MPPSC में रुके हुए 13 फीसदी की मेरिट लिस्ट जारी करने का HC का आदेश

जबलपुर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जारी लिखित आदेश में कहा है कि वह उन नाम और योग्यता रैंकिंग का खुलासा करें जो अनारक्षित और ओबीसी कैटेगरी के लिए 13 फीसदी सूची में हैं। विज्ञापित रिक्तियां और याचिकाकर्ताओं की मेरिट रैंकिंग का भी खुलासा होना चाहिए।

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Jitendra Shrivastava
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संजय गुप्ता, INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग ( MPPSC ) में सितंबर 2022 से लागू हुए 87-13 फीसदी फार्मूले को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट की डबल बैंच का एक अहम आदेश आया है। पांच उम्मीदवारों की याचिका पर सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि इस कैटेगरी में शामिल उम्मीदवारों की मेरिट लिस्ट जारी की जाए। 

हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जारी आदेश में यह कहा

हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जारी लिखित आदेश में कहा है कि वह उन नाम और योग्यता रैंकिंग का खुलासा करें जो अनारक्षित और ओबीसी कैटेगरी के लिए 13 फीसदी सूची में हैं। विज्ञापित रिक्तियां और याचिकाकर्ताओं की मेरिट रैंकिंग का भी खुलासा होना चाहिए। यह भी खुलासा होना चाहिए कि क्या याचिकाकर्ताओं की तुलना में कम योग्यता रैंकिंग हासिल करने वाले किसी भी उम्मीदवार को पद भरने के लिए 87 फीसदी में नियुक्त किया गया है। वहीं इसे लेकर हाईकोर्ट ने मप्र शासन और पीएससी से एक सप्ताह में जवाब मांगा है जिसमें 29 अप्रैल को अगली सुनवाई लगाई गई है। 

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा सभी का रिजल्ट होगा ओपन

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अंशुमन सिंह ने 'द सूत्र' को बताया कि हाईकोर्ट ने इसमें 13 फीसदी कैटेगरी में आए ओबीसी और अनारक्षित सभी छात्रों की सूची जारी करने के आदेश दिए हैं। अब पीएससी मेरिट क्रम में यह सूची जारी करता है या आगे क्या करता है, यह उनके 29 अप्रैल के जवाब में तय होगा। 

87-13 फीसदी का यह है विवाद

87-13 फीसदी फार्मूले में पीएससी ने पदों को दो कैटेगरी में बांटा हुआ है, यह प्री स्तर पर ही कर दिया गया है जो मेन्स और अंतिम रिजल्ट तक लागू होगा। प्री में दोनों कैटेगरी के उम्मीदवारों के रिजल्ट घोषित हो रहे हैं ताकि मेन्स क्वालीफायर का पता चल सके, फिर मेन्स में पास वालों की सूची भी जारी हो रही है, जिससे पता चल सके कि 87 और 13 फीसदी कैटेगरी में कौन इंटरव्यू देने के लिए पात्र है। लेकिन इसके बाद अंतिम रिजल्ट में 13 फीसदी की कोई सूची मेरिट लिस्ट जारी नहीं हो रही है। यह बंद लिफाफे में हैं। इसमें तय किया गया है कि जब ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी रहेगा या 14 फीसदी होगा, उस पर कोर्ट से फैसला आने के बाद ही लिफाफा खुलेगा। यदि ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी होता है तो यह 13 फीसदी रुके पद ओबीसी में चले जाएंगे नहीं तो फिर अनारक्षित कैटेगरी वालों को यह पद जाएंगे। 

इसके चलते कई पद होल्ड हैं

इसके चलते साल 2019-2020 राज्य सेवा, राज्य वन सेवा सहित कई परीक्षाओं के रिजल्ट यहां तक कि सेट क्वालीफायर के अंतिम रिजल्ट भी आयोग ने 87 फीसदी के ही जारी किए और बाकी 13 फीसदी पद हर परीक्षा में होल्ड हो गए हैं। इसके चलते उम्मीदवारों को यह पता नहीं चल रहा है कि वह मेरिट में किस स्थान पर है, कल को यदि ओबीसी या अनारक्षित जिस कैटेगरी के पक्ष में भी फैसला आता है तो क्या इसके बाद भी वह मेरिट में हैं कि नहीं? यही जानने के लिए उम्मीदवार लगातार मांग कर रहे हैं। मेरिट क्रम क्लियर होने से उन्हें भविष्य के लिए अपनी स्थिति साफ हो सकेगी। कई पद इसी 13 फीसदी के फेर में उलझ गए हैं।

कॉपियां भी देखने को नहीं मिल रही है

उधर उम्मीदवारों को पहले जो अंतिम रिजल्ट के बाद कॉपियां दिखाई जाती थी वह भी बंद है, जबकि 2019 व 2020 की परीक्षा भर्ती पूरी हो चुकी है। ऐसे में कई उम्मीदवारों को अपनी गलतियां भी पता नहीं चल रही है कि वह आखिर कहां चूक रहे हैं। 

उधर कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) में भी यही हाल हैं

इसी फार्मूले को मप्र शासन ने जनवरी 2024 में कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) में भी लागू कर दिया, जिसके बाद वहां भी अब 87 फीसदी ही अंतिम रिजल्ट जारी हो रहा है और 13 फीसदी पद होल्ड हो गए हैं। वहां करीब आठ हजार पदों की भर्ती रुक गई है। इसी तरह पीएससी में भी सैंकड़ों पद होल्ड हो चुके हैं।

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