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इंदौर के एक व्यक्ति को मुआवजा नहीं दिया जाना एआईसीटीएसएल को भारी पड़ गया है। उसने कोर्ट के आदेश को नहीं माना है। इस पर अब कोर्ट ने एआईसीटीएसएल की संपत्ति को कुर्क करने के आदेश जारी किए हैं। युवक ने एआईसीटीएसएल की बस की टक्कर लगने से गंभीर घायल होने पर याचिका कोर्ट में दायर की थी। यह हालत तब है जबकि इसके बोर्ड मेंबर चेयरमैन महापौर पुष्यमित्र भार्गव, डायरेक्टर इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह और आरपी अहिरवार, एमडी निगम कमिश्नर शिवम वर्मा हैं।
5 लाख 70 हजार रुपए देना था मुआवजा
इंदौर में जिला कोर्ट ने क्लेम के एक मामले में एआईसीटीएसएल को 5 लाख 70 हजार रुपए का मुआवजा फरियादी को दिए जाने का आदेश दिया था। पिछले साल 24 जनवरी को यह आदेश पारित किया गया था, लेकिन एआईसीटीएसएल द्वारा उस आदेश का पालन नहीं किया गया।
राजवाड़ा चौक पर मारी थी टक्कर
एडवोकेट जे आर पालीवाल के मुताबिक राजेंद्र सिंह कुशवाहा निवासी संगम नगर किसी काम से राजवाड़ा चौक पर खड़े थे। तभी वहां से गुजरने वाली एक सिटी बस ने उन्हें टक्कर मार दी थी। जिससे वह जीवनभर के लिए चलने-फिरने से लाचार हो गए थे। इस घटना के बाद उन्होंने जिला कोर्ट में क्लेम के लिए परिवाद दायर किया था। कोर्ट ने उसमें सुनवाई करते हुए पीड़ित पक्ष को मुआवजा दिए जाने के आदेश दिए थे। लेकिन निर्धारित समय अवधि पूरी होने के बावजूद एआईसीटीएसएल के द्वारा मुआवजा नहीं दिया गया। तो अब कोर्ट की तरफ से कुर्की की कार्रवाई की जाएगी।
निगमायुक्त, अपर आयुक्तों के वाहन व दफ्तर कुर्क हो गए थे
सरकारी कार्यालयों पर कुर्की का आदेश इसके पूर्व में भी जारी हो चुका है। इसमें पिछले दिनों एडीजे कोर्ट ने गौरी शंकर विरुद्ध नगर निगम के केस में सवा दो करोड़ रुपए की राशि नहीं देने के चलते निगमायुक्त और अपर आयुक्तों के वाहन और दफ्तर कुर्क करने के आदेश दिए थे। निगम में जब्ती कुर्की के लिए टीम पहुंची तो निगम में हड़कंप मच गया। असल में सड़क चौड़ीकरण में टूटे मकान के एवज में ये क्षतिपूर्ति राशि निगम को देना थी, जो नहीं दी गई। इस पर कोर्ट के नजारत विभाग ने ये कार्रवाई की थी। विभाग के कर्मचारी निगम परिसर पहुंचे थे और यह कुर्की की कार्रवाई करते हुए नोटिस चस्पा कर दिए थे। पुलिस और वकीलों की टीम ने निगम आयुक्त और अन्य अधिकारियों की गाड़ियों की जब्ती कुर्की कर ली।
निगम अफसरों पर लगे थे बदले की कार्रवाई के आरोप
इस घटना के बाद निगम के अफसरों ने बिना नोटिस दिए गणेशगंज की उसी बिल्डिंग पर नोटिस चिपका कर उसे सील कर दिया था। इसे रहवासियों ने नगर निगम के अफसरों की बदले की कार्रवाई कहा था। जिसके बाद निगम की काफी बदनामी हुई थी। फिर महापौर पुष्यमित्र भार्गव गणेशगंज में परिवार के बीच पहुंचे थे और सील की गई बिल्डिंग को खुलवाया था।
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