जबलपुर ब्लास्ट : आमला एयरफोर्स स्टेशन से कबाड़खाने में कैसे पहुंचे बम?

जबलपुर के कबाड़खाने में भीषण बम धमाके के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। इस हादसे को लेकर पुलिस का खुफिया तंत्र पूरी तरह से विफल नजर आया है।

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Vikram Jain
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नील तिवारी, JABALPUR. जबलपुर के खजरी खिरिया बाईपास पर 22 अप्रैल को हुए कबाड़खाना बम ब्लास्ट केस ( unkyard bomb blast) में नया खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि कबाड़खाने में बड़ी मात्रा में जिंदा बम थे। द सूत्र की पड़ताल में यह पहले ही पता लग चुका था कि जबलपुर आयुध निर्माण फैक्ट्री खमरिया (Jabalpur Ordnance Factory) ने इन बमों के निर्माण या नीलामी से अपना पल्ला झाड़ लिया है। अब जांच में यह सामने आया है सेना द्वारा हवाई हमले के लिए इस्तेमाल होने वाले यह बम आमला वायुसेना स्टेशन (Amla Air Force Station) से जबलपुर लाए गए थे।

कबाड़खाना कैसे पहुंचे वायुसेना के बम ?

सूत्रों की माने तो जांच एजेंसियों को इस बात के तथ्य मिले हैं कि कबाड़ी के यहां मिले बम हवाई हमले के लिए इस्तेमाल होते हैं, इनका उपयोग वायु सेना द्वारा किया जाता है। यह बम बैतूल जिले में स्थित आमला एयरफोर्स स्टेशन से नीलाम हुए थे। इन्हें जबलपुर के कबाड़खाने तक पहुंचने में आरोपी सुल्तान का हाथ होने की संभावना है, पुलिस रिमांड में पूछताछ के दौरान शमीम के बेटे फहीम और सुल्तान से मिली जानकारी से यह बात सामने आई है कि सुल्तान के पास आयुध निर्माणी खमरिया की एलपीआर से स्क्रेप उठाने सहित आमला एयरफोर्स के स्क्रैप का भी ठेका था। लेकिन स्क्रैप में जिंदा बमों का बेचा जाना अभी भी बड़ा सवाल बना हुआ है।

बमों को किया गया नष्ट

बुधवार को कबाड़खाने में मिले बमों को नष्ट किया गया। एवं उसके साथ ही मिले बम के खोखे भी नष्ट कर दिए गए। इसको लेकर देर रात से ही खिजरी खिरिया क्षेत्र में भारी सुरक्षा बंदोबस्त शुरू हो गया था। जिसका कारण था कि सुबह 4 बजे से जब्त किए गए बमों को नष्ट करने की कार्यवाही की जानी थी। इस कबाड़खाने के आसपास के रहवासियों को रात में ही यह सूचना दे दी गई थी, कि वह इस क्षेत्र को खाली कर दें। इसके बाद कुछ रहवासी रात को ही अपने घरों से चले गए थे एवं कुछ लोगों ने सुबह 4 बजे इस क्षेत्र को छोड़ा। सुबह शुरू हुई बमों के नष्ट की प्रक्रिया दोपहर लगभग 11 बजे तक चली, इसके बाद क्षेत्र के लोगों को वापस अपने घर आने की अनुमति दी गई। मिली जानकारी के अनुसार इस कबाड़खाने में बड़ी मात्रा में जिंदा बम पाए गए थे। 

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आचार संहिता के दौरान हुआ ब्लास्ट 

इस धमाके को लेकर जबलपुर पुलिस (Jabalpur Police) की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। मध्य प्रदेश में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू होते ही वारंट तामील अभियान शुरू कर दिया गया था। साथ ही संदिग्ध एवं अशांति पैदा करने वाले तत्वों के खिलाफ बाउंड ओवर भी किया गया पर ऐसा लग रहा है कि कई आपराधिक मामलों में आरोपी होकर फरार रहने के बाद भी इस कार्यवाही से शमीम कबाड़ी और उसका व्यापार अछूता रहा। कबाड़ गोदाम में इतनी बड़ी मात्रा में बारूद और बम का एकत्रित होना, पुलिस के खुफिया तंत्र की बड़ी विफलता सामने ला रहा है।

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