सैफ अली खान की पुश्तैनी संपत्ति विवाद में HC का बड़ा फैसला, अब ट्रायल कोर्ट करेगा नए सिरे से सुनवाई

भोपाल रियासत के अंतिम नवाब मोहम्मद हमीदुल्ला खान की पुश्तैनी संपत्ति को लेकर चल रहे उत्तराधिकार विवाद में जबलपुर हाईकोर्ट ने बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। यह याचिका नवाब हमीदुल्ला खान के वंशज यसीर सुल्तान और फैज़ा सुल्तान द्वारा दायर की गई थी।

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Neel Tiwari
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रPhotograph: (the sootr)

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भोपाल रियासत के अंतिम नवाब मोहम्मद हमीदुल्ला खान की पुश्तैनी संपत्ति को लेकर चल रहे उत्तराधिकार विवाद में जबलपुर हाईकोर्ट ने बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। यह याचिका नवाब हमीदुल्ला खान के वंशज यसीर सुल्तान और फैज़ा सुल्तान द्वारा दायर की गई थी।

हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा 14 फरवरी 2000 को दिए गए फैसले को दोषपूर्ण करार देकर रद्द कर दिया है। पूरे मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए ट्रायल कोर्ट को भेज दिया है।

छोटी बेगम और बड़ी बेगम के उत्तराधिकारियों के बीच विवाद

इस केस में प्रतिवादी बनाए गए हैं नवाब मंसूर अली खान पटौदी की पत्नी व मशहूर अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, बेटे सैफ अली खान, बेटियां सबा सुल्तान और सोहा अली खान, जो सभी नवाब हमीदुल्ला खान के वंशज हैं। इनके अलावा अन्य उत्तराधिकारी भी वाद में प्रतिवादी बनाए गए हैं। याचिकाकर्ता यसीर और फैजा सुल्तान का दावा है कि नवाब की निजी संपत्ति पर सभी वैध वारिसों का अधिकार है। 

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नवाब हमीदुल्लाह खान की संपत्ति से जुड़ा है विवाद

भोपाल के अंतिम नवाब मोहम्मद हमीदुल्ला खान का निधन 4 फरवरी 1960 को हुआ था। उन्होंने भारी मात्रा में अचल और चल संपत्ति छोड़ी थी। वर्ष 1999 में याचिकाकर्ताओं ने दो दीवानी वाद दायर कर नवाब की निजी संपत्तियों का बंटवारा, कब्जा और लेखा-जोखा तय करने की मांग की।

याचिका में कहा गया कि नवाब की संपत्ति उनकी व्यक्तिगत संपत्ति थी, और इस पर सभी वारिसों का उत्तराधिकार मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार होना चाहिए था। जबकि भारत सरकार ने 10 जनवरी 1962 को एक अधिसूचना जारी कर नवाब की बेटी साजिदा सुल्तान को इस संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था।

छोटी बेगम के वारिसों ने पेश किया संपत्ति पर दावा

याचिकाकर्ता यसीर और फैज़ा सुल्तान दोनों नासिर मिर्जा की संतान है,  जो नवाब हमीदुल्लाह खान की छोटी बेगम के बेटे थे। उन्होंने कोर्ट में तर्क दिया कि भारत सरकार द्वारा नवाब साजिदा सुल्तान को सम्पूर्ण संपत्ति का एकमात्र उत्तराधिकारी घोषित करना गलत था। यह संपत्ति केवल सिंहासन की नहीं, बल्कि नवाब हमीदुल्ला खान की व्यक्तिगत संपत्ति थी, और उसका उत्तराधिकार मुस्लिम व्यक्तिगत कानून के तहत होना चाहिए था।

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शर्मिला टैगोर और परिवार का पक्ष

प्रतिवादियों, यानी शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान, सोहा अली खान और सबा सुल्तान की ओर से कोर्ट में तर्क रखा गया कि भोपाल रियासत के भारत में विलय के समय जो समझौता हुआ था, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि नवाब की संपत्तियां अगली शासक को हस्तांतरित होंगी।

साजिदा सुल्तान को भारत सरकार द्वारा अधिकृत रूप से अगला शासक घोषित किया गया था। नवाब हमीदुल्लाह खान की बड़ी बेगम साजिदा सुल्तान के बेटे नवाब मंसूर अली पटौदी थे। इसलिए संपत्ति पर उनका और उनके उत्तराधिकारियों का अधिकार वैध है।

यह है नवाब हमीदुल्लाह खान की वंशावली 

इस मामले में विवाद की जड़ जानने के भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान की वंशावली जानना जरूरी है। दरअसल नवाब हमीदुल्लाह खान की दो बेगम में थी,बड़ी बेगम और छोटी बेगम। बड़ी बेगम की तीन बेटियां आबिदा सुल्तान, साजिदा सुल्तान और राबिया सुल्तान थी।

भारत सरकार ने साल 1962 में अधिसूचना जारी कर साजिदा सुल्तान को नवाब की संपत्ति का वारिस घोषित किया था। इसके बाद इस संपत्ति के वारिस साजिदा सुल्तान के बेटे नवाब मंसूर अली पटौदी और बेटियां साबीहा और सलेहा बने और उसके बाद उनके बच्चे उत्तराधिकारी बने।

वहीं दूसरी और छोटी बेगम के बेटे नसीर मिर्जा सहित उनके बच्चों यसीर और फ़ैज़ा को संपत्ति पर हक नहीं मिला जहां से यह विवाद शुरू हुआ। अब नसीर मिर्जा के बच्चे यसीर और फ़ैज़ा खुद को नवाब के वैध वंशज बताते हुए संपत्ति पर हिस्सा मांग रहे हैं। 

हाईकोर्ट ने इसलिए खारिज किया निचली अदालत का आदेश

ट्रायल कोर्ट ने 14 फरवरी 2000 को याचिका खारिज करते हुए एक पुराने फैसले (1997) को आधार बनाया था। लेकिन हाईकोर्ट ने पाया कि "तलत फातिमा हसन बनाम नवाब सैयद मुर्तज़ा अली खान" मामले के आदेश को बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2020 में पलट दिया गया था। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने कानून की अद्यतन स्थिति पर विचार किए बिना ही वाद खारिज कर दिया और इसलिए उस फैसले को बनाए नहीं रखा जा सकता।

हाइकोर्ट के आदेश के मुख्य बिंदु...

  • ट्रायल कोर्ट के निर्णय और डिक्री को रद्द कर दिया गया।
  • दोनों वादों को नए सिरे से सुनवाई के लिए ट्रायल कोर्ट को भेजा गया।
  • ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया गया कि वह 1 वर्ष के भीतर इस मामले का निपटारा करे।
  • पक्षकारों को यह छूट दी गई है कि वे नए सिरे से साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं।
  • क्योंकि यह वाद संपत्ति के बंटवारे से संबंधित हैं, इसलिए यदि आवश्यक हुआ तो प्रारंभिक डिक्री पारित की जाएगी और बाद में विभाजन की औपचारिकताएं पूरी कर अंतिम डिक्री दी जा सकेगी।

ट्रायल कोर्ट में होगा अंतिम फैसला

अब यह मामला ट्रायल कोर्ट में दोबारा खुलेगा। वहां यह तय होगा कि नवाब हमीदुल्ला खान की संपत्तियों पर केवल साजिदा सुल्तान और उनके वंशजों का अधिकार है, या फिर मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत अन्य वारिसों का भी दावा बनता है। इस ऐतिहासिक रियासत संपत्ति विवाद में आने वाले दिनों में कानूनी रूप से बड़ा मोड़ आ सकता है, और यह फैसला देश के अन्य पूर्व राजपरिवारों की संपत्तियों के विवादों को भी प्रभावित कर सकता है।

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