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जब किसी प्रशासक की नजर वर्तमान के साथ अतीत और भविष्य को एक साथ देखने की होती है तो धरोहरें फिर सांस लेने लगती हैं। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में एक ऐसा ही काम हुआ है। यह कहानी है आईएएस और टीकमगढ़ कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय के विजन की। उनकी कोशिशों से वह गुप्त और बिसरा दी गई ऐतिहासिक लाइब्रेरी फिर जिंदा हो उठी है, जिसमें 30 हजार से ज्यादा दुर्लभ ग्रंथ, हस्तलिखित पांडुलिपियां और ऐतिहासिक दस्तावेज, किताबें बंद थे।
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यह दास्तां किसी साधारण इमारत की नहीं, बल्कि टीकमगढ़ की प्राचीन ताल कोठी है, जिसे ओरछा रियासत के राजा प्रताप सिंह ने बनवाया था। झील के किनारे बनी इस कोठी में ओरछा स्टेट लाइब्रेरी की स्थापना की गई थी। यह लाइब्रेरी एक समय साहित्य और विचारों का केंद्र थी। फिर आज से 25 बरस पहले हुए एक विवाद के बाद यहां ताले लग गए। यह जगह हाशिये पर चली गई। हालांकि ताल कोठी में आज पीजी कॉलेज का प्रशासनिक भवन चलता है, पर वहां के स्टाफ को लाइब्रेरी की जानकारी ही नहीं थी। कुल मिलाकर कहें तो जो किताबें और ग्रंथ शोधकर्ताओं को दिशा दे सकते थे, जो दस्तावेज वैचारिक व शैक्षणिक निर्माण की नींव थे, वे सब दबकर सिसक रहे थे।
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चलिए थोड़ा पीछे चलते हैं...
यह बात शुरू होती है ओरछा रियासत की गौरवशाली धरोहर से। सन् 1932 में ताल कोठी में ओरछा स्टेट लाइब्रेरी बनाई गई थी। राजा प्रताप सिंह द्वारा बनवाई गई इस भव्य कोठी में कभी हजारों किताबें और पांडुलिपियां सजी थीं। 1956 में मध्यप्रदेश के गठन के बाद यह कोठी शिक्षा के लिए समर्पित हो गई। यहां टीकमगढ़ का पहला पीजी कॉलेज खुला। फिर सन् 2000 में एक विवाद ने इस लाइब्रेरी को तालों में कैद कर दिया, तब से यह खजाना अंधेरे में खो गया।
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बचपन की कहानियों से हकीकत तक
वक्त ने करवट बदली। आईएएस विवेक श्रोत्रिय टीकमगढ़ कलेक्टर बने। दरअसल, बचपन में टीकमगढ़ की यात्राओं के दौरान उन्होंने पांच मंजिला ताल कोठी के तहखानों और लाइब्रेरी की कहानियां सुनी थीं। कलेक्टर बनने के बाद उन्होंने इस खजाने को फिर जीवित करने का बीड़ा उठाया।
'द सूत्र' से खास बातचीत में आईएएस श्रोत्रिय ने बताया, यह लाइब्रेरी पांच मंजिला बिल्डिंग के बेस में है। यानी वॉटर लेवल से छह फीट नीचे। पानी जब बढ़ता है तो छह फीट ऊपर तक पानी रहता है। मैंने कॉलेज प्रबंधन से लाइब्रेरी के बारे में पूछा तो उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं थी। इसके बाद मैं अधिकारियों के साथ ताल कोठी पहुंचा और ताले खुलवाए। सामने ऐसा नजारा था, जिसने सभी को स्तब्ध कर दिया। फिर तहखाने में पुरातत्व विभाग और विशेषज्ञों की टीम ने पुराना लकड़ी का दरवाजा खोला। इसके पीछे किताबों से भरी दीवारें, लकड़ी की अलमारियों में सजी सैकड़ों साल पुरानी पांडुलिपियां और दुर्लभ ग्रंथ थे। मुझे संतोष इस बात का है कि ज्यादातर किताबें हमें सुरक्षित मिलीं। इनमें करीब 30 हजार किताबें हैं, इनमें कई पुरानी किताबें हैं और कई नई। हमने पूरे परिसर की सफाई करवाई और उस पर काम शुरू किया।
खजाने में क्या-क्या मिला?
- हस्तलिखित रामचरितमानस (200 वर्ष पुरानी): प्रत्येक दोहे के साथ चित्रित बॉर्डर, अप्रतिम सौंदर्य का प्रतीक।
- Sketches of Gandhi (1944): फेलिक्स टोपोल्स्की द्वारा गांधीजी के साथ मुलाकात पर आधारित दुर्लभ चित्र संस्करण।
- अनंत विरदांदम चंपू (1576): संस्कृत में कवि कमार्पण द्वारा रचित और रियासत के संरक्षण में लिखा गया काव्य।
- फारसी और ब्रज भाषा के ग्रंथ: वैद्यकीय ज्ञान, कानून निर्माण, ज्योतिष और प्रशासनिक प्रक्रिया पर आधारित।
- हस्तलिखित पंचांग और ज्योतिषीय गणनाएं: जो वैदिक काल के खगोलीय ज्ञान को प्रामाणिकता से प्रस्तुत करती हैं।
लाइब्रेरी के लिए ऐसी है प्लानिंग
इस खोज ने पूरे प्रदेश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। कलेक्टर श्रोत्रिय ने इस लाइब्रेरी को जनता और शोधकर्ताओं के लिए खोलने का प्रस्ताव रखा है। जिला प्रशासन ने अभिलेखागार विशेषज्ञों की टीम नियुक्त की है, जो इन दस्तावेजों का डिजिटलीकरण और संरक्षण करेगी। संस्कृति मंत्रालय और पुरातत्व विभाग ने इसे सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संग्रहों में से एक माना है। इसी के साथ जिला प्रशासन ने इसे सार्वजनिक शोध केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भी भेजा है।
अब आगे क्या होगा?
- डिजिटलीकरण: हर किताब, दस्तावेज और पांडुलिपि को डिजिटल रूप में संरक्षित करने का प्लान है।
- शोधार्थियों के लिए खोली जाएगी लाइब्रेरी: देशभर के शोधकर्ताओं को यहां अध्ययन की सुविधा मिलेगी।
- हेरिटेज स्पेस का विकास: लाइब्रेरी को टूरिज्म व एजुकेशन हब के रूप में विकसित करने की योजना।
- डीपीआर निर्माण जारी: ड्रोना कंसल्टेंसी विशेषज्ञों के साथ मिलकर लाइब्रेरी के पुनरुद्धार की विस्तृत योजना तैयार कर रही है।
देश की सबसे सुंदर लाइब्रेरी बनाने की कोशिश
कलेक्टर श्रोत्रिय ने बताया, हम इतिहासकारों और विशेषज्ञों से किताबों का परीक्षण करा रहे हैं। अच्छी किताबों का संग्रहण किया जा रहा है, जो चूहों ने नष्ट कर दी हैं या देखभाल के अभाव में जिन्हें दीमक चट कर गई, उन्हें अलग कराया है। अब हमारी कोशिश इसे देश की सबसे सुंदर हेरिटेज लाइब्रेरी बनाने की है। इसे लेकर हम तमाम काम कर रहे हैं। हमारे पास सुंदर भवन है और साहित्य का भंडार भी है। कोशिश है कि ताल कोठी के पांचों माले संवरकर उम्दा लाइब्रेरी बन जाए और साहित्य प्रेमी व आमजन इसका लाभ उठा सकें।
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