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MP NEWS: नगर निगम जबलपुर की 2025-26 के बजट सत्र की बैठक इस बार भारी हंगामे की भेंट चढ़ गई। बैठक के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। इससे सदन का माहौल कई बार इतना बिगड़ गया कि नगर निगम अध्यक्ष रिंकू बिज को खुद आसंदी छोड़कर स्थिति शांत करनी पड़ी। बजट सत्र में अपेक्षित विकास कार्यों की चर्चा के बजाय राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर छाया रहा, जिससे जनता से जुड़े असल मुद्दे पीछे छूटते नजर आए।
'मंत्री चालीसा' से भड़की बहस
हंगामे की शुरुआत उस समय हुई जब पश्चिम विधानसभा के विधायक प्रतिनिधि अभय सिंह ने लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के कार्यों की प्रशंसा करने लगे। उन्होंने जबलपुर में स्वीकृत ढाई से तीन हजार करोड़ रुपए के विकास कार्यों का उल्लेख किया। अभय सिंह ने बताया कि किस प्रकार मंत्री राकेश सिंह के प्रयासों से शहर में बड़े पैमाने पर विकास कार्य स्वीकृत हुए हैं। इस पर विपक्षी कांग्रेस पार्षद दल ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि "यह बजट बैठक है, न कि मंत्री चालीसा पढ़ महिमा मंडन का मंच।" विपक्ष ने सवाल उठाया कि यदि हजारों करोड़ रुपए विकास कार्यों के लिए स्वीकृत हुए हैं, तो नगर निगम को अपनी संपत्तियाँ बेचने की नौबत क्यों आई है?
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शहर की धरोहरों को बेचने पर जताई चिंता
कांग्रेस पार्षदों ने बजट में 'रीडेंसिफिकेशन' नीति के तहत नगर निगम की संपत्तियों को बेचने के प्रस्ताव पर गंभीर आपत्ति जताई। विपक्ष का कहना था कि जब केंद्र और राज्य सरकार से जबलपुर विकास के लिए पर्याप्त राशि मिल रही है, तो फिर शहर की धरोहरों जमीन और संपत्तियों को बेचना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि पूर्वजों ने भी ऐसे निर्णय लिए होते तो आज शहर के पास विकास के लिए कोई आधारभूत संपत्ति ही नहीं होती। कांग्रेस ने इसे शहर के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया।
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भुगतानों में कमीशनखोरी के आरोप
नेता प्रतिपक्ष अमरीश मिश्रा ने नगर सत्ता पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्षद मद की राशि पिछले दो वर्षों से लंबित है। उन्होंने बताया कि निगम में विकास कार्यों के लिए पार्षदों द्वारा स्वीकृत योजनाओं को टेंडर प्रक्रिया में जानबूझकर लटकाया जा रहा है। मिश्रा ने आरोप लगाया कि भुगतानों में भारी कमीशनखोरी होती है, जिससे ठेकेदार बार-बार हड़ताल पर चले जाते हैं। सफाई कर्मियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है, डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है और नागरिकों को 8-8 साल पुराने बिल थमाए जा रहे हैं। मिश्रा ने कहा, "यह बजट नहीं, महज झूठी घोषणाओं और भ्रष्टाचार की स्क्रिप्ट है।
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भोजन अवकाश के बाद भी नहीं थमा हंगामा
दोपहर में भोजनावकाश के बाद जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई, तो उम्मीद थी कि माहौल कुछ शांत होगा और गंभीर चर्चा होगी। लेकिन इसके उलट सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच प्रत्यारोपों का सिलसिला और तेज हो गया। बीजेपी पार्षदों का कहना था कि कांग्रेस पार्षद बजट बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं और बाहरी विषयों को उठाकर माहौल को बिगाड़ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि लेमा गार्डन जैसे बड़े घोटाले और जनता से जुड़े अन्य मुद्दों को उठाना उनका कर्तव्य है, लेकिन बीजेपी उन्हें सुनने को तैयार नहीं है।
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महापौर ने दी सफाई
नगर निगम जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने बैठक के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि जबलपुर के समग्र विकास के लिए 1800 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित है, और इसी पर तीन दिन से विस्तृत चर्चा चल रही है। महापौर ने कहा कि विपक्ष के सभी पार्षदों को बोलने का पूरा अवसर दिया गया है और उनके रचनात्मक सुझावों को बजट में शामिल करने का प्रयास भी किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नगर निगम का उद्देश्य है कि बजट को सर्वसम्मति से पारित किया जाए, ताकि जबलपुर का समुचित विकास सुनिश्चित किया जा सके। लेकिन कांग्रेस पार्षद बजट बिंदुओं पर चर्चा के बजाय बाहरी मुद्दों को उठाकर हंगामा कर रहे हैं, जिससे बैठक की गरिमा प्रभावित हो रही है।
बीजेपी ने विपक्ष पर लगाया समय बर्बाद करने का आरोप
बीजेपी नेता जीतू कटारे ने कहा कि सदन में कांग्रेस के ही कुछ पार्षदों, जैसे अनुपम सिंह, ने भी मंत्री राकेश सिंह के विकास कार्यों की सराहना की है। कटारे ने आरोप लगाया कि इसके बावजूद कांग्रेस पार्षद बेवजह का हंगामा खड़ा कर सदन का कीमती समय नष्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नगर निगम जबलपुर के इतिहास में यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी धनराशि के साथ व्यापक विकास योजना प्रस्तुत की गई है, फिर भी विपक्ष राजनीतिक स्वार्थवश चर्चा को भटकाने की कोशिश कर रहा है।