मध्य प्रदेश : आखिर कब मिलेगी शिक्षकों को क्रमोन्नति, आदेश के बाद प्राथमिक शिक्षकों को 10 माह करना पड़ा इंतजार

क्रमोन्नति के मामले में विभाग के पक्षपात का शिकार हजारों प्राथमिक शिक्षक भी आस लगाए हैं। इनके अधिकांश साथियों को बीते माह ही स्कूल शिक्षा विभाग से क्रमोन्नति का आदेश जारी हो चुका हैं।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. भर्ती में लेटलतीफी, अतिथि शिक्षक ( Guest teacher ) और अतिशेष का झमेला डीपीआई ( DPI ) की मुसीबत बना है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक क्रमोन्नति ( Higher Secondary Teacher Promotion ) के हक के लिए लामबंद होने लगे हैं। ये वे शिक्षक हैं जिनका सेवाकाल 12 साल से ज्यादा हो चुका है। क्रमोन्नति के मामले में विभाग के पक्षपात का शिकार हजारों प्राथमिक शिक्षक भी आस लगाए हैं। इनके अधिकांश साथियों को बीते माह ही स्कूल शिक्षा विभाग से क्रमोन्नति का आदेश जारी हो चुका हैं। लंबे समय से जारी मांग के बाद भी विभाग स्कूलों में रिक्त पदों का प्रबंधन नहीं कर पा रहा है। तय सेवाकाल पूरा करने के बावजूद पात्र शिक्षकों को पदोन्नति ( promotion to teachers ) तो मिल नहीं रही क्रमोन्नति के लिए भी सालों तक इंतजार करना पड़ रहा है। 

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10 माह बाद आई क्रमोन्नति की याद 

प्रदेश में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों का बड़ा वर्ग है। दोनों श्रेणियों में 50 हजार से ज्यादा शिक्षक ऐसे हैं जिनकी नियुक्त साल 2006 से 2009 के बीच हुई थी। ये शिक्षक अपनी नौकरी के 14 साल और उससे ज्यादा समय स्कूल शिक्षा विभाग को दे चुके हैं। स्कूल शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के अनुसार प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षकों को सेवाकाल के 12 साल पूरा करने पर पहलीऔर 24 साल बाद दूसरी क्रमोन्नति देने का प्रावधान है। वहीं उच्च माध्यमिक शिक्षकों को पहली क्रमोन्नति 10 साल और दूसरी 20 साल बाद देना निर्धारित है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अक्टूबर 2023 में स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राथमिक शिक्षकों को क्रमोन्नति देने का आदेश जारी किया था। जिला शिक्षा अधिकारियों को ऐसे शिक्षकों के नाम भी भेजे गए थे लेकिन विभाग आदेश जारी करने के बाद भूल गया। पिछले माह प्राथमिक शिक्षकों में बढ़ते असंतोष के बाद हाल ही में क्रमोन्नति देने का आदेश जारी किया गया है लेकिन अभी भी 50- 60 हजार शिक्षक क्रमोन्नति से वंचित रह गए हैं।  

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संवर्ग 1 और 2 को कब मिलेगी क्रमोन्नति 

आदेश के बाद अंतत: प्रदेश के आधे प्राथमिक शिक्षकों को क्रमोन्नति का लाभ मिल गया है। यानी भले ही पदोन्नति न मिल पाई हो लेकिन उन्हें उच्च पद के समान वेतनमान मिलने लगेगा। लेकिन इस क्रमोन्नति से वंचित करीब एक लाख माध्यमिक, उच्चमाध्यमिक और प्राथमिक शिक्षक अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। प्राथमिक शिक्षकों को क्रमोन्नति का लाभ देने के बाद उच्च और माध्यमिक शिक्षकों की अनदेखी को लेकर अब इन शिक्षकों में नाराजगी बढ़ रही है। संवर्ग 1 और 2 के शिक्षकों के संगठन भी स्कूल शिक्षा विभाग और सरकार पर पक्षपात के आरोप लगा रहे हैं। 

क्रमोन्नति से यह होगा लाभ 

स्कूल शिक्षा विभाग ने 22 जुलाई 2024 को 12 वर्ष का सेवाकाल पूरा करने वाले प्राथमिक शिक्षकों को क्रमोन्नति दिए जाने का आदेश जारी किया है। इसके तहत पदोन्नति समिति की बैठक में लिए गए निर्णयों के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से भेजी गई सूची का परीक्षण कर क्रमोन्नति की अनुशंसा के निर्देश दिए गए हैं। क्रमोन्नति की पात्रता के दायरे में आने वाले ऐसे प्राथमिक शिक्षकों को अब वेतनमान  सातवे वेतनमान के लेवल 8 के आधार पर लाभ मिलेगा। इसमें वेतनमान 32 हजार 800 से एक लाख 3 हजार 600 रुपए प्रदान करने निर्देशित किया गया है। यानी इस दायरे में आने वाले प्राथमिक शिक्षकों को करीब 48 हजार रुपए वेतन मिलेगा और एनपीएस सहित अंशदान के बाद करीब 44 हजार उनके हाथ आएंगे। 

पक्षपात के रवैए से आहत शिक्षक

शिक्षकों में समान सेवाकाल पूरा करने वाले उच्च माध्यमिक और माध्यमिक शिक्षकों को क्रमोन्नति में शामिल नहीं करने से उनमें असंतोष है। शासकीय शिक्षक संगठन ने इस व्यवहार पर नाराजगी भी जताई है। कार्यकारी अध्यक्ष उपेन्द्र कौशल और जिला इकाइयों के पदाधिकारियों ने क्रमोन्नति की मांग को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी और प्रशासन को भी मांग पत्र सौंपे हैं। उनका कहना है एक तो रिक्त पदों का उचित प्रबंधन नहीं हो रहा है। इस वजह से योग्य शिक्षकों को इन पर पदोन्नति नहीं मिल पा रही है। वहीं अधिकांश उच्च और माध्यमिक शिक्षक 14 या 16 साल का सेवाकाल पूरा कर चुके हैं। यानी वे क्रमोन्नति के लिए तय सेवाअवधि से दो से चार साल ज्यादा नौकरी कर चुके हैं। समय पर क्रमोन्नति मिलती तो उन्हें हर माह आठ से दस हजार रुपए ज्यादा मिलते। यानी क्रमोन्नति न मिलने से उन्हें जहां आर्थिक नुकसान हो रहा है वहीं पदोन्नति के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

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