मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगे केस में सुनवाई 15 अक्टूबर को संभावित थी। लेकिन यह केस इस दिन के लिए लिस्ट नहीं किया गया है। इस मामले में जानकारी आई है कि यह अब 22 अक्टूबर को संभावित है।
छत्तीसगढ़ केस के साथ लिंक
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने बताया कि यह केस छत्तीसगढ़ में भी चल रहे आरक्षण विवाद केस के साथ लिंक है। ऐसे में इसमें एक साथ सुनवाई होना है और 22 अक्टूबर को संभावित है। संभव है कि मंगलवार रात तक या एक-दो दिन में इसकी जानकारी अपलोड हो जाएगी। उधर ओबीसी के आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे अधिवक्ता रामेशवर ठाकुर ने भी कहा कि नई तारीख एक-दो दिन में क्लियर हो जाएगी। लेकिन 15 अक्टूबर तक सुनवाई नहीं है।
अगस्त में हुई थी सुनवाई
इसके पहले अगस्त में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवाई और जस्टिस केवी विश्वनाथन के सामने सुनवाई हुई थी। इसमें अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क रखा था कि संवैधानिक बेंच ने 50 से अधिक आरक्षण पर रोक लगाई है, लेकिन इसके बाद भी मध्य प्रदेश सरकार ने आरक्षण बढ़ाते हुए इसे 63 फीसदी कर दिया है, उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण में भी अतिरिक्त आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने अमान्य किया। इसी तरह बिहार के मामले में भी 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण को अमान्य किया जा चुका है।
ऐसे में मध्य प्रदेश में भी 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिटेयर जनरल तुषार मेहता मौजूद थे। अधिवक्ता सांघी ने यह भी कहा था कि मार्च 2019 में इस आरक्षण के विरुद्ध हमने हाईकोर्ट में स्टे लिया था, उसमें लगातार सुनवाई हुई लेकिन फैसले के पूर्व मध्य शासन द्वारा इसमें ट्रांसफर याचिका लगा दी गई ।
सुनवाई में 87 फीसदी भर्ती की बात भी रखी
यह भी बात रखी गई थी कि हाईकोर्ट से 27 फीसदी आरक्षण पर स्टे होने के बाद 100 फीसदी भर्ती करने की जगह 87-13 का फार्मूला लागू कर दिया गया। हाई कोर्ट में अगर यह मामला जाता है तो फिर हाई कोर्ट सुनवाई करेगा और जो भी फैसला आएगा एक बार फिर से इसमें मामला सुप्रीम कोर्ट में ही आएगा और समय इसमें जाएगा और अभ्यर्थी परेशान होंगे इसलिए निवेदन है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पूरी सुनवाई करे और फैसला कीजिएगा।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट डबल बेंच ने इस मामले को स्वीकार कर लिया और सभी पक्ष को नोटिस जारी कर दिया था। खासतौर से मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा गया है 27 फीसदी आरक्षण क्यों और कैसे किया गया है और दूसरा यह 87-13 का फॉर्मूला से भर्ती क्यों की गई है।
इस कारण हजारों पद और लाखों उम्मीदवार अटके
सामान्य प्रशासन विभाग के सितंबर 2022 में दिए गए 87-13 फीसदी फार्मूले के कारण पीएससी और ईएसबी परीक्षाओं के हजारों पदों पर भर्ती रुक गई है जो 13 फीसदी कोटे में है। इसमें आए लाखों उम्मीदवार फैसले का इंतजार कर रहे हैं और दो साल से मामला अटका हुआ है। उम्मीदवारों के लिए एक-एक दिन भी भारी पड़ रहा है। उम्मीदवारों को ना अपने अंक पता है, ना कॉपियां देख पा रहे हैं और ना ही आगे का भविष्य पता है। इसके चलते उम्मीदवारों में गहरी हताशा है।
वहीं ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन इसमें एजी प्रशांत सिंह का इस्तीफा ही मप्र शासन से मांग चुका है। उनका कहना है कि विधानसभा से 27 फीसदी आरक्षण का एक्ट पास हुआ है। अब हाईकोर्ट से जो स्टे था, वह ट्रांसफर याचिका सुप्रीम कोर्ट जाने से खत्म हो चुका है लेकिन अभी भी 13 फीसदी पद रोके हुए हैं। इसे ओबीसी को दिया जाए। यह भी कहा कि एजी की गैर विधिक राय के कारण यह मामला उलझा हुआ है।
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