हाई कोर्ट ने ज्यादती के बाद गर्भवती होने वाली नाबालिग और बालिग युवतियों के गर्भपात कराए जाने के मामले में एक अहम फैसला दिया है। अब सवाल ये है कि क्या गर्भपात पर हाई कोर्ट का फैसला अविवाहित महिलाओं की राह आसान करेगा...
क्या है हाई कोर्ट का अहम फैसला
हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कहा है कि संबंधित पुलिस थाना के प्रभारी, जांच अधिकारी और सरकारी डॉक्टर की जिम्मेदारी है कि वह पीड़िता या उसके परिजन को लिखकर दें कि वह सीधे गर्भपात करवा सकते हैं। 22 सप्ताह से कम के मामलों में अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं हैं। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने यह फैसला जारी किया है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश की प्रति प्रदेश के सभी पुलिस स्टेशन पर भेजने के साथ ही यह भी लिखा है कि इस आदेश का पालन नहीं होने पर संबंधित जांच अधिकारी, डाॅक्टर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई भी की जाएगी।
भारत में गर्भपात कब कराया जा सकता है?
- भारत में गर्भपात को नियंत्रित करने वाले कानून, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 ( medical termination of pregnancy ) के अनुसार, एक पंजीकृत चिकित्सक गर्भपात कर सकता है। यदि कोई महिला 20 सप्ताह से कम समय से गर्भवती है, तो केवल एक चिकित्सक को यह तय करना होगा कि गर्भपात सुरक्षित है या नहीं।
- अगर गर्भावस्था 20 से 24 सप्ताह के बीच है, तो दो डॉक्टरों को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का आकलन करना होता है।
- 20-24 सप्ताह के बीच गर्भपात के विकल्प ( abortion tips ) का उपयोग केवल कुछ महिलाएं ही कर सकती हैं, जैसे बलात्कार पीड़िता, नाबालिग, मानसिक या शारीरिक रूप से बीमार हो।
- यहां ये जानना जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला भविष्य में इस तरह के अन्य मामलों में महिलाओं के लिए राहत भरा हो सकता है।
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क्या अविवाहित महिलाएं भी गर्भपात करा सकती हैं
सवाल ये भी उठता है कि क्या अविवाहित महिलाएं ( unmarried women abortion tips ) भी गर्भपात करा सकती हैं, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि एकल महिलाओं को भी 24 सप्ताह तक गर्भपात कराने की अनुमति दी जानी चाहिए।
यदि कोई महिला गर्भनिरोधक के बावजूद गर्भवती हो जाए तो क्या होगा
- कानून में कहा गया है कि ऐसे मामले में जहां गर्भावस्था गर्भनिरोधक विफलता का परिणाम है तो यह अपने-आप मानसिक सदमा माना जाएगा और गर्भपात की अनुमति होगी।
- इसी तरह 20 सप्ताह से कम के गर्भ के मामले में उन्हें आसानी से गर्भपात कराने की अनुमति होनी चाहिए, 20-24 सप्ताह के बीच, यह मामले के तथ्यों पर निर्भर करेगा कि अनुमति मिलती है या नहीं।
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