यदि किसी विश्वविद्यालय को अपने मुख्य परिसर के बाहर शैक्षणिक गतिविधियाँ चलानी हैं, तो इसके लिए पहले UGC से अनुमति लेनी होगी।


छात्रों पर पड़ेगा फैसले का प्रभाव

इस फैसले का सबसे बड़ा प्रभाव उन छात्रों पर पड़ेगा, जिन्होंने फ्रेंचाइज़ी मॉडल के तहत डिग्रियां प्राप्त की हैं। इन छात्रों को सरकारी और निजी नौकरियों में आवेदन करने में कठिनाई हो सकती है। वे उच्च शिक्षा के लिए भी अयोग्य हो सकते हैं। कोर्ट ने सुझाव दिया कि ऐसे छात्र मुआवजे के लिए संबंधित विश्वविद्यालयों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इस फैसले से निजी विश्वविद्यालयों को बड़ा झटका लगा है। क्योकि वे अब अपने मुख्य परिसर के बाहर कोई भी स्टडी सेंटर या फ्रेंचाइज़ी संचालित नहीं कर पाएंगे। वहीं ऐसे विश्वविद्यालयों पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जिन्होंने UGC के नियमों का उल्लंघन किया है। इस फैसले के बाद इन विश्वविद्यालयों की साख पर भी बुरा असर पड़ेगा।

हाईकोर्ट ने क्या कहा 

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि निजी विश्वविद्यालयों द्वारा UGC के नियमों का उल्लंघन न केवल छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि यह भारतीय शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करता है।" मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह निर्णय न केवल प्रभावित छात्रों के लिए, बल्कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। यह फैसला निजी विश्वविद्यालयों के मनमाने रवैये पर अंकुश लगाने और छात्रों के अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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