Right To Education Admissions
संजय गुप्ता, INDORE. शिक्षा के अधिकार ( RTE ) में बच्चों को एडमिशन नहीं मिलने पर हाल ही में जिला प्रशासन ने इंदौर में 2 स्कूलों पर सख्त कार्रवाई की थी। इसके बाद स्कूलों के संगठन ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। इस पर हाईकोर्ट ने मप्र शासन के 21 फरवरी 2024 के सर्कुलर पर रोक लगा दी है। उधर कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि माननीय हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन करेंगे। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि नियमानुसार एडमिशन पाने वाले गरीब बच्चों की पढ़ाई किसी भी तरह बाधित नहीं हो।
ये कहना है स्कूल एसोसिएशन का
हाईकोर्ट में एसोसिएशन ऑफ अनएडेड सीबीएसई स्कूल ने याचिका दायर की थी। इसमें इनका पक्ष था कि आरटीई में तो हम एडमिशन दे रहे हैं। लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग ने 21 फरवरी को सर्कुलर जारी कर सीटों की गणना का फॉर्मूला बदल दिया। इसमें कहा गया कि नर्सरी, केजी वन, टू और क्लास वन की सीटों की संख्या के औसत का 25 फीसदी आरटीई में एडमिशन देना होगा। यानी यदि 100 सीट हैं तो 25 फीसदी औसत के हिसाब से 25 सीट नर्सरी में एडमिशन मांगा जा रहा। जबकि हमारे पास सीट ही सीमित हैं तो एक ही क्लास में इतने एडमिशन कैसे दिए जा सकते हैं। एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता गौरव छाबड़ा ने तर्क रखे। इन पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने 21 फरवरी के सकुर्लर पर रोक लगा दी। अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी।
ऐसे में ज्यादा एडमिशन पर क्या होगा ?
अब सवाल ये है कि जिन स्कूलों में एडमिशन हो गया है, उनका क्या होगा ? फिलहाल, इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। हाल ही में प्रशासन ने अग्रवाल पब्लिक स्कूल और चमेली देवी स्कूल में कम एडमिशन होने की स्थिति में टीम भेजकर सख्ती की थी और 40 से ज्यादा गरीब बच्चों को एडमिशन दिलवाया था। इसके बाद से ही स्कूल संचालक ने एकजुट होकर एसोसिएशन के माध्यम से यह याचिका दायर कर दी।
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एसोसिएशन ने प्रेस नोट जारी कर यह कहा
वहीं स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल धूपर ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग और राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा आरटीई के तहत जो प्रक्रिया 2024-25 के लिए अपनाई गई थी उसे इंदौर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया है। विभाग ने जो प्रक्रिया अपनाई थी, उसमें खामी थी, और उसका विरोध स्कूलों ने किया था। विभाग ने अनसुना करते हुए संख्या से ज्यादा प्रवेश अलॉटमेंट दिए गए और जबरदस्ती स्कूलों के विरोध के बावजूद प्रवेश करवाए गए।
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