MP NEWS: मध्य प्रदेश के सारंगपुर ब्लॉक के 190 गांवों में नल-जल योजना के तहत पानी की आपूर्ति जून तक शुरू करने के दावे किए जा रहे हैं। साल 2018 में शुरू हुई इस योजना में अब तक पानी की टंकियां नहीं बनाई गई हैं और पाइपलाइनें भी अधूरी हैं। इस योजना का काम सात साल में भी अधूरा पड़ा है, जिसके कारण ग्रामीणों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
अधूरी योजना और प्यासे गांव
राजगढ़ जिले के सारंगपुर ब्लॉक के 190 गांवों में वर्षों से पेयजल संकट बना हुआ है। साल 2018 में शुरू की गई कुंडालिया डैम आधारित नल-जल योजना का मकसद था कि इन गांवों में स्वच्छ पेयजल मुहैया कराया जाए। सात साल बाद भी हालात जस के तस हैं। कई गांवों में अब तक पानी की टंकियां नहीं बनी हैं, और पाइपलाइन बिछाने का काम भी अधूरा पड़ा है।
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जून तक जल सप्लाई?
जल निगम और संबंधित विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि जून 2025 तक सप्लाई शुरू कर दी जाएगी। जमीनी सच्चाई यह है कि जहां टंकियां बनी ही नहीं हैं और पाइपलाइनें अधूरी हैं, वहां जल आपूर्ति शुरू होना मुश्किल है। कई जगहों पर जहां पाइपलाइन बिछा दी गई, वहां घटिया सामग्री के कारण बार-बार लीकेज हो रही है।
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करोड़ों की योजना में भारी लापरवाही
करीब 535 करोड़ की यह योजना अब लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। ठेकेदारों द्वारा मनमाने तरीके से किया गया काम और विभागीय निगरानी की कमी इसका प्रमुख कारण है। मैन लाइन में बार-बार लीकेज हो रही है, और कई गांवों में अब तक नल कनेक्शन नहीं दिए गए हैं।
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नल-जल योजना ठप
झिरी, सेमली लोढा और निपानिया बिका जैसे गांवों में न तो पानी की टंकियां बनी हैं, और ना ही पाइपलाइन पूरी हुई है। संडावता जैसे इलाकों में एलएनटी कंपनी द्वारा नल कनेक्शन के लिए सड़कें खोद दी गईं, लेकिन अधूरा कार्य वहीं का वहीं ठप पड़ा है। इसका सीधा असर स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर पर पड़ा है।
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निजी टैंकरों का सहारा
जिन गांवों में जल आपूर्ति नहीं हो रही, वहां लोगों को निजी टैंकरों से पानी खरीदना पड़ रहा है। संडावता में लोगों को 200 लीटर पानी के लिए करीब 20 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। इससे एक ओर जल संकट है, दूसरी ओर आर्थिक बोझ भी ग्रामीणों पर पड़ रहा है।