संजय गुप्ता@ INDORE.
मप्र की राजनीति के सबसे चर्चित कांड हनी ट्रैप ( honey trap ) में एक बार फिर सुनवाई शुरू हो गई है। इस हाईप्रोफाइल केस में एक जगह ऐसी है, जहां पर एक समय मप्र के प्रशासनिक मुखिया यानि चीफ सेक्रेट्री ( CS ) रहे IAS एसआर मोहंती का नाम भी आया है।
हनी ट्रैप केस आरोपी मोनिका ने एक जगह बताया मोहंती का नाम
हनी ट्रैप केस पलासिया थाने में सितंबर 2019 में दर्ज होने के बाद सीआईडी भोपाल में मानव तस्करी का भी केस दर्ज हुआ था। पलासिया थाने में आरोपी और उधर सीआईडी केस में फरियादी मोनिका यादव ने अपने बयान में एक जगह पर मोहंती का नाम लिया है।
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बयानों में मोहंती को लेकर यह लिखा गया है
भोपाल जिला कोर्ट में न्यायाधीश भरत कुमार व्यास के सामने हुए बयान में मोनिका यादव ने कहा था कि 15 अगस्त के बाद मेरी पिता से अगली मुलाकाज जब मैं रूचिवर्धन मिश्र (तत्कालीन एसएसपी इंदौर) व शशिकांत चौरसिया (एसटीएफ जांच अधिकारी) के साथ जांच के दौरान गांव गई गई थी तब हुई थी। जांच के दौरान आरएस मोहंती (वास्तव में एसआर यानी सुधी रंजन मोहंती है, बयान में आरएस मोहंती लिखा है) का नाम मुझे सुनने को मिला था। मुझे नहीं पता था कि मोहंती मप्र शासन के मुख्य सचिव थे। मुझे नाम पुलिस के मुंह से सुनने को मिला था। मुझे जानकारी नहीं है कि मेरे पिता से भी पुलिस ने यह बात सरपंच के सामने कही थी।
मानव तस्करी केस में सभी आरोपी हो चुके है बरी
उल्लेखनीय है कि मानव तस्करी केस में सभी आरोपियों को कोर्ट ने 6 मई को बरी कर दया है। एसआईटी ठोस सबूत नहीं पेश कर पाई। साथ ही इसमें पीड़िता मोनिका यादव ही अपने बयान से पलट गई। यह भी सामने आया था कि पीड़िता के माता-पिता को इस मामले में कोई जानकारी ही नहीं थी।
एसटीएफ ने चालान में अधिकारी के नाम की जगह लिखा एक IAS
द सूत्र ने 8 मई को भी खुलासा किया था इस मामले में एसटीएफ ने चालाकी से कई बड़े लोगों के नाम को छिपा लिया। पुलिस ने यह तो लिखा कि मानव तस्करी केस में कई रसूखदार लोगों ने फार्म हाउस, घर से लेकर कार तक में शारीरिक संबंध बनाए, इसमें मनोज त्रिवेधी, अरूण सहलोद, अऱ्ण निगम, मनीष अग्रवाल जैसे नाम भी लिखे लेकिन साथ ही एक आईएएस लिखा, उनका नाम कहीं भी नहीं दिया गया है। वहीं पुलिस की इस स्क्रिप्ट से पीडिता पूरी तरह पलट गई और किसी तरह का दबाव होने या संबंध बनाने की बात से इंकार कर दिया। एसआईटी ने पूरी जांच में कई नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के नाम आने के बाद भी इन्हें रिकार्ड पर नहीं लिया। करीब 8 आईएएस-आईपीएस और दूसरे बड़े अधिकारियों पर आरोप थे।
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