हाईकोर्ट ने फर्जी हस्ताक्षर करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार

हाईकोर्ट ने फर्जी हस्ताक्षर मामले की सुनवाई के बाद हिमांशु की अग्रिम जमानत याचिका को निरस्त कर दिया है। आरोपियों पर फर्जी हस्ताक्षर से डायरेक्टर बदल कर करोड़ों रुपए की आर्थिक गड़बड़ी करने का आरोप है...

author-image
Jitendra Shrivastava
New Update
thesootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

BHOPAL. हाईकोर्ट जबलपुर ने फर्जी हस्ताक्षर करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। मामला जबलपुर के सिहोरा के हरगढ़ स्थित लौह अयस्क कंपनी मेसर्स यूरो प्रतीक से जुड़ा है। कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर दो डायरेक्टर्स को बाहर कर दिया था। 

तीन डायरेक्टर और कंपनी सेक्रेटरी शामिल 

फर्जी तरीके से हटाए गए पीड़ित दोनों डायरेक्टर्स ने कंपनी के चार लोगों पर धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी। इनमें तीन डायरेक्टर और एक कंपनी सेक्रेटरी शामिल है। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद से आरोपी फरार चल रहे हैं। इधर, मुख्य आरोपी हिमांशु श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट जबलपुर में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद हिमांशु की अग्रिम जमानत याचिका को निरस्त कर दिया है। आरोपियों पर फर्जी हस्ताक्षर से डायरेक्टर बदल कर करोड़ों रुपए की आर्थिक गड़बड़ी करने का आरोप है।

  • गर्भकाल …
  • मोहन यादव सरकार के नौ माह और आपका आंकलन…
  • कैसी रही सरकार की दशा और दिशा…
  • आप भी बताएं मोहन कौन सी तान बजाएं…. 
  • इस लिंक पर क्लिक करके जानें सबकुछ…

https://thesootr.com/state/madhya-pradesh/cm-mohan-yadav-garbhkal-the-sootr-survey-6952867

फर्जी हस्ताक्षर से लिया इस्तीफा

फर्जी तरह से हटाए गए डायरेक्टर्स सुरेंद्र सलूजा और हरनीत सिंह लांबा ने कटनी में फर्जी हस्ताक्षर करने वाले चार लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। डायरेक्टर का आरोप था कि गोलमाल के मुख्य सरगना महेंद्र गोयनका के इशोर पर हिमांशु श्रीवास्तव, सन्मति जैन,  सुनील अग्रवाल और लाची मित्तल ने फर्जीवाड़ा कर उन्हें कंपनी से हटा दिया था। इसके बाद पुलिस ने गोयनका के प्यादों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू की है। 

यह है पूरा मामला

सुरेंद्र सिंह सलूजा ने बताया कि वे मेसर्स यूरो प्रतीक इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड में वर्ष 2018 में डायरेक्टर बने थे। यह कंपनी लौह अयस्क यानी आयरन ओर का काम करती है। सलूजा ने कंपनी में रुपए भी इन्वेस्ट किए हैं। बकौल सलूजा, शुरुआत में सब कुछ ठीक चल रहा था। कंपनी अच्छे से रन हो रही थी। हाल ही के दिनों में उन्हें पता चला कि कंपनी में मनमानी होने लगी। डायरेक्टर्स को भरोसे में लिए बिना ही लौह अयस्क बेचे जाने लगे। इसे लेकर उन्होंने जबलपुर कलेक्टर से शिकायत की। जब इस मामले की सुनवाई हुई तो कलेक्टर ने सलूजा को बुलाया। जब वे पहुंचे और अपना परिचय दिया तो पास में खड़े वकील ने उन्हें बताया कि वे अब कंपनी में डायरेक्टर नहीं हैं। यह सुनकर सलूजा को विश्वास ही नहीं हुआ। पुख्ता जानकारी लेने के लिए उन्होंने सीए से संपर्क किया तो उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की। 

फर्जी इस्तीफा और साइन बनाकर की कूटरचना 

आरोप है कि चारों आरोपियों ने इस्तीफा और साइन बनाकर डायरेक्टर्स को कंपनी से हटाया। इसके बाद बैंक से करोड़ों रुपए की एफडी तोड़ी और कंपनी में घोटाला किया। सलूजा और लांबा ने आरोप लगाया कि एफआईआर में मुख्य सरगना रायपुर निवासी महेन्द्र गोएनका का नाम गायब कर दिया गया है।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

 

अग्रिम जमानत से इनकार anticipatory bail denial High Court मध्यप्रदेश हाईकोर्ट फर्जी हस्ताक्षर fake signature