MP News : इंदौर महापौर पुषयमित्र भार्गव की अब एक और चिट्ठी सामने आई है। यह चिट्ठी उन्होंने मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को लिखी है। यह इंदौर की आंतरिक सुरक्षा को लेकर लिखी गई है। यह पहली बार नहीं है। महापौर अक्सर चिट्ठी लिखते हैं, लेकिन इनका होता क्या है यह बड़ी बात है। इसमें कुछ चिट्ठियों का असर हुआ तो कुछ को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
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अभी यह चिट्ठी लिखी-
महापौर ने अभी सीएम को यह पत्र लिखा है और इसमें पहलगाम की आतंकवादी घटना का हवाला देते हुए कहा है कि इंदौर में भी रोहिंग्या बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठिए यहां रह रहे हैं। इन्हें चिन्हांकित कर बाहर किए जाने की जरूरत है। निवेदन है कि इस पर अभियान चलाकर घुसपैठियों को बाहर किया जाए।
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इसके पहले यह चिट्ठियां लिखी-
1- महापौर ने इसके पहले सूर्यदेव नगर के मंदिर को तोड़े जाने पर तत्कालीन कलेक्टर इलैयाराजा टी को काफी तीखी चिट्ठी लिखी थी। इसमें कहा था निगम के काम में सीधे हस्तक्षेप करते हुए निगम अधिकारियों को निर्देश देकर मंदिर तुड़वाया गया, भविष्य में ऐसा नहीं हो ऐसी ताकीद दी जाती है। इस पर काफी हो हल्ला मचा था और प्रशासन बैकफुट पर आ गया।
2- महापौर ने नाइट कल्चर को लेकर भी चिट्ठी लिखी और कलेक्टर, सीपी को पत्र लिखकर कहा कि इससे अपराध हो रहे हैं। इसे रोका जाना चाहिए। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय लगातार इसका विरोध करते आए हैं। आखिर में इंदौर में नाइट कल्चर बंच हुआ।
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3- महापौर ने निगम के 150 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले की उच्चस्तरीय जांच के लिए पत्र लिखा, जांच के लिए शासन ने कमेटी भी बनाई। नगरीय प्रशासन मंत्री ने भी जांच के लिए कहा। पीएस अमित राठौर एक दिन जांच के लिए इंदौर भी पहुंचे लेकिन फिर जांच कमेटी का और जांच का क्या हुआ आज तक खुद महापौर को पता नहीं है।
4- महापौर ने स्मार्ट सिटी द्वारा नेप्रा कंपनी को कचरे के निपटान के लिए दिए गए टेंडर में घोटाले की बात उठाई और तत्कालीन स्मार्ट सिटी बोर्ड पर गंभीर आरोप लगाए। जांच के लिए तत्कालीन सीएस वीरा राणा को पत्र लिखा। शासन ने स्मार्ट सिटी से इस बारे में जानकीरी मांगी, इसमें बता दिया गया कि टेंडर सही हुआ था और यह नियमानुसार था। इसके बाद मामले को बंद कर दिया गया।
5- महापौर ने हाल ही में कलेक्टर इंदौर को पत्र लिखा कि स्कूल की टाइमिंग कम की जाए गर्मियां बहुत है। हालांकि यह बात वह फोन पर भी हो सकती थी लेकिन इस पर चिट्ठी क्यों लिखी, यह किसी को समझ नहीं आया। खैर दो दिन बाद कलेक्टर ने आदेश कर दिए और इसे महापौर की चिट्ठी का इम्पैक्ट बताया गया।
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कमेटियां भी बनाते हैं महापौर
महापौर जहां नाराज होते हैं, या बड़ा मुद्दा दिखता है वहां अपने स्तर पर जांच कमेटियां भी बना देते हैं। कुछ समय पहले सराफा की सुरक्षा को लेकर मामला उठा, एमआईसी मेंबर की कमेटी बनाई गई, इसमें सुझाव भी आए, लेकिन कमेटी की सिफारिशें ताक पर रख दी गई। वहीं हाल ही में नगर निगम की कुर्की कराने वाले मिश्रा के घर पर निगम की टीम ने अचानक दबिश दी जिसे बदले की कार्रवाई बताया गया। महापौर उनके घर गए और बाद में निगम की इस कार्रवाई को अराजकता बताते हुए तीन एमआईसी मेंबर की कमेटी बना दी गई। हालांकि यह भी कछुआ गति से चल रही है और इसमें कुछ होगा इसकी भी कोई संभावना फिलहाल तो नहीं है।