आईपीएस नवनीत भसीन और अमित सांघी को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, जांच का आदेश रोका

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने आईपीएस नवनीत भसीन और अमित सांघी सहित पांच पुलिस अधिकारियों को बड़ी राहत दी है। इन अधिकारियों के खिलाफ बेलगढ़ा थाना में आत्महत्या मामले में जांच का आदेश दिया गया था।

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Sourabh Bhatnagar
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अगस्त 2019 में मध्यप्रदेश के बेलगढ़ा पुलिस थाना (ग्वालियर) में एक आत्महत्या का मामला सामने आया था, जिसमें सुरेश रावत नामक व्यक्ति ने फांसी लगाकर अपनी जान दी थी। मृतक के बेटे अशोक रावत ने इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरती और उचित जांच नहीं की।

नवंबर 2022 में सिंगल बेंच ने इस मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे, लेकिन इसके खिलाफ अपील दायर की गई थी। हाल ही में, जस्टिस आनंद पाठक की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने इस आदेश को निरस्त करते हुए इस मामले में IPS नवनीत भसीन और अमित सांघी समेत पांच अन्य अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है।

हाई कोर्ट का फैसला

हाई कोर्ट ने इन पांच पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सिंगल बेंच द्वारा दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जांच में कोई भी साक्ष्य या तथ्य नहीं पाया गया, जो इन अधिकारियों की लापरवाही या किसी प्रकार की अनियमितता को साबित करता हो। इसके साथ ही, मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई भी आरोप लगाए बिना इस आदेश को रद्द कर दिया गया।

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मामले की सीबीआई जांच 

कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए थे। जब याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की, तो कोर्ट ने इस आरोप को गंभीरता से लिया और मामले की पूरी जांच सीबीआई को सौंपने का निर्णय लिया।

सीबीआई को मामले की नए सिरे से जांच करने के लिए निर्देश दिए गए थे और इसके साथ ही ग्वालियर के एसपी रहे नवनीत भसीन और अमित सांघी की भूमिका की भी जांच का आदेश दिया गया था।

पुलिस अधिकारियों की सफाई 

पुलिस अधिकारियों ने इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में अपना पक्ष रखा और बताया कि जिस दिन घटना हुई, उस दिन ही उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखा था। उनके अनुसार, किसी भी प्रकार की जांच में कोई गड़बड़ी नहीं थी और सभी प्रोटोकॉल का पालन किया गया था।

इसके अलावा, ग्वालियर आईजी ने एफआईआर के अगले दिन ही मामले की जांच शिवपुरी स्थानांतरित कर दी थी, जिसके बारे में तत्कालीन ग्वालियर एसपी ने भी पत्र लिखा था।

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